Advertisement

विश्व बाघ दिवस: स्मार्ट पेट्रोलिंग ने बदल दिया वन्यजीव संरक्षण

जंगलों में विशेषकर टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा हमेशा से सबसे बड़ी चुनौती रही है। खासकर तब जब...
विश्व बाघ दिवस: स्मार्ट पेट्रोलिंग ने बदल दिया वन्यजीव संरक्षण

जंगलों में विशेषकर टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा हमेशा से सबसे बड़ी चुनौती रही है। खासकर तब जब बाघों के शिकार ने दो टाइगर रिजर्व में एक समय बाघों की संख्या शून्य कर दी थी और यह तथ्य सामने आया कि बाघों का शिकार, एक बड़ा संगठित अपराध बन चुका है, जिसके तार कई राज्यों में फैले हुए हैं और बाघ की खाल और हड्डियां अवैध रूप से तस्करी कर पड़ोसी देशों में ले जाई जाती हैं। प्रवर्तन एजेंसियों ने जब बाघ के मामलों की गहराई में पड़ताल की तो पता चला क‌ि इस संगठित अपराध में कुछ खानाबदोश अपराधी गैंग संलिप्त हैं, जो लोहे के ट्रैप या जहर देकर बाघों का शिकार करते हैं। ऐसे में ये जरूरी हो गया कि टाइगर रिजर्व, खास कर जो संगठित वन्यजीव अपराध की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है, में बाघों की निगरानी और जंगल में होने वाली गश्त को सुदृढ़ किया जाए। साथ ही, ऐसी व्यवस्‍था अपनाई जाए जिससे टाइगर रिजर्व में होने वाली गश्त का सारा डिटेल टाइगर रिजर्व के अधिकारियों और कर्मचारियों को संकलित रूप में मिल सके, ताकि समय समय पर गश्त की रणनीति में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर बाघ  निगरानी की व्यवस्था चाक चौबंद की जा सके।

ऐसे में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा वन एवं वन्यजीवों की निगरानी और पेट्रोलिंग के लिए एक एंड्रॉइड एप विकसित किया गया, जिसे एम-स्ट्राइप्स नाम दिया गया। एम-स्ट्राइप्स वास्तव में 'मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स-इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस' का सूक्ष्म  नाम है, जिसका मतलब एंड्राइड एप आधारित एक ऐसे निगरानी तंत्र से है, जिसका इस्तेमाल बाघों की सघन सुरक्षा और जंगल की पारिस्तिथिकी अवस्था को जानने में किया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो यह स्मार्ट पेट्रोलिंग का एक ऐसा तरीका है जिसमें प्रत्येक वनकर्मी अपनी गश्त के बारे में और गश्त के दौरान जंगल में उसे जो भी जानवर या चिन्ह मिलते हैं उसकी समस्त जानकारी एम-स्ट्राइप्स एप में दर्ज कर सकता है। इस प्रकार प्रत्येक वनकर्मी की गश्त को शामिल करते हुए एम-स्ट्राइप्स सॉफ्टवेयर की मदद से टाइगर रिजर्व क्षेत्र की समेकित पेट्रोलिंग रिपोर्ट तैयार की जा सकती है, जिससे यह पता चलता है कि टाइगर रिजर्व के किन-किन क्षेत्रों में कब-कब और कितनी गश्त हुई और गश्त के दौरान जंगल में क्या-क्या दिखा। सॉफ्टवेयर के माध्यम से गश्त की सघनता और गुणवत्ता का भी पता चलता है जिससे बाघ सुरक्षा और निगरानी के लिए गश्त की रणनीति बनाने में भी मदद मिलती है। इससे एक फायदा यह भी होता है कि वनकर्मियों को अपनी कड़ी मेहनत और रात्रि गश्त को साबित करने के लिए किसी साक्ष्य की जरूरत नहीं पड़ती। एम-स्ट्राइप्स का डेटा यह बता देता है कि किस वनकर्मी ने कैसी गश्त की है, जिससे मेहनती वनकर्मियों को चिन्हित कर उनका उत्साहवर्धन करना संभव हो पाता है।

 

चुनौती ये थी कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के निर्देश के बावजूद, जब मैंने जून 2018 में उत्तर प्रदेश राज्य के दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर का कार्यभार ग्रहण किया, दुधवा समेत  किसी भी टाइगर रिजर्व  में एम-स्ट्राइप्स एप आधारित स्मार्ट पेट्रोल स्थापित नहीं हो पाया था। इसके कई कारण थे। पहला कारण था कि तकनीक का इस्तेमाल करने में उम्रदराज वनकर्मियों में स्वाभाविक अनिच्‍छा थी। दूसरा कारण था कि गश्त की वास्तविक स्थिति ज्ञात होने से ऐसे वनकर्मी जो गश्त से बचते थे, या बहाना करते थे, एक्सपोज होने से सशंकित थे। तीसरा कारण था कि वनकर्मियों के पास स्मार्ट फोन नहीं थे और उनमें हैंड्स ऑन ट्रेनिंग का पूर्णतः अभाव था। चौथा कारण ईमानदार और मेहनती गश्त करने वालों की पहचान और उनके लिए प्रोत्साहन की कोई व्यवस्था नहीं थी। और पांचवां सबसे बड़ा कारण एम-स्ट्राइप्स आधारित पेट्रोलिंग को कोई, हर दिन हर रात, निरंतर तब तक मॉनिटर करने का नेतृत्व नहीं था जब तक क‌ि यह व्यवस्था भलीभांति स्थापित न हो जाए।

दुधवा टाइगर रिजर्व, भारत-नेपाल सीमा पर तराई क्षेत्र में स्थिति है, जहां बाघ के अलावा हाथी, गैंडे, भालू, तेंदुए और बारासिंघा जैसे महत्वपूर्ण वन्यजीव पाए जाते हैं। नेपाल से सटे होने के कारण यह क्षेत्र संगठित वन्यजीव अपराध और अवैध व्यापार की दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील है। बारिश के मौसम में जंगल में पानी भरने और बड़ी-बड़ी घासें उग आने के कारण इसमें पैदल गश्त करना बहुत मुश्किल हो जाता है। जंगल के कच्चे रास्तों पर चौपहिया वाहन भी नहीं चल पाते और ये पूरा का पूरा क्षेत्र पहुंच की दृष्टि से दुरूह हो जाता है। जिसका फायदा उठाकर अपराधी वन्यजीव शिकार और पेड़ काटने का उद्यम करते हैं। इसलिए बारिश के मौसम में जंगल पर्यटकों के लिए बंद हो जाते हैं और पार्क प्रशासन 'ऑपरेशन मानसून' चला कर वन क्षेत्र में गश्त और सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम करता हैं।

दुधवा टाइगर रि़जर्व में एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल की शुरुआत जून 2018 के मध्य में 'ऑपरेशन मानसून' के दौरान हुई। इसके लिए कुछ अधिकारी व वनकर्मी आगे आए और अपने व्यक्तिगत स्मार्टफोन का इस्तेमाल स्मार्ट पेट्रोलिंग में करने को सहर्ष तैयार हुए। दुधवा टाइगर रिजर्व के व्हाट्सप्प ग्रुप में गश्ती टीमों की तस्वीरें साझा करने की  प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल करने वाले वनकर्मियों की तस्वीरें और किए गए पेट्रोल का ट्रैक डिटेल, स्क्रीन शॉट लेकर, शेयर किया जाने लगा। इस एक महीने में बमुश्किल 14 से 15 वनकर्मियों ने एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल की, परन्तु गाड़ी चल पड़ी थी और लोग उत्साहित होने लगे थे। अधिक से अधिक वनकर्मी एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल से जोड़ने के लिए 28 जुलाई 2018 को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की मदद से दुधवा में 2 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें यह तय किया गया कि 29 जुलाई जोकि विश्व में 'अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस' के रूप में मनाया जाता है के दिन सभी अधिकारी और वनकर्मी अलग-अलग टुकड़ियों में 'लॉन्ग रूट पेट्रोलिंग' करेंगे। ये तरकीब कामयाब रही। इससे वनकर्मियों में टीम भावना बलवती हुई और दुधवा के सभी अधिकारिओं और कर्मचारियों की विभिन्न टीमों ने मिलकर तकरीबन 750 किलोमीटर की गश्त एक दिन में कर दी।

अगस्त' 2018 बीतने के बाद जब एम-स्ट्राइप्स के इस्तेमाल से की गई स्मार्ट पेट्रोलिंग की रिपोर्ट तैयार हुई तो  पता चला की बमुश्किल 10 हजार किलोमीटर की पेट्रोलिंग पूरे महीनें में हो पाई थी। ऐसी स्थिति में जरूरी था स्टाफ को मोटीवेट करना, उनको व्यक्तिगत स्तर पर ट्रेनिंग देकर स्मार्ट पेट्रोलिंग के लिए तैयार करना और अधिकारिओं का खुद पेट्रोलिंग में हिस्सा लेना। धीरे-धीरे अधिकारी और वनकर्मी इस काम में जुड़ने लगे और हर महीनें एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल करने वालों की संख्या बढ़ने लगी। एक रणनीति के तहत 'ऑपरेशन मानसून' की अवधि बढ़ाकर चार माह कर दी गई और उसे 15 अक्टूबर तक खींचा गया, जिससे एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल करने वालों की संख्या बढ़कर 50 पार कर गई और प्रति माह की गई गश्त का औसत भी 12-13 हजार किलोमीटर पहुंच गया। इस दौरान एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल ने वनकर्मियों में एक नई ऊर्जा का संचरण कर दिया जिसका परिणाम 'ऑपरेशन मानसून' के दौरान 67 वन अपराधिओं को पकड़कर जेल भेजने की सफलता में परिलक्षित हो रहा था। आखिरकार नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी ने दुधवा टाइगर रिजर्व की मिसाल पेश करते हुए देश के सभी टाइगर रिजर्व को एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल करने की सलाह दी। दुधवा के लिए ये फक्र की बात थी।

धीरे धीरे एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल दुधवा के हर क्षेत्र में किया जाने लगा और हर महीने के रिपोर्ट तैयार होने लगी। जनवरी 2019 आते आते एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल करने वाले वनकर्मियों की संख्या 100 पार कर गई और जुलाई से जनवरी तक का किया गया कुल एम-स्ट्राइप्स पेट्रोल एक लाख किलोमीटर के पार हो गया। इस दौरान दुधवा प्रशासन ने वनकर्मियों को स्मार्ट फोन उपलब्ध करने शुरू कर किए थे और हर महीने स्टाफ का फीड बैक लेकर वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से आ रही कठिनाइयां साझा की जा रही थीं ताकि एम-स्ट्राइप्स एप और सॉफ्टवेयर में जरुरी बदलाव किए जा सके। मार्च 2019 आते आते दुधवा में स्मार्ट पेट्रॉल करने वाले वनकर्मियों की संख्या 150 पार कर गई और कुल किया गया पेट्रॉल डेढ़ लाख किलोमीटर से अधिक। दुधवा के लगभग सभी क्षेत्रों में हाईएस्ट इंटेंसिटी की पेट्रोल सुनिश्चित होने लगी थी। इस दौरान गश्त करते हुए मशहूर गोल्फर ज्योतिसिंह रंधावा सहित लगभग 150 अभियुक्तों को पकड़कर जेल भेजा जा चुका था। सबसे बड़ी बात यह थी की यह काम बिना एक दिन नागा किए अनवरत चल रहा था। स्टाफ हर रात अपनी गश्त की तस्वीर व्हाट्सप्प पर साझा कर रहा था जिसकी सघन मॉनिटरिंग की जा रही थी। अंततः दुधवा में जून 2019 में एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल ने अपनी एक साल की अनवरत यात्रा पूर्ण कर ली। तब तक इस अभियान में 200 से ज्यादा वनकर्मी जुड़ चुके थे और दो लाख किलोमीटर से ज्यादा की गश्त सभी टीमों ने मिलकर कर पूरा कर लिया था और पकड़े गए अभियुक्तों की संख्या 200 का आंकड़ा छू रही थी, जो पिछले साल के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा थी। इंटरपोल द्वारा चिन्हित बाघों के शिकार में लगे गिरोह का सरगना फरियाद उर्फ लम्बू को पकड़कर उसके नेटवर्क को गौढ़ियों समेत ध्वस्त कर दिया गया था और पंक्षियों और कछुओं का शिकार करने वाले संगठित गिरोहों पर भी नकेल कसी जा चुकी थी।\

एम-स्ट्राइप्स आधारित पेट्रॉल ने दुधवा में बाघ और उसके प्राकृतिकवास को सुरक्षित करने के कार्य को एक नया आयाम दिया, जिससे मात्र एक साल के भीतर टाइगर रिजर्व में बाघ, हाथी और भालू की साईटिंग बढ़ गई। शाकाहारी जानवरों की गणना के परिणाम भी उत्साहजनक आए। दुधवा के कोर और बफर दोनों क्षेत्रों में बारासिंघा और पाढ़ा की ब्रीडिंग देखी गई और कई महत्वपूर्ण क्षेत्र में शाकाहारी जीवों की हर्ड साइज में बढ़ोत्तरी देखी गई। दुधवा टाइगर रिजर्व ने पूरे देश में एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल को सफलतापूर्वक स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसकी गूंज पूरे देश में हुई। इसका सारा श्रेय हमारे बहादुर वन कर्मियों को जाता है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बैगर इस मुहिम को कामयाब बनाया। यह लिखते समय शहीद सुखपाल सिंह वनरक्षक भूलना संभव नहीं है जिन्होंने शुरुआती दिनों में न सिर्फ एम-स्ट्राइप्स स्मार्ट पेट्रोल को  सहर्ष अपनाया बल्कि जंगल बचाने के लिए अपनी जान की आहुति भी दे दी।

(लेखक भारतीय वन सेवा, उत्तर प्रदेश संवर्ग के अधिकारी हैं और जून 2018 से जुलाई 2019 के मध्य फील्ड डायरेक्टर दुधवा के पद पर तैनात रहे।)

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad