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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देश के नाम संबोधन, कहा- 2047 तक स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह कर लेंगे साकार

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 14...
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देश के नाम संबोधन, कहा- 2047 तक स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह कर लेंगे साकार

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 14 अगस्त के दिन को विभाजन विभीषिका स्मृतिदिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे।

द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम अपना पहला भाषण दिया। उऩ्होंने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि छिहत्तरवें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। उऩ्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।

राष्ट्रपति ने कहा कि ये उत्सव का मौका है। हर घर तिरंगा अभियान चल रहा है। आज हमारे देश के कोने-कोने में तिरंगा शान से लहरा रहा है। देश हर दिन प्रगति कर रहा है और देश में सभी को समान अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि 'आजादी का अमृत महोत्सव' मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव देश की जनता को समर्पित है। उन्होने कहा कि देश के हर नागरिक से मेरा आग्रह है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सक।

द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ हमने मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां दुनिया के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं, जब दुनिया कोरोना महामारी के गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब फिर तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। अज भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। उऩ्होंने कहा कि आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं।

द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति ने कहा कि देश के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है। देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। बेटियां फाइटर पायलट से लेकर स्पेस साइंटिस्ट होने तक हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं।  

भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। उऩ्होने कहा कि हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।

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