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सात साल बाद निर्भया के चारों दोषियों को फांसी

निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी- पवन, अक्षय, मुकेश और विनय को शुक्रवार तड़के साढ़े पांच बजे फांसी दे दी...
सात साल बाद निर्भया के चारों दोषियों को फांसी

निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी- पवन, अक्षय, मुकेश और विनय को शुक्रवार तड़के साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। फांसी देने से पहले चारों को मेडिकल किया गया, जिसमें सभी फिट और स्वस्थ थे। जिसके बाद जेल में फांसी की प्रक्रिया पूरी कर उन्हें सजा-ए-मौत दी गई। इस दौरान तिहाड़ जेल को लॉक डाउन कर दिया गया था और जेल के बाहर अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था। बता दें कि सात साल पहले 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी में हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इसे लेकर भारी विरोध प्रदर्शन भी हुए। इस मामले की 23 वर्षीय पीड़िता फिजियोथैरेपी की छात्रा को ‘‘निर्भया’’ नाम दिया गया।

मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने के बाद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित किया। जेल के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले के चारों दोषियों... मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। अधिकारी ने कहा कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे। जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया ‘‘डॉक्टर ने जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया।’’

मां ने बेटी की तस्वीर को गले से लगाया

लंबे समय से इंसाफ का इंतजार कर रहीं निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि जैसे ही मैं सुप्रीम कोर्ट से लौटी, बेटी की तस्वीर को गले से लगाया और कहा कि आज तुम्हें इंसाफ मिला। आशा देवी ने वकील सीमा कुशवाहा और बहन सुनीता देवी को भी गले लगाया। निर्भया की मां ने कहा, ''आज का दिन हमारे बच्चियों के नाम, देर से ही लेकिन न्याय मिला.. हमारे न्यायिक व्यवस्था, अदालतों को धन्यवाद। जिस केस में जिस तरह से एक-एक याचिका डाली गई। हमारे कानून की कमियां सामने आई और आज उसी संविधान पर सवाल उठ गया था। मगर एक बार फिर हमारा विश्वास हमारे देश के बच्चियों को इंसाफ मिला। हमारे बच्ची इस दुनिया में नहीं आने वाली, निर्भया को इंसाफ मिला, लेकिन आगे भी इस लड़ाई को जारी रखेंगे। आगे भी लड़ते रहेंगे कि ताकि आगे कोई निर्भया केस न हो।''

दोषियों की फांसी पर निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि निर्भया को न्याय मिल गया यह पूरी दुनिया को पता लग गया होगा। चारों हत्यारों को फांसी दे दी गई है मगर सबको न्याय मिल जाएगा हम अभी ऐसा नहीं सोच पा रहे हैं। निर्भया को न्याय मिला है, समाज में एक संदेश जरूर गया है कि जो अपराध करेगा वह बचेगा नहीं, हमे आगे लड़ने की आवश्यकता है। सात साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हमें कानून में खामियों का पता चला है। दो चार दिन बाद वकीलों को बुलाकर बैठक करेंगे और इस मामले में कहां-कहां कमियां हैं उसका अध्ययन करके उसकी सूची बनाएंगे और सरकार से उन्हें दूर करने का आग्रह करेंगे।

फांसी टलवाने के लिए आखिरी वक्त तक वकील ने लगाया दम

शुक्रवार की आधी रात को दिल्ली हाईकोर्ट में चली सुनवाई में निर्भया के दोषियों की तरफ से फांसी पर रोक की याचिका लगाकार रोक की मांग की गई। लेकिन, दिल्ली हाईकोर्ट ने किसी तरह की राहत से इनकार किया। उसके बाद निर्भया के गुनहगारों के वकील ने एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। निर्भया के दोषियों को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उसके वकील एपी सिंह ने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। जस्टिस भानुमति की तीन सदस्यीय बेंच में एपी सिंह ने राष्ट्रपति की तरफ से खारिज पवन की दया याचिका और फांसी पर स्टे की मांग की। इसके साथ ही, पवन को नाबालिग साबित करने के लिए कोर्ट के सामने स्कूल सार्टिफेकेट और अटैंडेंस रजिस्टर रखे गए। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन चीजों पर पहले ही बहस हो चुकी है। जस्टिस भानुमति की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए एपी सिंह ने कहा कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। जस्टिस भानुमति ने निर्भया गैंगरेप के दोषियों के वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा- हम इस राय पर पहुंचे हैं कि इस केस में कोई मेरिट नहीं है। जस्टिस भानुमति ने आगे कहा- सुप्रीम कोर्ट ने लगातार इसे बरकार रख है कि राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने के बाद उसकी समक्षी का गुंजाइश कम रह जाती है।

16 दिसंबर की रात को क्या हुआ था?

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली के मुनिरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया। वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था। दोषियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी। इसके बाद युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था। पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, मगर हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया। वहां अस्पताल में इलाज के दौरान 29 दिसंबर को पीड़िता ने अंतिम सांस ली।

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