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रिहा होने के बाद बोले फारुक अब्दुल्ला, यह आजादी तब पूरी होगी जब सभी नेता होंगे रिहा

जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ दायर सार्वजनिक...
रिहा होने के बाद बोले फारुक अब्दुल्ला, यह आजादी तब पूरी होगी जब सभी नेता होंगे रिहा

जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ दायर सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) को निरस्त किए जाने के बाद अब उन्हें रिहा कर दिया गया है। रिहा होने के बाद फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं राज्य के लोगों और बाकी नेताओं और देश के बाकी हिस्सों के लोगों का आभारी हूं, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए बात की। यह आजादी तब पूरी होगी जब सभी नेता रिहा होंगे। मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार सभी को रिहा करने की कार्रवाई करेगा।इसके साथ ही फारुक अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि आज मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैं आज आजाद हूं; अब, मैं दिल्ली जाऊंगा और संसद में उपस्थित रहूंगा और आप सभी से बात करूंगा।

बता दें कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद यानी 5 अगस्त को फारुक अब्दुल्ला को हाउस अरेस्ट किया गया था। करीब सात महीने बाद सरकार ने उनकी नजरबंदी को खत्म कर दिया है। हालांकि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने शुक्रवार को उनकी नजरबंदी खत्म किए जाने को लेकर आदेश जारी कर दिए हैं।

फारूक के खिलाफ 17 सितंबर को दर्ज किया गया था पीएसए

दरअसल, फारूक अब्दुल्ला को 5 अगस्त से हाउस अरेस्ट में रखा गया था, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ पिछले साल 17 सितंबर को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) का केस दर्ज किया था। इसके बाद उन्हें तीन महीने के लिए नजरबंद कर दिया गया था। तीन महीने की मियाद 15 दिसंबर को खत्म होने वाली थी, उससे दो दिन पहले यानी 13 दिसंबर को उनकी नजरबंदी 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई थी। जिसके बाद अब उनकी नजरबंदी को खत्म करने का फैसला किया गया है।

5 अगस्त से थे नजरबंद

बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद से घाटी में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए वहां के स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था। इनमें फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन सहित कई नेता शामिल थे। बता दें कि विपक्ष ने सियासी दलों की नजरबंदी पर सवाल उठाते हुए संसद में यह मसला उठाया था। कांग्रेस एवं कुछ अन्य विपक्षी दलों ने सदन का बाकायदा वाकआउट किया था।

अभी भी हिरासत में उमर और महबूबा

फारूक अब्दुल्ला के अलावा उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, आईएएस अफसर से नेता बने शाह फैसल समेत कई नेताओं पर पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था। इसके बाद सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। अभी उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, शाह फैसल समेत कई नेता हिरासत में हैं।

पीएसएके तहत 396 लोगों पर कार्रवाई

कुछ दिन पहले ही गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर में 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा था कि हिरासत में लिए गए कुल 451 में से 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है, जिन लोगों को पीएसए के तहत हिरासत या नजरबंद रखा गया है, उनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हैं। इसमें से फारूक को आज यानी शुक्रवार को रिहा कर दिया गया।

कई दिनों से हो रही थी रिहा करने की मांग

फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग कई दिनों से हो रही थी। इनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गई थी। लोकसभा और राज्यसभा में भी यह मामला उठा। इस पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जहां तक नेताओं को जेल से रिहा करने का विषय है, मैं यह कहना चाहता हूं हम किसी को एक दिन भी जेल में नहीं रखना चाहते हैं। जब जम्मू एवं कश्मीर का प्रशासन निर्णय करेगा उन्हें (नेताओं) को रिहा कर दिया जाएगा।

क्या बोले थे राजनाथ सिंह

पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के हिरासत में रखे जाने के नजरबंदी पर कहा था कि इन तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों कि रिहाई के लिए वो खुद प्रार्थना कर रहे हैं। सिंह ने उम्मीद जताई थी कि रिहा होने के बाद तीनों पूर्व सीएम, कश्मीर के हालात को सामान्य बनाने और विकास करने में योगदान देंगे।

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