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सरकार की नीतियों पर हमारा कोई प्रभाव नहीं: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दिल्ली में 'भविष्य का भारत’ नाम के तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे...
सरकार की नीतियों पर हमारा कोई प्रभाव नहीं: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दिल्ली में 'भविष्य का भारत’ नाम के तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ और हिंदुत्व के रिश्ते पर अपनी बात रख रहे हैं।

इस मौके पर मोहन भागवत ने कहा, ‘उनके (भाजपा सरकार) सलाह चाहिए तो वो पूछते हैं। अगर हम दे सकते हैं तो देते हैं। पर उनकी राजनीति पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है। सरकार की नीतियों पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है। वो समर्थ हैं अपने कार्यक्षेत्र में।‘

रिलीजन का अनुवाद धर्म करने से भ्रम

उन्होंने कहा, ‘अस्तित्व की एकता, सबके साथ चलना एकसाथ है। व्यक्ति और समाज परस्पर एकसाथ चल सकता है। हम ये कहते हैं तो लोग कहते हैं कि हिंदू विचार को व्यक्त कर रहे हैं। धर्म शब्द को लेकर भी बड़ा भ्रम है। यह शब्द भारतीय भाषाओं में ही मिलता है। रिलीजन का अनुवाद धर्म से करने में गलतफहमी होती है। धर्म शास्त्र हिंदुओं के लिए नहीं हैं, वह मानवजाति के लिए है। हमारे धर्मशास्त्र हिंदू शब्द आने से पहले ही रचे गए। हमने अपने आपको कभी विश्व से अलग नहीं माना। हम तबसे सारी विविधताओं को लेकर एक राष्ट्र और एक समाज को लेकर चल रहे हैं। इसकी व्याख्या पाश्चात्य शब्दों से नहीं की जा सकती है।

हमारा कोई शत्रु नहीं, न देश में न दुनिया में

भागवत ने कहा, ‘हमारा कोई शत्रु नहीं है, न देश में और न ही विदेश में। हां, हम कई लोगों के शत्रु होंगे और उनसे अपने आपको बचाते हुए उन्हें अपने साथ लेकर चलना ही हिंदुत्व है। हम सबका संतुलित और समन्वय विकास करना चाहते हैं। हमारे यहां कहा गया है कि कमाना मुख्य नहीं है, उसको बांटना मुख्य है। हमारे हिंदुत्व के तीन आधार हैं- देशभक्ति, पूर्व गौरव और संस्कृति।‘

संविधान को मानना सबसे अहम

सरसंघचालक ने कहा, ‘आधुनिक लोकतंत्र में हमने संविधान को स्वीकार किया। ये हमारे लोगों ने ही बनाया है। संविधान का पालन करना सबसे अहम है, यह संघ हमेशा से मानता है। हमारे देश के मूर्धन्य और विचारवान लोगों ने संविधान बनाया है। उसके एक-एक शब्द का महत्व है। संविधान में नागरिक अधिकार, कर्तव्य और प्रस्तावना सभी कुछ है। सबको इसे मानकर ही चलना चाहिए। संविधान की प्रस्तावना में सोशलिस्ट और सेक्युलर बाद में आया सबको पता है, लेकिन अब ये है। अगर हमने अंबेडकर का कहा बंधुभाव उत्पन्न नहीं किए तो हमें कौन से दिन देखने पड़ेंगे, यह बताने की जरूरत नहीं। हिंदुत्व ही बंधुभाव लाने की कोशिश करता है।‘

हमारे खिलाफ संविधान उल्लंघन का एक भी उदाहरण नहीं

भागवत ने कहा, ‘हमने हमेशा कानून और संविधान का सम्मान किया है। हमारे खिलाफ संविधान के उल्लंघन का एक भी उदाहरण नहीं है। हालांकि हम ये भी नहीं कहते कि हम ही भारत के लिए काम कर रहे हैं। एक देश के विकास का केवल एक संगठन दावा कर भी नहीं सकता है।‘

विज्ञान भवन में हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, प्रकाश जावड़ेकर, जितेंद्र सिंह, राम माधव, दलबीर सिंह सुहाग, विजय गोयल, केसी त्यागी, सुब्रमण्यम स्वामी, उमा भारती, आरके सिंह, अमर सिंह आदि राजनेता शामिल हुए।

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