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गोरक्षा के नाम पर हिंसाः सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसक घटनाओं पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने इनसे इस तरह की किसी भी घटनाओं को प्रश्रय नहीं देने को कहा है। केंद्र सरकार ने आज जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच को जानकारी दी कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है पर वह देश में किसी भी तरह की अतिसतर्कता का समर्थन नहीं करती है।
गोरक्षा के नाम पर हिंसाः सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

भाजपा शासित गुजरात और झारखंड के वकीलों ने बताया कि गोरक्षा से जुड़ी हिंसक गतिविधियों में शामिल लोगों पर उचित कार्रवाई की गई है। इस दौरान सोशल मीडिया पर गोरक्षा के नाम पर हिंसक सामग्री हटाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को सहयोग करने के लिए कहा गया।

बेंच ने वकीलों की बात सुनने के बाद केंद्र और राज्यों से कहा कि वे चार हिंसा की घटनाओं पर चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट दें। इस मामले पर अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 21 अक्टूबर को गोरक्षा के नाम पर दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ की गई हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सात अप्रैल को छह राज्यों से कार्रवाई को लेकर जवाब मांगा था।

सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन एस पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा है कि गोरक्षकों की हिंसा इस स्तर तक बढ़ गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने इन्हें समाज को बर्बाद करने वाला बताया है। याचिका में कहा गया है कि जो लोग गोरक्षा के नाम पर दलित और अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा कर रहे हैं उन्हें नियंत्रित करने के अलावा सामाजिक समरसता, नैतिकता और देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबंध भी लगा दिया जाना चाहिए। (एजेंसी)

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