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लगातार दूसरी बार गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की बैठक से दूर रहेंगे पीएम मोदी

इसी महीने 25 से 26 अक्टूबर तक अजरबैजान के बाकू में आयोजित हो रहे गुट निरपेक्ष देशों के शिखर सम्मेलन में...
लगातार दूसरी बार गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की बैठक से दूर रहेंगे पीएम मोदी

इसी महीने 25 से 26 अक्टूबर तक अजरबैजान के बाकू में आयोजित हो रहे गुट निरपेक्ष देशों के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत नहीं करेंगे। ये लगातार दूसरी बार है जब पीएम मोदी दुनिया के विकासशील देशों के नेताओं की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। बता दें कि भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन (Non aligned movement) का संस्थापक सदस्य है।  

सरकार ने मंगलवार देर रात यह ऐलान किया कि अजरबैजान के बाकू में 25-26 अक्टूबर गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू करेंगे। भारत की ओर से नायडू इस सम्मेलन में संबोधन पेश करेंगे। इसी के साथ उपराष्ट्रपति गुट निरपेक्ष देशों के दूसरे सदस्यों के साथ बैठक भी करेंगे।  

लगातार दूसरी बार इस सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे पीएम मोदी

2016 में भी पीएम नरेंद्र मोदी वेनेजुएला में हुए इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे। तब इस सम्मेलन में भारत के तत्कालीन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी शामिल हुए थे। मोदी 2016 में असल मायने में पहले ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री बने जिन्होंने गुटनिरपेक्ष देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में शामिल नहीं हुए। उस समय वेनेजुएला में एनएएम की 17वीं शिखर बैठक हो रही थी, लेकिन उसमें भारतीय पीएम नहीं पहुंचे।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव रखने वाले देशों में शामिल है भारत

बता दें कि भारत उन देशों में रहा है जिसने गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी। वैसे 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने भी एनएएम शिखर बैठक में हिस्सा नहीं लिया था लेकिन वह एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे।

बाकू समिट में ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी भी मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि समिट में उपराष्ट्रपति नायडू आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को जोरदार तरीके से रखेंगे।

एक बार फिर इस सम्मेलन में शामिल होंगे पड़ोसी देश

खास बात यह है कि नेपाल और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी देश एक बार फिर इस सम्मेलन में अपनी आस्था जता रहे हैं और उनके प्रधानमंत्री क्रमशः केपी ओली और शेख हसीना ने शिखर बैठक में शिरकत की पुष्टि की है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद भी इसमें हिस्सा लेंगे। पिछली शिखर बैठक में भी भारत का प्रतिनिधित्व तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया था।

 

जानें क्या है एनएएम

 

साल 1947 में जब भारत को आजादी मिली तब तक द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो चुका था। इस युद्ध के खत्म होने के 10 साल के अंदर ही दुनिया में दो सुपर पावर का उदय हुआ। ये सुपर पावर थे अमेरिका और रूस। भारत के पास विकल्प था कि वो इन दोनों देशों में किसी एक के खेमे में शामिल हो जाए।

 

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में देश ने फैसला किया कि वो इन दोनों में से किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा और इनसे इतर गुट निरपेक्षता की नीति अपनाएगा यानी कि भारत न तो अमेरिका के पक्ष में रहेगा और न ही रूस के पक्ष में बल्कि इनसे अलग एक और गुट का निर्माण करेगा जो दुनिया में शांति कायम करने की कोशिश करेगा। नेहरू के इसी फलसफे के साथ गुट निरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत हुई। 1961 में युगोस्लाविया के बेलग्रेड शहर में गुट निरपेक्ष देशों का पहला सम्मेलन हुआ।

 

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