Advertisement

पुणे यूनिवर्सिटी का फरमान, अब मांसाहारी छात्रों को नहीं मिलेगा गोल्ड मैडल

पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी ने छात्रों के लिए एक अजीबो-गरीब फरमान जारी किया है। यूनिवर्सिटी...
पुणे यूनिवर्सिटी का फरमान, अब मांसाहारी छात्रों को नहीं मिलेगा गोल्ड मैडल

पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी ने छात्रों के लिए एक अजीबो-गरीब फरमान जारी किया है। यूनिवर्सिटी के नए फरमान में कहा गया है कि अब उन्हीं छात्रों का गोल्ड मेडल दिया जाएग, जो छात्र शाकाहारी होंगे और शराब का सेवन नहीं करते होंगे।

गोल्ड मेडल के लिए जो सर्कुलर लागू हुए हैं उनमें ऐसी कुल 10 शर्तें तय की गई हैं, जो महर्षि कीर्तंकर शेलार मामा गोल्‍ड मेडल के लिए छात्रों की योग्यता तय करते हैं। यह मेडल योग महर्षि रामचंद्र गोपाल शेलर ट्रस्ट की तरफ से दिया जाता है। साल 2016-17 के मेडल के लिए ट्रस्ट की ओर से छात्रों के लिए यह शर्त रखी गई है। ट्रस्त की ओर से ये मेडल साइंस और नॉन साइंस के पीजी छात्रों को दिया जाता है।

10 शर्तों के साथ ही यूनिवर्सिटी ने अपने सारे कॉलेजों को सर्कुलर भेज दिया है। सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि जो छात्र प्राणायाम और योग करेंगे उन्हें प्रमुखता दी जाएगी। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, पढ़ाई-लिखाई में बेस्ट रहने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया जाएगा। वहीं, गोल्ड मेडल पाने के लिए आवेदक को 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई में पहली श्रेणी या दूसरी श्रेणी के साथ पास होना चाहिए, लेकिन इस जानकारी में जिस मुद्दे पर विवाद छिड़ा वह है संख्या नंबर 7 जिसमें लिखा गया है कि इस मेडल के लिए केवल शाकाहारी और शराब न पीने वाले छात्र ही आवेदन कर सकते हैं।

गोल्ड मेडल के मुद्दे पर यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए नए फरमान के शर्त नंबर सात पर बवाल बढ़ता देख यूनिवर्सिटी ने अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि यह शर्त मेडल के प्रायोजकों द्वारा रखी गई है। यूनिवर्सिटी के अधिकारी ने बताया, चूंकि सभी पुरस्‍कार बाहरी लोगों द्वारा प्रायोजित किए जाते हैं, तो हम उनके ही नियम व शर्तों का पालन करते हैं।

इस फरमान पर शिवसेना और एनसीपी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। एक ओर जहां शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने यूनिवर्सिटी के इस फैसले की निंदा की है। साथ ही, यह भी कहा है कि कोई क्या खाए, क्या ना खाए ये उसका अपना फैसला होना चाहिए। यूनिवर्सिटी को केवल पढ़ाई पर ध्‍यान देना चाहिए।

वहीं, दूसरी ओर एनसीपी की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने ट्विट किया, पुणे यूनिवर्सिटी का यह निराशाजनक और चौंकाने वाला फैसला है। अपने राज्‍य की शिक्षा पर मझे गर्व है, लेकिन हमारी यूनिवर्सिटी को क्‍या हो गया है। कृपया पढ़ाई पर ध्‍यान केंद्रित करें, खाने पर नहीं।


वहीं, यूनिवर्सिटी के कई लोगों का कहना है कि यह सर्कुलर काफी पुराना है और 10 साल पहले जारी किया गया था जबकि सर्कुलर की संख्या 225/2017 स्‍पष्‍ट रूप से बताता है कि यह इसी वर्ष जारी हुआ है। सर्कुलर पर 31 अक्‍टूबर, 2017 की तारीख भी अंकित है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad