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ट्रंप के दावे पर राहुल गांधी ने किया शिमला समझौते का जिक्र, जानिए क्या है यह समझौता

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति...
ट्रंप के दावे पर राहुल गांधी ने किया शिमला समझौते का जिक्र, जानिए क्या है यह समझौता

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कश्मीर मसले में मध्यस्थता का ऑफर दिया। इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया तो डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें मध्यस्थता करने को कहा था। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस दावे का खंडन किया है।

वहीं, ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर बयान को लेकर मंगलवार को संसद में खूब हंगामा हुआ। मंगलवार सुबह कांग्रेस की ओर से राज्यसभा और लोकसभा दोनों जगह इस मसले को उठाया गया। राहुल गांधी ने शिमला समझौते का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को कहा है! अगर ये सही है, तो पीएम मोदी ने भारत के हितों और 1972 के शिमला समझौते के साथ धोखा किया है। एक कमजोर विदेश मंत्रालय का खंडन ही काफी नहीं है। पीएम को राष्ट्र को बताना चाहिए कि ट्रंप और उनके बीच बैठक में क्या हुआ था।'

सवाल उठता है कि शिमला समझौता क्या है?

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए 2 जुलाई, 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ। इस समझौते को शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है। शिमला समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किया था। दोनों देशों ने इस समझौते के माध्यम से लंबे समय तक रहने वाली शांति, दोस्ती और सहयोग का संकल्प किया था। शिमला समझौते में कई मार्गदर्शक सिद्धांत हैं, जिनको लेकर दोनों देशों के बीच आपसी सहमति बनी थी कि वे एक-दूसरे के साथ संबंधों को बनाए रखने के लिए उन पर अमल करेंगे। इसके मुताबिक, भारत-पाकिस्तान के बीच सभी मसले द्विपक्षीय तरीके से सुलझाए जाएंगे। भारत अभी तक इस स्टैंड पर कायम रहा है और किसी तीसरी पार्टी के हस्तक्षेप को जगह नहीं दी है।

'शांति और सौहार्द्र को बढ़ावा'

शिमला समझौते के मुताबिक, भारत सरकार और पाकिस्तान सरकार ने संकल्प किया कि दोनों देश आपसी संबंधों को खराब करने वाले विवादों और संघर्षों को समाप्त करेंगे। दोनों सरकारों ने दोस्ताना और सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने और उपमहाद्वीप में दीर्घकालिक शांति की स्थापना का भी संकल्प किया ताकि दोनों देश अपने लोगों के कल्याण के प्रति काम करने के लिए अपने संसाधनों और ऊर्जाओं का इस्तेमाल कर सकें। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भारत सरकार और पाकिस्तान सरकार के बीच इन बातों पर सहमति बनी-

  1. दोनों देशों का संबंध संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों और प्रस्तावों के मुताबिक शासित होगा।
  2. दोनों पक्षों ने अपने मतभेदों के निपटारे के लिए शांतिपूर्ण साधनों को अपनाने का संकल्प लिया। इसके मुताबिक, वे मतभेदों के समाधान के लिए द्विपक्षीय वार्ता का सहारा ले सकते हैं या फिर किसी ऐसे शांतिपूर्ण उपाय अपना सकते हैं जिसको लेकर दोनों के बीच आपसी समहति हो। अगर दोनों देशों के बीच किसी समस्या का अंतिम निपटारा नहीं हो पाता है और मामला लंबित रहता है तो दोनों पक्ष में से कोई भी स्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश नहीं करेगा। दोनों पक्ष किसी ऐसे कृत्यों के लिए सहायता, प्रोत्साहन या सहयोग नहीं करेगा जो शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंधों को बनाए रखने के लिए हानिकारक हैं।
  3. दोनों देश एक-दूसरे के शांतिपूर्ण अस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे, एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करेंगे और समानता एवं आपसी लाभ के आधार पर एक-दूसरे के आंतरिक मामले में दखल नहीं देंगे।
  4. दोनों देशों के बीच सहमति बनी कि संघर्ष के उन बुनियादी मामलों और कारणों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटा लिया जाएगा जिनकी वजह से पिछले 25 सालों से दोनों देशों के बीच संबंध खराब रहा है।
  5. दोनों देशों के बीच एक-दूसरे की राष्ट्रीय एकता, प्रादेशिक अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता और संप्रभु समानता के सम्मान करने को लेकर सहमति बनी।
  6. दोनों देशों ने संकल्प किया कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मुताबिक वे एक-दूसरे की प्रादेशिक अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए न तो खतरा पैदा करेंगे और न ही किसी तरह बल का प्रयोग करेंगे।
  7. दोनों सरकारें अपने अधिकार के अंदर इस तरह के उग्र प्रोपेगैंडा को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएंगी जिनके निशाने पर दोनों में से कोई देश हों। दोनों देश इस तरह की सूचनाओं को आपस में साझा करने को प्रोत्साहन देंगी जिससे उनके बीच दोस्ताना संबंध को बढ़ावा मिले।
  8. संचार को बहाल करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। डाक, टेलिग्राफ सेवा, समुद्र, सीमा डाक समेत सतही संचार माध्यमों और उड़ान समेत हवाई लिंकों को बहाल करेंगे।
  9. दोनों देशों के नागरिकों के लिए यात्रा सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाने का संकल्प किया गया।
  10. दोनों देशों के बीच सहमति बनी कि जहां तक संभव होगा आर्थिक और अन्य सहमति वाले क्षेत्रों में व्यापार और सहयोग बढ़ेगा।
  11. विज्ञान और संस्कृति के मैदान में आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की सहमति बनी। इस संबंध में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल को समय-समय पर मिलना और आवश्यक विवरणों पर काम करना शामिल था।
  12. 17 दिसंबर, 1971 की युद्धबंदी के बाद जो जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा तय हुई है, उसका दोनों पक्ष सम्मान करेंगे। दोनों पक्ष इस संबंध में अपनी पूर्वाग्रहों को त्याग देंगे। दोनों पक्ष में से कोई भी आपसी मतभेदों और कानूनी विवादों के बाद भी इस रेखा को बदलने की एकतरफा कोशिश नहीं करेगा। दोनों पक्ष इस रेखा को लेकर किसी तरह का खतरा पैदा करने या बल का इस्तेमाल करके इसके उल्लंघन से परहेज करेंगे।
  13. दोनों सरकारें इस बात पर सहमत हुईं कि उनके-अपने राष्ट्र प्रमुख भविष्य में आपसी सुविधा के मुताबिक तय समय पर मिलेंगे। इस बीच में टिकाऊ शांति की स्थापना और युद्धबंदियों और शहरी बंदियों की अदला-बदला के सवाल, जम्मू-कश्मीर के अंतिम निपटारे और राजनयिक संबंधों की बहाली समेत संबंधों को सामान्य करने की संभावनाओं पर काम करने के लिए दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मिलते रहेंगे और आपस में चर्चा करेंगे।

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