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सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप मामले में पीड़िता ने जांच पैनल की संरचना पर जताई आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट...
सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप मामले में पीड़िता ने जांच पैनल की संरचना पर जताई आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने मामले की आंतरिक जांच के लिए गठित पैनल की संरचना पर आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाले पैनल को इस संबंध में महिला ने पत्र लिखा है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, महिला ने जांच पैनल में जस्टिस एन. वी. रमन की मौजूदगी पर आपत्ति जाहिर की है। महिला का कहना है कि जस्टिस रमन सीजेआई के करीबी मित्र हैं और उनके घर पर उनका बराबर आना-जाना होता है।

पत्र में लिखा है, "मैं विनम्रतापूर्वक सुझाव दे रही हूं कि जब से मैं सीजेआई के निवास कार्यालय में तैनात थी, मुझे पता है कि जस्टिस रमन सीजेआई  के करीबी दोस्त हैं और उनके लिए परिवार के सदस्य की तरह हैं। जस्टिस रमन सीजेआई के निवास कार्यालय में लगातार आते-जाते रहते हैं। इस वजह से मुझे डर है कि मेरे हलफनामे और सबूतों को एक उद्देश्यपूर्ण और निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी।"

पैनल विशाखा गाइडलाइंस के मुताबिक नहीं

एक आधिकारिक सूत्र ने इस बात की पुष्टि की कि पूर्व कर्मचारी ने पैनल में सिर्फ एक महिला जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी की मौजूदगी को लेकर भी सवाल उठाया है। महिला का कहना है कि पैनल विशाखा गाइडलाइंस के अनुसार नहीं है। उन्होंने कहा कि विशाखा फैसले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए समिति में महिलाओं का बहुमत होना चाहिए।

आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय पैनल

सीजेआई के खिलाफ महिला के आरोपों की जांच के लिए विशाखा गाइडलाइंस के तहत एक पैनल का गठन किया गया है। मंगलवार को न्यायमूर्ति एस ए बोबडे के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया। इन जजों में जस्टिस एस ए बोबड़े, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल हैं। जस्टिस बोबड़े रंजन गोगोई के बाद सबसे वरिष्ठ जज हैं। न्यायमूर्ति बोबडे ने बताया कि नंबर 2 जज होने के नाते प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा उनके (सीजेआई के) खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरापों की जांच के लिए नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति बोबडे ने बताया कि उन्होंने शीर्ष न्यायालय के दो न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति एन वी रमन और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, ‘‘मैंने समिति में न्यायमूर्ति रमन को शामिल करने का निर्णय लिया है क्योंकि वह वरिष्ठता में मेरे बाद हैं और न्यायमूर्ति बनर्जी को इसलिये शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला न्यायाधीश हैं।’’

सीजेआई पर क्या हैं आरोप?

सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने 22 पन्नों के एक हलफनामे में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। यह महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला का आरोप है कि चीफ जस्टिस ने पिछले साल अक्टूबर 10 और 11 को अपने घर के ऑफिस में 'फायदा' उठाने की कोशिश की। हालांकि, जस्टिस गोगोई ने महिला द्वारा लगाए गए इन आरोपों से इनकार किया है। महिला ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि उसने जस्टिस गोगोई की मांग ठुकरा दी और दफ्तर से बाहर आ गई। इसके बाद 21 अक्टूबर को उसे नौकरी से बाहर कर दिया गया।

 

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