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रांची की सीबीआई कोर्ट में पेश हुए लालू यादव, चारा घोटाला मामले में हैं आरोपी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 'चारा घोटाला' मामले...
रांची की सीबीआई कोर्ट में पेश हुए लालू यादव, चारा घोटाला मामले में हैं आरोपी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 'चारा घोटाला' मामले में गुरुवार को रांची की केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में पेश किया गया। लालू प्रसाद को रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के वार्ड से सीबीआई कोर्ट लाया गया। उनका बयान चारा घोटाला मामले में दर्ज किया जाएगा। इस मामले को केस संख्या आरसी 47 ए / 96 के तहद दर्ज किया जाएगा जो रांची के डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से संबंधित है।

107 आरोपियों के बयान किए जा चुके हैं दर्ज

डोरंडा कोषागार मामले में अब तक इस केस से संबंधित 111 आरोपियों में से 107 के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। आरोपियों के बयान दर्ज होने के बाद बचाव पक्ष की ओर से गवाह पेश किए जाएंगे। बता दें कि लालू यादव 'चारा घोटाला' मामले में आरोपी है और 14 साल की सजा काट रहे है। अस्वस्थ होने की वजह से वो रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती है।

6 मामलों में हैं आरोपी

'चारा घोटाला' से संबंधित कुल छह मामलों में लालू प्रसाद आरोपी हैं। झारखंड के पांच मामलों में से चार में उन्हें दोषी ठहराया जा चुका है। फिलहाल पांचवें मामले की सुनवाई रांची की सीबीआई अदालत में चल रही है।

काट रहे है जेल की सजा

'चारा घोटाला' के चार मामलों में लालू यादव को सीबीआई की विशेष अदालत सजा सुना चुकी है जिसमें दुमका कोषागार मामला, देवघर कोषागार मामला और चाईबासा कोषागार के दो मामले शामिल हैं। देवघर मामले और चाईबासा के एक मामले में लालू प्रसाद को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। गौरतलब है कि राजद प्रमुख इन चारों मामलों में रांची के बिरसा मुंडा जेल में सजा काट रहे हैं। वहीं, देवघर मामलों में दो अलग-अलग आरोपों में इन्हें सात-सात साल की दो सजाएं सुनाई गई हैं। करोड़ों रुपये की अवैध तरीके से निकासी से जुड़े 'चारा घोटाला' के इन मामलों में सभी सजाएं एक साथ चल रही हैं।

कब हुआ था 'चारा घोटाला'

आरोप के मुताबिक 90 के दशक में जिस वक्त बिहार और झारखंड का विभाजन नहीं हुआ था उस वक्त पशुचारा आपूर्ति करने के नाम पर सरकारी कोषागार से ऐसी कंपनियों को धनराशि जारी की गई जिनका कोई अस्तित्व नहीं था। जिसके बाद यह मामला सबसे पहले 27 जनवरी, 1996 को पश्चिम सिंहभूम ज़िले के चायबासा में पशुधन विभाग पर मारे गए छापे के बाद प्रकाश में आया था। जिसमें साल 2013 में सीबीआई की अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत 45 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। 

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