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भीमा कोरेगांव में याचिकाकर्ता बोले- बिना तथ्यों और दुर्भावना से हुई गिरफ्तारी

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में...
भीमा कोरेगांव में याचिकाकर्ता बोले- बिना तथ्यों और दुर्भावना से हुई गिरफ्तारी

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि आपराधिक मामला दुर्भावना और एकतरफा है। कोर्ट को आजादी के अधिकार के लिए लोगों को आश्वस्त करना चाहिए। मामले में गुरूवार को सुनवाई जारी रहेगी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्ष रखते हुए पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि ये याचिका पवित्र और निष्पक्ष है। हर नागरिक को उनकी आजादी का अधिकार है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट आंख मूंद कर नहीं रह सकती है। ये सभी गिरफ्तारियां बिना तथ्यों के की गई हैं, राज्य सरकार ने जो भी आरोप लगाए हैं वो कानूनी रूप से गलत हैं।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पुणे पुलिस की सारी कहानी मनगढंत है, सवाल ये है कि जो आदमी 2017 मार्च से जेल में है उसके नाम या उसके नाम से चिट्ठी कैसे और कहां से आई? उन्होंने कहा कि अरुण फरेरा तो बरी हो चुके हैं, वर्नन गोंजाल्विस भी अधिकतर मामलों में बरी हैं। वहीं वरवरा राव कवि और दार्शनिक हैं, उनके खिलाफ भी मुकदमे हैं लेकिन वे बरी हो गए हैं।

सिंघवी ने कहा कि कामरेड प्रकाश वाली चिठ्ठी पूरी तरह से फिक्स दिखती है। महाराष्ट्र पुलिस पहले कह रही थी कि प्रोफेसर साईं बाबा ही कामरेड प्रकाश हैं लेकिन साईं बाबा तो 2017 ही जेल में हैं। उन्होंने फिर कहा कि किसी भी एफआईआर में इनका नाम क्यों नहीं है। आरोपियों की तरफ से आनंद ग्रोवर ने कहा कि हाल में गिरफ्तार हुए लोगों से पहले इसी एफआईआर के तहत सुरेंद्र गडलिंग सहित पांच लोगों को मई में गिरफ्तार किया गया था और फिर एक अन्य एफआईआर दर्ज की गई।

महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रखते हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल  तुषार मेहता ने कहा कि हमारे पास मामले में पुख्ता सबूत हैं, हमने पुलिस की डायरी कोर्ट को सौंप भी दी है।

लिबर्टी पर सुन रहे हैं मामलाः चीफ जस्टिस

इससे पहले 17 सितम्बर को हुई सुनवाई में कहा था कि फिलहाल कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट पर रखने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी। कोर्ट ने कहा था कि मामले को सबूतों के आधार पर परखेगी। 12 सितंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने वरवर राव समेत पांच वामपंथी विचारकों की नजरबंदी और पांच दिन के लिए बढ़ा दी थी। चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम लिबर्टी के आधार पर इस मामले को सुन रहे हैं। स्वतंत्र जांच जैसे मुद्दों पर बाद में चर्चा होगी। हम सिर्फ यह देखना चाहते थे कि कहीं यह मामला कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर या आर्टिकल 32 से जुड़ा हुआ तो नहीं है? साथ ही पुणे पुलिस की ओर से जुटाए गए सुबूत पर्याप्‍त नहीं होने की स्थिति में मामले की जांच एसआईटी को सौंपी जाने की बात कही थी। वहीं, महाराष्ट्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी केवल भीमा कोरेगांव के मामले में गिरफ्तार नहीं हुए हैं, आशंका है कि ये देश में शाति भंग करने के प्रयास में भी हैं।

28 अगस्त को किया था गिरफ्तार

मशहूर तेलुगु कवि वरवरा राव को 28 अगस्त को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था। जबकि गोंजाल्विज और फरेरा को मुंबई से पकड़ा गया था। ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को कोरेगांव-भीमा गांव में यल्गार परिषद के भड़काऊ भाषणों के बाद हुई हिंसा के संबंध में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर को इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए इन पांचों गिरफ्तार लोगों को रिहा करके कुछ दिनों के लिए नजरबंद करने का आदेश दिया था। कोर्ट गिरफ्तारी के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रही है।   

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