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आठ राज्‍यों में हिंदुओं को अल्‍पसंख्‍यक घोषित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने और आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की...
आठ राज्‍यों में हिंदुओं को अल्‍पसंख्‍यक घोषित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने और आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग पर विचार करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा भाषा एक राज्य तक सीमित हो सकती है, लेकिन धर्म का मामला पूरे देश के आधार पर तय होता है। ये याचिका अश्वनी उपाध्याय ने दायर की थी, जिसे खारिज किया गया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह जनहित याचिका दायर की थी। सरकार की ओर से 26 साल पुराने अध्यादेश जिसमें पांच समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित करने को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की है।

याचिका में की गई है ये मांग

बता दें कि जनहित याचिका में अश्वनी उपाध्याय की मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट राज्यवार धार्मिक अल्पसंख्यक की पहचान के बारे में दिशा निर्देश तय करें। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 की धारा 2 (सी) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। इसी कानून के तहत 23 अक्टूबर 1993 को पांच समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था।

याचिका में मांग की गई थी कि राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक दर्जे का निर्धारण न हो बल्कि राज्य में उस समुदाय की जनसंख्या को देखते हुए नियम बनाने के निर्देश दिए जाएं। उपाध्याय ने अल्पसंख्यकों से जुड़े इस अध्यादेश को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास जैसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू भले बहुसंख्यक हों लेकिन आठ राज्यों में वे अल्पसंख्यक हैं, इसलिए उन्हें इसका दर्जा दिया जाना चाहिए।

 

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