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जम्मू कश्मीर में पाबंदियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, याचिका में नेताओं को रिहा करने की मांग

जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद राज्य में कुछ...
जम्मू कश्मीर में पाबंदियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, याचिका में नेताओं को रिहा करने की मांग

जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद राज्य में कुछ प्रतिबंध लगाने और अन्य कड़े उपाय करने के केन्द्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय खंडपीठ के सामने कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका सुनवाई के लिये सूचीबद्ध है।

इसके अलावा, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की याचिका की भी शीघ्र सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने के बारे में मंगलवार को उल्लेख किये जाने की संभावना है। अनुराधा भसीन चाहती हैं कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त किये जाने के बाद राज्य में पत्रकारों के कामकाज पर लगाये गये प्रतिबंध हटाये जायें।

पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा है कि वह अनुच्छेद 370 के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं लेकिन वह चाहते हैं कि वहां से कर्फ्यू एवं पाबंदियां तथा फोन लाइन, इंटरनेट और समाचार चैनल पर रोक लगाने सहित दूसरे कथित सख्त उपाय वापस लिये जाएं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई की मांग

कांग्रेस कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जो इस समय हिरासत में हैं। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू और कश्मीर की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिये एक न्यायिक आयोग गठित करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने याचिका में दावा किया है कि केन्द्र के फैसलों से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।

किस अधिकार से कठोर कदम उठाये हैं

याचिका के अनुसार समूचे राज्य की एक तरह से घेराबंदी कर दी गयी है और दैनिक आधार पर सेना की संख्या में वृद्धि करके इसे एक छावनी में तब्दील कर दिया गया है जबकि संविधान संशोधन के खिलाफ वहां किसी प्रकार के संगठित या हिंसक विरोध के बारे में कोई खबर नहीं है। पूनावाला चाहते हैं कि शीर्ष अदालत केन्द्र और जम्मू कश्मीर से पूछे कि किस अधिकार से उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों, पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों, पूर्व विधायकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने सहित इतने कठोर कदम उठाये हैं?

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