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एग्रीकल्चर कॉनक्लेव में बोले भारत में इजरायल के राजदूत, दोनों देशों के बीच संबंधों का मुख्य आधार कृषि

सोमवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित आउटलुक एग्रीकल्चर कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए इजराइल के...
एग्रीकल्चर कॉनक्लेव में बोले भारत में इजरायल के राजदूत, दोनों देशों के बीच संबंधों का मुख्य आधार कृषि

सोमवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित आउटलुक एग्रीकल्चर कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए इजराइल के राजदूत  डॉ. रोन माल्का ने कहा कि भारत में इजरायल के राजदूत के रूप में इजरायल का प्रतिनिधित्व करने और भारत के कृषि मंत्री के लिए स्वागत भाषण देने का सम्मान मिला है।  

इजराइल के राजदूत ने कहा कि भारत और इजरायल के बीच संबंधों के मुख्य आधार में से कृषि अहम है। इसके कई कारण हैं, लेकिन अभी मैं सिर्फ चार की बात करूंगा।

‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा कृषि बाजार है’

पहला, भारत की करीब आधी आबादी कृषि से जुड़ी है। इस लिहाज से भारत संभवतः दुनिया का सबसे बड़ा कृषि बाजार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इस वर्कफोर्स को शक्तिशाली बनाकर भारत अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व स्तर पर आगे ले जा सकता है। इसका असर न सिर्फ भारत के लोगों पर बल्कि बाकी दुनिया पर भी होगा। इजरायल इस विजन को लागू करने में खुद को गौरवान्वित महसूस करता है, और भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अर्थव्यवस्था में नेतृत्व की भूमिका में आते हुए देखना चाहता है।

‘इजरायल भारत जितना बड़ा नहीं है’

दूसरा, इजरायल भारत जितना बड़ा नहीं है, लेकिन इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और लीक से हटकर सोच से यह कृषि में अग्रणी बना है। यह इनोवेशन और आविष्कार की भावना आवश्यकता से उपजी है। इजरायल की 60 फीसदी जमीन अनुपजाऊ है। यहां बारिश कम होती है और प्राकृतिक संसाधन भी कम हैं। इन चुनौतियों पर विजय पाने के लिए इजरायल ने अपनी सोच और अपने वैज्ञानिकों पर भरोसा किया। छोटे से देश में हमने ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया जिससे किसानों, निजी क्षेत्र और रिसर्च एंड डेवलपमेंट के बीच सीधा संवाद हो सके।

भारत-इजरायल के बीच एक तरह का प्राकृतिक संबंध

हम अपनी सभी जानकारी, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को अपने भारतीय मित्रों के साथ साझा करना चाहते हैं। हमारे बीच कृषि संबंध क्यों इतने प्रगाढ़ हैं, यह उसकी तीसरी वजह है। कृषि और दूसरे क्षेत्रों में भारत और इजरायल के बीच एक तरह का प्राकृतिक संबंध है। भारत और इजरायल के मूल्य, हित और चुनौतियां एक जैसी रही हैं। इसलिए हम एक जैसे समाधान के लिए काम कर रहे हैं। यही वह आधार है जिससे हम एक दूसरे से सीखते हैं।

भारत और इजरायल के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग क्यों इतना प्रगाढ़ है, इसका चौथा और अंतिम कारण वह मॉडल है जो इजरायल, भारत सरकार और यहां की राज्य सरकारों के बीच बना है।

‘हमने पहली बार राज्यों के मंत्रियों के साथ काम किया है’

इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इजराइल के काउंसलर डैन एलफ ने एक सत्र में इजरायल की इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोऑपरेशन एजेंसी, माशव का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि आज हमने पहली बार राज्यों के माननीय मंत्रियों के साथ काम किया है। केंद्रीय कृषि मंत्री माननीय तोमर, आपके कार्यालय के साथ भी हमारा जुड़ाव रहा है। मुझे भरोसा है कि हमारा यह जुड़ाव आखिरी नहीं होगा।

भारत-इजरायल एग्रीकल्चरल प्रोजेक्ट के रूप में हमने जो साझेदारी विकसित की है, उसका असर एक दशक से भी कम समय में भारत के लाखों किसानों पर हुआ है। हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और आठ अन्य राज्यों में हमारे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हैं। हम इसका लगातार विस्तार कर रहे हैं। हम मेघालय समेत पूरे उत्तर-पूर्व में अपने सहयोग का विस्तार करने पर काम कर रहे हैं। उम्मीद है वहां भी ऐसे सेंटर जल्द ही खुलेंगे।

हमारी बढ़ती साझेदारी का अगला कदम हमारे सभी 28 सक्रिय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को एरिया ऑफ एक्सीलेंस में बदलना है। भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ को देखते हुए हर सेंटर अपने आसपास के 75 गांवों को गोद लेगा। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत और इजरायल मिलकर जो अच्छे काम कर रहे हैं, वह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।

भारत-इजरायल के बीच बढ़ते कृषि संबंधों से जुड़ेंगे लोग

उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि यहां उपस्थित लोगों में से अनेक भारत और इजरायल के बीच बढ़ते कृषि संबंधों से जुड़ेंगे। मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि एक साथ काम करके हम लाखों लोगों का जीवन बदल सकते हैं।

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