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चार सालों में प्लास्टिक सर्जरी से लेकर टेस्ट ट्यूब बेबी तक दिए गए अजीबो-गरीब बयान

विज्ञान का मतलब है चीजों को तार्किक तरीके से परखना या प्रयोगों के बाद उन पर विश्वास करना। लेकिन पिछले...
चार सालों में प्लास्टिक सर्जरी से लेकर टेस्ट ट्यूब बेबी तक दिए गए अजीबो-गरीब बयान

विज्ञान का मतलब है चीजों को तार्किक तरीके से परखना या प्रयोगों के बाद उन पर विश्वास करना। लेकिन पिछले चार सालों में विज्ञान को लेकर तरह-तरह दावे करने वाले ऐसे बयानों की बाढ़ आई है, जो तर्क से परे लगते हैं। हाल ही में आंध्र प्रदेश यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जी. नागेश्वर राव ने दावा कर दिया कि कौरवों का जन्म स्टेम सेल और टेस्ट ट्यूब टेक्नोलॉजी से हुआ था और यह ज्ञान भारत को सालों पहले मिल चुका था।

उन्होंने कहा कि हर कोई हैरान होता है और किसी को भी विश्वास नहीं होता कि गांधारी ने कैसे 100 बच्चों को जन्म दे दिया। बतौर इंसान यह कैसे मुमकिन है? क्या कोई महिला एक जीवन में 100 बच्चों को जन्म दे सकती है?  उन्होंने आगे कहा कि अब हम मानते हैं हमारे टेस्ट ट्यूब से बच्चे होते हैं। महाभारत भी कहता है कि 100 अंडों को 100 घड़ों में रखा गया था। क्या वह टेस्ट ट्यूब बेबी नहीं थे? स्टेम सेल टेक्नोलॉजी देश में 1000 सालों से मौजूद है।

'अल्बर्ट आइंस्टीन ने दुनिया को गुमराह किया'

इसके अलावा 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के दौरान एक वैज्ञानिक महोदय ने अल्बर्ट आइंस्टीन को खारिज करते हुए कहा कि आइंस्टीन ने प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी को लेकर दुनिया को गुमराह किया। साथ ही जगाथला कृष्णन नाम के यह वैज्ञानिक यहीं नहीं रुके। उन्होंने विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन के बारे में कहा कि वह एक दिन कलाम से बड़े वैज्ञानिक बनेंगे। उन्होंने पीएम मोदी की मौजूदगी में उनकी शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा कि आने वाले समय में गुरुत्वाकर्षण तरंगों को 'नरेंद्र मोदी तरंग' कहा जाएगा। 

ऐसे में इस तरह के बयानों पर एक नजर डालते हैं, जिनमें विज्ञान के बहाने अजीबो-गरीब दावे किए गए।

'दुनिया की पहली प्लास्टिक सर्जरी गणेश जी की हुई'

2014 में एक निजी अस्पताल का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'विश्व को प्लास्टिक सर्जरी का कौशल भारत की देन है। दुनिया में सबसे पहले गणेश जी की प्लास्टिक सर्जरी हुई थी, जब उनके सिर की जगह हाथी का सिर लगा दिया गया था।' 

स्टीफन हॉकिंग, आइंस्टाइन और हर्षवर्धन

पिछली बार भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 105वें सेशन में स्वयं देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने दावा किया था कि महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भारतीय वेदों को अल्बर्ट आइंस्टाइन की थ्योरी और रिलेटिविटी सिद्धांत से काफी बेहतर मानते थे। हालांकि जब हर्षवर्धन से इस दावे का प्रमाण मांगा गया तो उन्होंने कहा कि आप लोग सोर्स ढूंढें। इस बात का रिकॉर्ड है कि स्टीफन ने कहा था कि वेदों में आइंस्टाइन के दिए फॉर्मूले से बेहतर फॉर्मूला है। आप लोग भी इस पर थोड़ा काम करिए। सूत्रों का पता लगाइए।

केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह का इवॉल्यूशन सिद्धांत

केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने मानव के ईवॉल्यूशन पर चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत को ‘वैज्ञानिक रूप से गलत’ बताया था। यही नहीं, उन्होंने स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव की भी हिमायत की थी।

सिंह ने कहा था, 'हमारे पूर्वजों ने कभी किसी एप (Ape) के इंसान बनने का उल्लेख नहीं किया है।' उन्होंने कहा, ‘चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है। स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है। इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है।’

महाभारत काल में था इंटरनेट और सैटेलाइट: बिप्लब देब

भाजपा नेता और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने कहा था कि महाभारत के दौर में भी इंटरनेट था। उनका मानना था, ‘संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर धृतराष्ट्र को बताया था कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध में क्या हो रहा है। संजय इतनी दूर रहकर आंख से कैसे देख सकते है। इसका मतलब है कि उस समय भी तकनीक, इंटरनेट और सैटेलाइट था। उन्होंने कहा कि बीच में बहुत कुछ बदलाव आया है, लेकिन उस जमाने में भी तकनीक थी।‘ 

राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री, न्यूटन और ब्रह्मगुप्त द्वितीय

राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर अलग ही दावा जता दिया था। उन्होंने कहा था, 'हम सबने पढ़ा है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने दिया था, लेकिन गहराई में जानने पर पता चलेगा कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से एक हजार वर्ष पूर्व ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था।'

क्लाइमेट चेंज और पीएम मोदी

प्रधानमंत्री बनने के बाद 5 सितंबर, 2014 को पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश भर के स्कूली बच्चों से सवाल-जवाब सत्र में हिस्सा लिया था। असम के एक छात्र ने पर्यावरण में आ रहे बदलावों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की और प्रधानंत्री से पूछा कि उनकी सरकार इसे रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है। इस पर मोदी ने कहा, 'हमारे बुजुर्ग हमेशा यह शिकायत करते हैं कि इस बार पिछले साल से अधिक ठंड है। असल में यह उनकी बढ़ती उम्र और सहने की कम होती शक्ति की वजह से उन्हें ज्यादा ठंड महसूस होती है। पर्यावरण नहीं बदला है, हम बदल गए हैं।'

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