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तल्खियों के बीच मोदी-मनमोहन ने मिलाया हाथ, राहुल भी कई भाजपा नेताओं से मिले

कहते हैं राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। गुजरात चुनाव प्रचार की धूल अब जमीन पर बैठ...
तल्खियों के बीच मोदी-मनमोहन ने मिलाया हाथ, राहुल भी कई भाजपा नेताओं से मिले

कहते हैं राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। गुजरात चुनाव प्रचार की धूल अब जमीन पर बैठ चुकी है और उसके बाद एक सुखद तस्वीर देखने को मिली।

मौका था संसद हमले की 16वीं बरसी का। पिछले कुछ दिनों से तल्खी रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी यहां मिले। उन्होंने एक दूसरे से हाथ मिलाया। चेहरे के भाव कुछ भी रहे हों लेकिन यह राजनीति का एक दूसरा पहलू है, जहां तमाम असहमतियों के बावजूद औपचारिकताएं निभानी पड़ती हैं। जरूर कुछ अदावतें कम हुई होंगी।

इस बार गुजरात में तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोप हुए। सारे कार्ड खेले गए। भाषायी मर्यादाएं भी टूटीं। सारे दांव आजमाए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दफे पूरे चुनाव को खुद पर और गुजराती अस्मिता पर केंद्रित कर दिया। इसी क्रम में उन्होंने पाकिस्तान को भी बीच में खींच लिया। उन्होंने मणिशंकर अय्यर के घर हुई एक मीटिंग का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि गुजरात चुनाव में पाकिस्तान हस्तक्षेप कर रहा है।

इस बयान के बाद मनमोहन सिंह ने तीखे शब्दों में पीएम मोदी की आलोचना की थी और उनसे पद की गरिमा के लिए माफी मांगने को कहा था।

राहुल गांधी भी मिले कई भाजपा नेताओं से

चुनाव में एक दूसरे की खिंचाई करने वाले नेता संसद हमले की बरसी के मौके पर एक लाइन में खड़े दिखाई दिए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी समेत सत्ता और विपक्ष के नेता भारतीय जवानों की शहादत को सम्मान देने के लिए एक साथ खड़े नजर आए। 

राहुल गांधी भी संसद पहुंचे और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। बाद में वे भी सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद समेत सरकार के कई नेताओं से मिलते नजर आए।

संसद हमला

13 दिसंबर 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमलों में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की एक महिला अधिकारी, संसद के 2 सुरक्षाकर्मी और एक माली शहीद हुआ था।

लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने संसद में विस्फोट कर सांसदों को बंधक बनाने की साजिश रची थी। देश के जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया। इसमें 5 आतंकियों को मार गिराया गया था।

जिस दौरान संसद पर हमला हुआ उस समय शीतकालीन सत्र चल रहा था। करीब 100 सांसद, संसद में ही मौजूद थे।

बाद में हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई गई थी। अफजल को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई।

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