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सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के सभी दावे किए खारिज, कहा- चिदंबरम सबूतों से नहीं कर सकते छेड़छाड़

आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को बुधवार को राहत...
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के सभी दावे किए खारिज, कहा- चिदंबरम सबूतों से नहीं कर सकते छेड़छाड़

आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को बुधवार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय की दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि जांच के दौरान चिदंबरम का सामना करने से इनकार करने वाले गवाह को धमकाया या रोका गया था। कोर्ट ने ईडी के इस दावे को स्वीकार नहीं किया कि वह साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं क्योंकि इस समय न तो वह राजनीतिक ताकत हैं और न ही सरकार में किसी पद पर आसीन हैं। साथ ही कोर्ट ने सीलबंद कवर में ईडी द्वारा जमा कराए दस्तावेजों पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इस तरह की सामग्री पर न्यायिक निष्कर्ष निकालना "निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा" के खिलाफ होगा।

जस्टिस आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने पूर्व वित्त मंत्री को जमानत देने से इनकार करने संबंधी दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया। पीठ ने कहा कि चिदंबरम को दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतें पेश करने पर रिहा किया जाये।

नहीं मिले गवाह को धमकाने के सबूत

ईडी ने दलील दी थी कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक गवाह चिदंबरम का सामना करने के लिये तैयार नहीं है क्योंकि दोनों एक ही राज्य के हैं। निदेशालय की इस दलील के बारे में कोर्ट ने कहा कि इसके लिये चिदंबरम को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जबकि ऐसा कोई सबूत सामने नहीं है जिससे यह संकेत मिलता हो कि उन्होंने या उनकी ओर से किसी ने गवाह को ‘रोका या धमकी दी’’ थी।

पीठ ने चिदंबरम को निर्देश दिया कि ईडी द्वारा इस मामले में आगे की आगे जांच के सिलसिले में बुलाये जाने पर वह पूछताछ के लिये उपलब्ध रहेंगे। पीठ ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री ‘‘साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और न ही गवाहों को धमकाने या प्रभावित करने’’ का प्रयास करेंगे। साथ ही  ट्रायल कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बगैर उन्हें देश से बाहर नहीं जाने का भी निर्देश दिया है।

हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है अपीलकर्ता

चिदंबरम द्वारा साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ संबंधी प्रवर्तन निदेशालय की दलील पर पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति में अपीलकर्ता न तो राजनीतिक ताकत है और न ही सरकार में किसी पद पर है जिससे वह हस्तक्षेप करने की स्थिति में हो। इस स्थिति में पहली नजर में इस तरह के आरोप स्वीकार नहीं किये जा सकते।’’

तथ्यों और परिस्थितियों पर किया जाना चाहिए आकलन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि आर्थिक अपराध गंभीर किस्म के होते हैं लेकिन जमानत संबंधी बुनियादी न्याय वही है कि आरोपी को जमानत देना नियम है और इससे इनकार अपवाद है। पीठ ने अपने 37 पेज के फैसले में कहा कि कोर्ट को जमानत याचिका पर विचार करते समय अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखना जरूरी है, लेकिन अपराध की गंभीरता का आकलन तो प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर किया जाएगा।

सीलबंद कवर में दस्तावेज जमा कराने की प्रथा ठीक नहीं

जांच एजेन्सी द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों के बारे में पीठ ने कहा कि वह पहले ही यह व्यवस्था दे चुकी है कि यह जांच की कार्यवाही सही दिशा में चलने के बारे में आश्वस्त होने के लिये कोर्ट पर निर्भर करेगा कि वह ऐसे दस्तावेजों का अवलोकन करे या नहीं। उन्होंने इस प्रथा की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की सामग्री पर न्यायिक निष्कर्ष निकालना "निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा" के खिलाफ होगी।

हाई कोर्ट पर उठाए सवाल

पीठ ने कहा कि शुरू में वह सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों के अवलोकन के पक्ष में नहीं थी। चूंकि हाई कोर्ट ने इनका अवलोकन किया था, इसलिए इन पर गौर करना जरूरी हो गया था ताकि खुद को उस हद तक संतुष्ट कर सकें। पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश सामग्री के आधार पर निष्कर्ष निकालना न्यायोचित नहीं था। जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान, चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और ए एम सिंघवी ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा ईडी की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों को सीलबंद कवर में रिकॉर्ड करने का जोरदार विरोध किया था।

ट्रायल कोर्ट में साबित करना होगा आरोप

पीठ ने कहा कि रिकार्ड में मौजूद बयान और एकत्र की गयी सामग्री का संज्ञान लिया भी जाये तो अपीलकर्ता चिदंबरम की भूमिका को ट्रायल कोर्ट में ही साबित करना होगा और यदि दोषी पाये गये तो अपीलकर्ता को सजा भुगतनी होगी। कोर्ट ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि एक सह-आरोपी को हाई कोर्ट ने जमानत दे रखी है जबकि अन्य आरोपी गिरफ्तारी से संरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।

चिदंबरम को पहली बार आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को जमानत दे दी थी। इसी दौरान 16 अक्टूबर को ईडी ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले से मिली रकम से जुटे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया था।

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