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खेती-किसानी में नई सोच के लिए कृषि मंत्री ने दिए 'आउटलुक एग्रीकल्चर इनोवेशन अवॉर्ड्स'

'आउटलुक एग्रीकल्चर कॉनक्लेव एंड इनोवेशन अवॉर्ड्स' एक पहल है, जिसमें किसानों की आय बढ़ाने के लिए...
खेती-किसानी में नई सोच के लिए कृषि मंत्री ने दिए 'आउटलुक एग्रीकल्चर इनोवेशन अवॉर्ड्स'

'आउटलुक एग्रीकल्चर कॉनक्लेव एंड इनोवेशन अवॉर्ड्स' एक पहल है, जिसमें किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोऑपरेटिव, बेहतर मार्केटिंग, फार्म मैकेनाइजेशन और फसल सुरक्षा जैसे मसलों पर चर्चा हुई। वहीं अपने-अपने क्षेत्र में नया इनोवेशन करने वाले किसानों, महिला उद्यमी और कृषि वैज्ञानिक सहित कुल 9 भागीदारों को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने 'आउटलुक एग्रीकल्चर इनोवेशन अवॉर्ड्स' देकर सम्मानित किया।

देश के अलग-अलग हिस्सों से आए इन लोगों ने खेती-किसानी में रचनात्मकता दिखाई है और ऐसे इनोवेशन किए हैं, जिससे लागत में भी कमी आई है।

आइए, जानते हैं सम्मानित होने वाले इन किसानों, महिला उद्यमियों के बारे में-

फसल उत्पादन के तरीके में इनोवेशन-2 हेक्टेअर से छोटा किसान- तेज राम, कारसोग, हिमाचल

दो हेक्टेअर से कम जमीन में अक्सर किसान के लिए गुजारा करना भी मुश्किल होता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के किसान तेजराम शर्मा ने देसी-विदेशी सब्जियों की खेती कर बेहतर कमाई की राह खोज निकाली है। खास बात यह है कि तेजराम सभी सब्जियां जैविक तरीके से उगाते हैं। तेजराम की जैविक सब्जियों की मांग इतनी बढी कि गांव के अन्य किसान भी उनके साथ जुड गऐ! आज दिल्ली के पांच सितारा होटलों तक तेजराम की ब्रोकली, रेड केपेज, चाइना केबज, चाइना कचोर्ड पहुंचती हैं।

 

फसल उत्पादन के तरीके में इनोवेशन- 2 हेक्टेअर से बड़े किसान- कट्टा रामकष्णा, प्रकाशम, आंध्र प्रदेश

 

कट्टा रामकष्णा उन बडे किसानों में शुमार होते हैं जिन्होंने फसल उत्पादन के तरीके में इनोवेशन कर न सिर्फ अपनी आमदनी बढाई बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं। इन्होंने ट्राइकोडरमा विल्डी के साथ नीम की निंबोलियो के चूर्ण का उपयोग कर चने की फसल को लगने वाली बीमारियों की रोकथाम और पैदावार बढाई है। इसके अलावा इन्होंने पंचगव्य के छिडकाव से उदड की फसल का उत्पादन बढाया है। कपास की खेती में भी ये सघनीकरण कर पैदावार बढाने में कामयाबी हासिल कर चुके हैं। 

 

 कृषि उद्यमी का इनोवेशन- करन सिकरी, कुरुक्षेत्र, हरियाणा

 

एक आम धारणा बन चुकी है कि किसानों के बच्चे, नई पीढी खेती में नहीं आना चाहती। लेकिन कुछ नौजवान ऐसे भी जो न सिर्फ इस धारणा को बदल रहे हैं बल्कि खेती को मुनाफे के कारोबार में बनाकर दिखा रहे हैं। दिल्ली में पले-पढे करन ने जैविक खाद के जरिए मिट्टी की सेहत में सुधार का जो बीडा उठाया, उसी का नतीजा है कि कुरुक्षेत्र का सिकरी फार्म आटोमैटिक वर्मी कम्पोस्ट प्लांट स्थापित करने वाला देश का अनूठा फार्म बन गया है। यहां हर साल 8 से 10 हजार टन जैविक खाद तैयार हो रही है, जिसकी मार्केटिंग और बिक्री भी वे खुद करते हैं। जैविक वर्मी कम्पोस्ट के लिए करन ने आसपास की गउशालाओं से भी तालमेल किया। साथ ही वे जैविक खेती और डेयरी भी शुरू कर चुके हैं। करन की कामयाबी और हौसले को देखते हुए उनकी पत्नी यशिका ने भी एक्सिस बैंक की नौकरी छोडकर सिकरी फार्म की मार्केटिंग और फायनेंस का काम संभला रही हैं।

 

महिला किसान का इनोवेशन- श्रीमती पुष्पा साहू, रायपुर, छत्तीसगढ

खेती करने के लिए खेत का मालिक होना जरूरी नहीं, अगर दिल में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो घर की छत पर भी खेती की जा सकती है। इस बात को सच कर दिखाया है रायपुर, छत्तीसगढ की किसान पुष्पा साहू ने! पुष्पा ने अपने घर की छत पर सब्जियों, फूलों और औषधिय पौधों की जैविक खेती कर अपनी कामयाबी की इबारत लिखी है। आज वे कई महिलाओं और किसानों को यह राह दिखा रही हैं। पुष्पा के इस इनोवेशन से प्रभावित होकर छत्तीसगढ सरकार ने शहरी क्षेत्रों में सब्जियों की खेती को बढावा देने की योजना शुरू की है। आईये, हम सब पुष्पा साहू की मेहनत, लगन और इनोवेशन का जोरदार तालियों से स्वागत करें।

 

वैज्ञानिक तरीके से फसल सुरक्षा में नवाचार- डॉ रश्मि अग्रवाल, आईएआरआई, नई दिल्ली

 

हरित क्रांति लाने और देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में उन्नत तकनीक और वैज्ञानिकों की अहम भूमिका रही है। इस सिलसिले को आगे बढाते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी आईएआरआई की प्लांट पैथोलॉजी डिवीजन की हेड डॉ रश्मि अग्रवाल के  नेतृत्व में चार बायो कंट्रोल एजेंट इजाद किए हैं जिससे जैविक तरीके से फसलों को लगने वाले रोग की रोकथाम होती है। इससे पौधों की ग्रोथ भी अच्छी होती है और उत्पादकता बढती है। इस तरह के इनोवेशक और नई तकनीक का इस्तेमाल कर किसानों फसल सुरक्षा और उत्पादन बढाने में कर रहे हैं।

 

 सस्टेनेबल एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग मॉडल- सहयाद्रि फामर्स, नासिक, महाराष्ट्र 

 

2011-12 में सहयाद्रि फार्मर्स ने अपनी यात्रा शुरू की विलास विष्णु शिंदे के नेतृत्व में! यह एक चेन की तरह काम करता है जो किसान को बाजार से जोड़ती है। उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किसानों को तकनीकी और वित्तीय सहायता मुहैया कराती है। किसानों की इस एकजुटता से फसलों के रख-रखाव, भंडारण और मार्केटिंग का ढांचा तैयार हुआ, जिसकी मदद से इनके उत्पाद देश-विदेश के बाजारों में पहुंचते हैं! ताकि किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिल सके। इस प्रयोग ने खेती को लाभकारी कारोबार में बदल दिया है।

सहयाद्रि ने शुरुआत अंगूर एक्सपोर्ट से की थी। 2015 से सहयाद्रि अंगूर का देश का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। एक हजार से ज्यादा अंगूर किसान उससे जुड़े हैं।

 

सस्टेनेबल फार्म मैकेनाइजेशन में इनोवेशन- एक्सल इंडस्ट्रिज लिमिटेड, मुंबई

खेती का मुनाफा बढाने किसानों के अलावा कई कंपनियां भी प्रयास कर रही हैं। इसी तरह का इनोवेशन से वेशटेज यानी कूडे से खाद बनाना। एक्सल इंडस्ट्रीज ने ऐसी मशीनें बनाई हैं जो कूडे को खाद में बदल देती हैं! इससे कूडे की समस्या भी हल होती है और खेती के लिए अच्छी खाद मिल जाती है। आज ऐसी 3500 मशीन देश भर में काम रह रही हैं।  

 

मेरा स्वराज सर्वोत्तम किसान ग्रुप- माहिष्मती फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, मंडला, मध्य प्रदेश

 

मिलकर खेती करने और उपज की मार्केटिंग के सही तरीके अपनाकर देश के बहुत से किसान समूहों ने अपनी आमदनी बढाई है। ऐसा ही एक प्रयास मध्य प्रदेश की माहिष्मती फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी ने किया है, जिन्हें हम आज सम्मानित करेंगे! कुछ साल पहले मध्य प्रदेश के मंडला जिले में 16 गांव के करीब एक हजार किसानों ने मिलकर यह फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाई और खेती को कारोबार की राह पर ले गए। इनके पास कुल 1224 एकड जमीन है। एकगांव एग्री कंसल्टेंसी की मदद से इन्हें खेती के लिए उपयोगी सलाह के साथ-साथ उपज को बाजार तक पहुंच बनाने में कामयाबी मिली। इनके उत्पाद आज देश भर के नामी रिटेल स्टोर में उनके नाम के साथ पहुंच रहे हैं। जिससे इनकी आमदनी में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।

 

मेरा स्वराज सर्वोत्तम किसान- सेठपाल सिंह, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश

 

इनोवेशन का मतलब होता है, बनी बनाई लीक से हटकर कुछ कर दिखाना! ऐसा ही इनोवेशन सहारनपुर के किसान सेठपाल ने किया, तालाब के बजाय खेत में सिंघाडा उगाकर। इसी से वे आज लाखों की आमदनी कर रहे हैं और अपने आप में एक मिसाल बन चुके हैं। सिंगाड़े की खेती ने सेठपाल को नई पहचान दी है। अब तो सेठपाल सिंगाड़े का बीज भी तैयार करते हैं और आसपास के किसानों को भी इसकी खेती करना सीखा रहे हैं। लेकिन वे सिर्फ सिंगाड़े तक ही नहीं रूके हैं! अब वे एक ही खेत में एक साथ चार फसलों की बुवाई का प्रयोग कर रहे हैं, जो बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है।

 

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