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लॉकडाउन की अवधि का वेतन देने का आदेश वापस, गृह मंत्रालय के नए निर्देश में इसका जिक्र नहीं

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन-4 के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए हैं, लगता है उसमें कंपनियों को अपने...
लॉकडाउन की अवधि का वेतन देने का आदेश वापस, गृह मंत्रालय के नए निर्देश में इसका जिक्र नहीं

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन-4 के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए हैं, लगता है उसमें कंपनियों को अपने कर्मचारियों को लॉकडाउन की अवधि का वेतन देने से राहत दे दी गई है। गृह मंत्रालय की तरफ से रविवार को जारी आदेश में कहा गया है, “इस आदेश में बताए गए दिशानिर्देशों के अलावा नेशनल एक्जीक्यूटिव कमेटी (एनईसी) द्वारा जारी बाकी सभी निर्देश 18 मई 2020 से अमल में नहीं रह जाएंगे।” गौरतलब है कि 29 मार्च 2020 के आदेश में सभी नियोक्ताओं (दुकानों समेत) को अपने कर्मचारियों को तय तारीख को वेतन देने और लॉकडाउन की अवधि का वेतन न काटने का निर्देश दिया गया था। नए आदेश में इसका जिक्र नहीं होने से पुराना आदेश स्वतः अमान्य हो गया है।

आदेश के बावजूद जारी थी छंटनी और वेतन कटौती

गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश से पहले श्रम मंत्रालय ने भी इंडस्ट्री के लिए कई एडवाइजरी जारी की थी। इनमें लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों की छंटनी नहीं करने और पूरा वेतन देने का निर्देश था। हालांकि सरकार के इन निर्देशों के बावजूद कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी और वेतन कटौती की है। सीएमआईई के अनुसार लॉकडाउन से पहले बेरोजगारी दर सात फीसदी के आसपास थी, जो अब 24 फीसदी के करीब पहुंच गई है। एयरलाइंस समेत अनेक कंपनियों ने वेतन कटौती की भी घोषणा की है। इनमें देश की सबसे अधिक मुनाफे वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों पर कार्रवाई के लिए लगा रखी है रोक

इंडस्ट्री वेतन देने संबंधी आदेश वापस लेने के लिए लगातार सरकार से मांग कर रही थी। उनका कहना है कि लॉकडाउन में कामकाज बंद होने के चलते वे वेतन देने की स्थिति में नहीं हैं। कुछ संगठनों ने सरकार से वेतन बिल का कुछ हिस्सा देने की भी मांग की थी। यही नहीं, एमएसएमई के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को आदेश दिया कि कर्मचारियों को वेतन नहीं दे सकने वाली कंपनियों के खिलाफ एक हफ्ते तक कोई कार्रवाई न की जाए। कोर्ट ने कहा था कि बहुत सी छोटी कंपनियां कामकाज जारी रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं, इसलिए सरकार को सबके लिए एक समान आदेश जारी नहीं करना चाहिए था। कोर्ट में इस हफ्ते मामले पर फिर सुनवाई होनी है। गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश में मकान मालिकों के लिए भी निर्देश था कि अगर उनके घर में कोई श्रमिक किरायेदार है तो वह उससे एक महीने तक किराया नहीं लेगा।

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