Advertisement

ईवीएम के बाद वीवीपैट पर भी उठे सवाल, पूर्व नौकरशाहों ने ऑडिट प्रक्रिया में बताई खामियां

ईवीएम में डाले गए वोटों के वीवीपैट पर्चियों से मिलान की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने को...
ईवीएम के बाद वीवीपैट पर भी उठे सवाल, पूर्व नौकरशाहों ने ऑडिट प्रक्रिया में बताई खामियां

ईवीएम में डाले गए वोटों के वीवीपैट पर्चियों से मिलान की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने को लेकर भारतीय प्रशासनिक एवं अन्य केंद्रीय सेवा के अधिकारियों ने एक खुला खत लिखा है। इसमें वीवीपैट ऑडिट प्रक्रिया की विसंगतियों की ओर चुनाव आयोग का ध्यान खींचते हुए सुधार के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। पूर्व नौकरशाहों की ओर से यह पहल ऐसे वक्त में हुई जब ईवीएम को लेकर कई राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं।  

पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि वे किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हैं। उनकी इस पहल का मकसद चुनाव में निष्पक्षता सुनिश्चित करना और ईवीएम के साथ छेड़छाड़ को लेकर उठ रही आशंकाओं को खत्म करना है। पत्र लिखने वाले पूर्व नौकरशाहों को स्थानीय से लेकर संसदीय चुनाव की प्रक्रिया में शामिल होने का अनुभव रहा है।

पत्र में कहा गया है कि ईवीएम एक ब्लैक बॉक्स की तरह है जिसमें वोट दर्ज होने के बाद उसकी सही तरीके से गिनती हुई या नहीं इसका पता लगाना मुश्किल है। इस कारण से वीवीपैट ऑडिट की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में इसके इस्तेमाल को लेकर आदेश दिया था और चुनाव आयोग 2017 के विधानसभा चुनावों से इसका इस्तेमाल कर रहा है।

पत्र में वीवीपैट के सैंपल साइज को लेकर सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि ईवीएम की संख्या हर राज्य में अलग-अलग होती है। ऐसे में चुनाव आयोग ने किस आधार पर सैंपल साइज तय किए हैं यह सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट नहीं है। मौजूदा सैंपल साइज में किसी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ होने पर उसका पता लगाना संभव नहीं है। साथ ही सैंपल साइज में त्रुटि या एक से अधिक ईवीएम में गड़बड़ी होने पर भी नियम स्पष्ट नहीं हैं। साथ ही 2017 और 2018 में हुए विभिन्न विधानसभा चुनावों में ईवीएम के वीवीपैट ऑडिट के विवरण आयोग की वेबसाइट पर नहीं है।   

पत्र में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति में ईवीएम में खराबी या हेरफेर का वीवीपैट ऑडिट में पता लगा पाना संभव नहीं है। ऐसे में सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर वीवीपैट के इस्तेमाल करने का कोई तुक नहीं बनता। पत्र में कहा गया है कि वीवीपैट ऑडिट की प्रक्रिया को मुकम्मल बनाने के लिए वीवीपैट पर्ची की मैनुअल तरीके से गिनती की जानी चाहिए। पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि सुधारों को लेकर बीते नौ महीने से चुनाव आयोग के साथ उनकी चर्चा चल रही है। इस संबंध में बीते साल दिसंबर को आयोग को पूर्व नौकरशाहों ने पत्र लिखकर सैंपल साइज और नियमों को लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा था। पत्र में कहा गया है कि इस दिशा में अब तक कोई प्रगति नहीं हो पाई है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad