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शपथ ग्रहण करने के बाद बताऊंगा क्यों स्वीकार की राज्यसभा की सदस्यता: पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई

सोमवार देर शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई का नाम...
शपथ ग्रहण करने के बाद बताऊंगा क्यों स्वीकार की राज्यसभा की सदस्यता: पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई

सोमवार देर शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई का नाम राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इसके बाद से इस मामले पर विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि, राजनीतिक बयानबाजी के बीच अब रंजन गोगोई ने कहा कि वह शपथ ग्रहण के बाद बताएंगे कि राज्यसभा जाने का प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया। गोगोई को लेकर इस खबर के सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस का वो बयान भी शेयर किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद अगर कोई जज कोई पद स्वीकार करता है तो ये न्यायिक व्यवस्था पर एक दाग है।

राज्यसभा की सदस्यता लेने के सवाल पर पूर्व चीफ जस्टिस ने शपथ ग्रहण करने के बाद इसका जवाब देने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘मैं संभवतः कल (बुधवार को) दिल्ली जाऊंगा... मुझे शपथ ग्रहण करने दीजिए, फिर विस्तार से मीडिया को बताऊंगा कि मैंने राज्यसभा की सदस्यता क्यों स्वीकार की’।

जानें पूर्व सीजेआई गोगोई ने कब दिया था ये बयान

सीजेआई रहते हुए रंजन गोगोई ने 27 मार्च 2019 को 18 से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई करते हुए ये बयान दिया था। अर्ध न्यायिक पैनल में रिटायर जजों के शामिल होने के मामले पर पूर्व सीजेआई गोगोई ने सख्त टिप्पणी की थी कि ऐसी नियुक्तियां न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर एक दाग लगाता है।

कांग्रेस ने साधा निशाना

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर मंगलवार को दावा किया कि गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे। कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, 'न्यायमूर्ति एच आर खन्ना अपनी ईमानदारी, सरकार के सामने खड़े होने और कानून का शासन बरकरार रखने के लिए याद किए जाते हैं।' उन्होंने दावा किया कि न्यायमूर्ति गोगोई राज्यसभा जाने की खातिर सरकार के साथ खड़े होने और सरकार एवं खुद की ईमानदारी के साथ समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे।

 

17 नवंबर को रिटायर हुए हैं गोगोई

पूर्व सीजेआई के मुताबिक, 'रिटायरमेंट के बाद किसी जज के किसी पद पर अपॉइंटमेंट से देश की न्यायिक व्यवस्था की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े होते हैं। आप इसे हैंडल कैसे करेंगे? ये एक बड़ा सवाल है।' बता दें कि रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को प्रधान न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए हैं।

हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में खाली पदों पर भी उठाए थे गोगोई ने सवाल

गोगोई ने इस दौरान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े पदों पर भी टिप्पणी की। गोगोई ने कहा था कि यहां तक कि हाईकोर्ट कोलेजियम भी नियुक्तियां नहीं कर पा रहा है। पूर्व सीजेआई ने कहा था, 'हर समस्या के लिए सरकार को दोष मत दीजिए। जजों की संख्या के मामले में हमारे राज्यों के हाईकोर्ट को देखिए। ऐसे में अगर हम कुछ अधिकार क्षेत्र ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर करते हैं, तो न्यायिक व्यवस्था पर बढ़ता बोझ थोड़ा कम होगा।'

बतौर सीजेआई सुनाए थे कई अहम फैसले

रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अयोध्या मामले के अलावा, असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस और आरटीआई के दायरे में जैसे कई ऐतिहासिक फैसले दिए।

विवादों में भी रहा था कार्यकाल

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई अपने साढ़े 13 महीनों के कार्यकाल के दौरान कई विवादों में भी रहे। उन पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप भी लगे, लेकिन उन्होंने उन्हें कभी भी अपने काम पर उसे हावी नहीं होने दिया। वह बाद में आरोपों से मुक्त भी हुए। गोगोई उन 4 जजों में भी शामिल थे, जिन्होंने रोस्टर विवाद को लेकर ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

 

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