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संत रविदास मंदिर मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारे आदेशों को राजनीतिक रंग न दें

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र में स्थित गुरु रविदास मंदिर को...
संत रविदास मंदिर मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारे आदेशों को राजनीतिक रंग न दें

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र में स्थित गुरु रविदास मंदिर को गिराने के उसके आदेश को ‘राजनीतिक रंग’ न दिया जाए। साथ ही कोर्ट ने दिल्‍ली, पंजाब और हरियाणा की सरकारों से कहा है कि मंदिर तोड़ने को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़नी नहीं चाहिए। जस्टिस अरुण मिश्रा और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि सब कुछ राजनीतिक नहीं हो सकता। हमारे आदेश को धरती पर किसी भी व्‍यक्ति के द्वारा राजनीतिक रंग नहीं दिया जा सकता है।

दिल्‍ली विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद मंदिर को तोड़ दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्‍त को गुरु रविदास जयंती समारोह समिति को वन क्षेत्र से कब्‍जा छोड़ने का आदेश जारी किया था। कोर्ट के आदेशों के बावजूद समिति ने जमीन खाली नहीं की थी। डीडीए ने 10 अगस्त को मंदिर को गिरा दिया। मान्यता है कि जहां मंदिर बना था, वहां संत रविदास करीब 500 साल पहले आए थे। इसे तोड़े जाने के बाद से पंजाब और दिल्ली में लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।

मंदिर तोड़ने का हो रहा है विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से 13 अगस्त को मामले में सहायता करने के लिए कहा था। वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि कई संगठन मंदिर तोड़ने के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, इसलिए विरोध प्रदर्शन के पीछे किसी व्यक्ति विशेष की पहचान करना बहुत मुश्किल है। इस पर  पीठ ने कहा कि यदि मामला सुलझा लिया जाता है, तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन यदि मामला बना रहता है तो कोर्ट इसे देखेगा। अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी।

कोर्ट ने पहले भी दी थी चेतावनी

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि वह रविदास समुदाय के सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और उनसे हस्तक्षेप की मांग करेंगे। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी गुरुवार को कहा था कि शिरोमणि अकाली दल-भाजपा का  प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रधानमंत्री से मिलेगा और उनसे मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए जमीन देने की मांग करेगा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर तोड़े जाने का राजनीतिकरण करने, धरना और प्रदर्शन करने के लिए अदालत की अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी थी। कोर्ट ने कहा था कि इस मुद्दे को न तो कोई बढ़ावा दे, न ही कुछ बोले। अन्यथा इसे अवमानना माना जाएगा। पीठ ने कहा कि कोर्ट के फैसले की आलोचना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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