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जानें- किस वजह से देश में गहराया कोयला का अभूतपूर्व संकट, भारी किल्लत से कई राज्यों के दर्जनों पावर प्लांट बंद

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा...
जानें- किस वजह से देश में गहराया कोयला का अभूतपूर्व संकट, भारी किल्लत से कई राज्यों के दर्जनों पावर प्लांट बंद

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि यदि राजधानी के पावर प्लांट्स को कोयला की पर्याप्त सप्लाई नहीं की जाती है तो ये स्टेशन बंद हो सकते हैं और दिल्ली को अंधेरा का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के लोगों से अपील करते हुए कहा कि बिजली को किफायती के साथ इस्तेमाल करें। कोयला संकट की वजह से राज्य में 13 थर्मल प्लांट बंद हो चुके हैं। वहीं, पंजाब में भी तीन पावर प्लांट से बिजली का प्रोडक्शन ठप हो गया है।

अब सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति अचानक से कैसे उत्पन्न हुई? क्या सरकार के पास पहले से कोई तैयारी नहीं थी? बिजली की कमी को लेकर देश के ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा, "कोयले की कमी के बारे में अनावश्यक रूप से दहशत पैदा की गई है"। 

वहीं, कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आपूर्ति बाधित होने के लिए भारी बारिश और अंतरराष्ट्रीय कोयले की ऊंची कीमत को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि "तीन से चार दिनों में चीजें ठीक हो जाएंगी"।

आज मंगलवार को पीएमओ की बैठक बुलाई गई है जिसमें इस संकट को लेकर चर्चा की जाएगी। दरअसल, कोल सेक्टर से जुड़े जानकारों के मुताबिक सरकार की कुछ गलतियां और अचानक मांग बढ़ने से ये संकट गहराया है। कोविड-19 महामारी के दौरान अचानक से अधिकांश फैक्ट्रियां बंद हो गई थी। जिसकी वजह से कोयला की डिमांड मार्केट में घट गई। लेकिन, अचानक लॉकडाउन के हटते और फैक्ट्रियों के फिर से खुलने की वजह से डिमांड मार्केट में कोयला की अचानक बढ़ गई।

वहीं, केंद्र ने मौसम को ध्यान में रखते हुए कोयला का स्टॉक नहीं किया। जिसकी वजह से इन सारी दिक्कतों का सामना इस वक्त देश कर रहा है। अब देखना होगा कि कैसे केंद्र इस समस्या का हल खोजती है।

निर्भरता की बात करें तो भारत बड़े पैमाने पर इंडोनेशिया से कोयले का आयात करता है और इस साल अब तक तय कीमतों में 171 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, 40 से 50 हज़ार मेगावॉट क्षमता वाले बिजली घरों के पास 3-3 दिनों का कोयला भंडार बचा है। भारत के पास अभी कुल 388 गीगावॉट बिजली बनाने की स्थापित क्षमता है। अब इसमें से करीब 209 गीगावॉट बिजली ताप विद्युत गृहों से मिलती है यानी कोयला से मिलती है।

कोल इंडिया के पास 400 लाख टन कोयला उपलब्ध है। सरकार का मानना है कि रोजाना 18.5 लाख टन कोयले की जरूरत है, लेकिन 17.5 लाख टन की ही सप्लाई हो पा रही है। 

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) तथा इसकी सहायक कंपनियों ने वर्ष 2018-19 में 606.89 मिलियन टन की तुलना में वर्ष 2019-20 के दौरान -0.78% की नकारात्मक वृद्धि दर्शाते हुए 602.13 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया। जबकि, 2020-21 के दौरान कोल इंडिया लि. द्वारा कोयले का उत्पादन 0.98% की नकारात्मक वृद्धि के साथ 596.25 मिलियन टन था।

आंकड़ो के मुताबिक अप्रैल-सितम्बर के बीच 315 मिलियन टन का उत्पादन किया। जबकि इसका लक्ष्य 848 मिलियन टन था।

 

 

 

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