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नीतीश को बुद्धिजीवियों का सहारा

प्रोफेसर रघुवंश की पुस्तक हम भीड़ के लोकार्पण में दिल्ली आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने सियासी बोलों की कोई कमी नहीं रखी। समाजवादी रघुवंश के बहाने उन्होंने अपने आपातकाल के किस्से सुनाए और भारतीय जनता पार्टी की तिरंगा यात्रा पर भी कटाक्ष किया। नीतीश ने कहा, ‘यह देख कर अच्छा लग रहा है कि जो लोग तिरंगा को मानते भी नहीं थे वे ही लोग अब तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं।’
नीतीश को बुद्धिजीवियों का सहारा

नीतीश कुमार कल बिहार की बाढ़ को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से भी मिले थे। शाम को उन्हें रघुवंश की पुस्तक हम भीड़ हैं का लोकार्पण करना था। उनके साथ मंच साझा किया पुरस्कार वापसी के अगुवा कवि अशोक वाजपेयी ने। रघुवंश की पुस्तक पर विचार न्यास द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। लेकिन नीतीश ने अपनी बात में रघुवंश पर बात करने के बजाय अशोक वाजपेयी से अवॉर्ड वापसी अभियान की मशाल न बुझने पर ज्यादा समय निकाला। उन्होंने अपने 26 मिनट भाषण में सात बार अशोक वाजपेयी की ओर देख कर कहा कि आपने जो मुहिम चलाई है उसे खत्म न होने दें। आप लोगों को देश में जो माहौल है उससे लोगों को अवगत कराना चाहिए।

राजकमल द्वार प्रकाशित इस पुस्तक में प्रभात खबर के संपादक हरिवंश और पत्रकार कुर्बान अली ने भी हिस्सा लिया। देवी प्रसाद त्रिपाठी ने अपनी शैली में कार्यक्रम की शुरुआत की और अपने और रघुवंश जी के बीच के संबंधों को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे प्रोफेसर रघुवंश ने खुद पर शारीरिक अक्षमता को हावी नहीं होने दिया। 

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