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सच और सरोकारों को समर्पित संपादक का चले जाना

प्रबुद्ध पत्रकार और नेशनल हेराल्ड व नवजीवन के प्रधान संपादक नीलाभ मिश्र का आज सुबह 7.30 बजे चेन्नै के...
सच और सरोकारों को समर्पित संपादक का चले जाना

प्रबुद्ध पत्रकार और नेशनल हेराल्ड व नवजीवन के प्रधान संपादक नीलाभ मिश्र का आज सुबह 7.30 बजे चेन्नै के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। वे 57 वर्ष के थे और काफी दिनों से लीवर संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। एम्स में कई महीने इलाज के बाद उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट के लिए अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन ऐसा हो पाता इससे पहले ही उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। अंतिम समय में उनकी अभिन्न साथी कविता श्रीवास्तव, कई दोस्त और परिजन उनके साथ मौजूद थे। आज दोपहर बाद चेन्नै में ही उनके पार्थिव शरीर का विद्युत दाह किया गया। अपने पीछे नीलाभ प्रतिबद्धता और ईमानदारी की विरासत छोड़ गए हैं। 

बेहद मृदु भाषी, सरल स्वभाव और विलक्षण बौद्धिक प्रतिभा के धनी नीलाभ मिश्र के निधन से न सिर्फ पत्रकारिता बल्कि सामाजिक, अकादमिक क्षेत्र में सक्रिय लोगों को गहरा दु:ख पहुंचा है। अपने जनपक्षधर लेखन, सच कहने के साहस, संपादकीय नेतृत्व, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरोकारों की वजह से वे हमेशा याद किए जाएंगे। उदार, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष विचारक के तौर वे हमेशा नफरत की राजनीति के खिलाफ रहे। जन आंदोलनों के साथी बनकर आम जनता से जुड़े मुद्दों को उठाते रहे। 

नेशनल हेराल्ड और नवजीवन का डिजिटल प्रकाशन फिर शुरू करने की जिम्मेदारी संभालने से पहले नीलाभ मिश्र 2008 से 2015 तक 'आउटलुक हिंदी' के संपादक थे। इस दौरान उन्होंने मानवाधिकारों के हनन, दलित उत्पीड़न, अल्पसंख्यकों के शोषण, सूचना के अधिकार, ग्रामीण संकट और अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। आउटलुक हिंदी में उन्होंने 2003 में सह संपादक के तौर पर अपना सफर शुरू किया था। शुरुआत से ही उन्होंने पत्रिका के वैचारिक पक्ष को मजबूत आधार देने और जमीनी रिपोर्टों को जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में आउटलुक हिंदी मासिक से पाक्षिक हुई और पाठकों के बीच अपने तेवर की वजह से खास पहचान बनाने में कामयाब रही। वे लंबे समय तक आउटलुक अंग्रेजी के स्तंभकार भी रहे। अंग्रेजी में भी उनका कॉलम काफी चर्चित रहा। आउटलुक परिवार उनके निधन से अत्यंत दुखी है और उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करता है। आउटलुक हिंदी के संपादक हरवीर सिंह ने नीलाभ मिश्र के निधन को पत्रकारिता के लिए बड़ा नुकसान बताया है। 


 

नीलाभ मिश्र ने पत्रकारिता की शुरुआत 1986 में नवभारत टाइम्स के पटना संस्करण से की थी। इसके बाद उन्होंने जयपुर में ईटीवी समूह के अखबार न्यूजटाइम के साथ राजस्थान ब्यूरो चीफ के तौर पर काम किया। इस दौरान उन्होंने राजस्थान के दूर-दराज इलाकों से कई जमीनी रिपोर्ट कीं। भुखमरी और पारदर्शिता पर उनके लेखन और सक्रियता ने रोजगार गारंटी, सूचना के अधिकार और भोजन के अधिकार को कानूनी हक के तौर पर पहचान दिलाने में उल्लेखनीय योगदान किया। देश के कई नागरिक संगठनों के लिए वे मार्गदर्शक और मित्र की तरह थे। 

नागरिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपने सरोकारों को उन्होंने हमेशा आगे रखा। साथ ही साहित्य-संस्कृति, इतिहास और लोक जीवन से भी उन्हें बेहद अनुराग था। भाषा और संपादन पर उनकी मजबूत थी। जितने बड़े विद्वान थे, उतने ही सरल, सज्जन भी। नए लोगों से सीखने और उन्हें सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। पत्रकारों की एक पूरी पीढ़ी और उनके साथ काम करने वाले लोगों पर उनकी गहरी छाप रहेगी। उनकी स्मृतियां उनके मूल्यों और आदर्शों पर अडिग रहने की प्रेरणा देती रहेंगी। 

पत्रकारिता, सामाजिक, राजनैतिक और अकादमिक जगत से जुड़े बहुत से लोगों ने नीलाभ मिश्र के निधन पर शोक प्रकट करते हुए अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि नीलाभ मिश्र संपादकों के संपादक थे और हमेशा सच्चाई के पक्ष में खड़े रहते थे। 

 









 

 

 

 

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