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राजीव गांधी की हत्या में दोषी नलिनी श्रीहरन बेटी की शादी के लिए एक महीने के पैरोल पर बाहर आई

 पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को बेटी की...
राजीव गांधी की हत्या में दोषी नलिनी श्रीहरन बेटी की शादी के लिए एक महीने के पैरोल पर बाहर आई

 पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को बेटी की शादी की तैयारियों के लिए जेल से एक माह के लिए रिहा कर दिया गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने इसी महीने नलिनी की 30 दिनों की परोल को मंजूर दी थी। नलिनी ने अपनी बेटी की शादी करने के लिए हाई कोर्ट से छह महीने का परोल मांगने वाली याचिका दायर की थी, जिसके बाद 5 जुलाई को हाई कोर्ट ने उनकी याचिका का निस्तारण करते हुए उन्हें एक महीने का परोल ही मंजूर किया।

नलिनी को वेल्लोर में ही रहना होगा

अपनी छुट्टी की अवधि के दौरान नलिनी को वेल्लोर में ही रहना होगा और वह राजनेताओं अथवा मीडिया से बात नहीं कर सकेगी। नलिनी को पिछले साल भी एक दिन के लिए परोल पर रिहा किया गया था, जब उसके पिता का देहांत हुआ था।

छह अन्य दोषियों के साथ उम्रकैद की सजा काट रही हैं नलिनी

नलिनी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में छह अन्य दोषियों के साथ उम्रकैद की सजा काट रही हैं। उन्होंने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके अपनी पैरवी खुद करने की अनुमति मांगी थी। नलिनी की इस अनुमति पर हाई कोर्ट ने कहा था कि अदालत में उपस्थित होकर अपनी याचिका की पैरवी करने के अधिकार से नलिनी श्रीहरन को वंचित नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट में नलिनी ने दी थी ये दलील

नलिनी पिछले 27 साल से जेल में बंद हैं। उन्होंने कहा कि उम्रकैद की सजा पाने वाले किसी भी कैदी को दो साल में एक महीने का अवकाश लेने का अधिकार है, लेकिन उसने 27 साल तक जेल में बंद रहने के बावजूद इस सुविधा का कभी लाभ नहीं लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बेटी की शादी की तैयारियों के लिए छह महीने की छुट्टी दी जाए। जिस पर जस्‍टिस एमएम सुंदरेश और जस्‍टिस एम निर्मल कुमार ने उन्हें परोल दे दी।

24 अप्रैल, 2000 को नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया

नलिनी को राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में तमिलनाडु सरकार ने 24 अप्रैल, 2000 को इसे उम्रकैद की सजा में बदल दिया। उसका दावा है कि मौत की सजा उम्रकैद में बदलने के बाद से 10 साल या उससे कम समय की सजा काट चुके करीब 3,700 कैदियों को राज्य सरकार रिहा कर चुकी है।

तमिलनाडु मंत्रिपरिषद ने नलिनी और मामले के छह अन्य दोषियों को दी थी रिहा करने की सलाह

नलिनी ने अपनी अपील में कहा कि उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की समय पूर्व रिहाई की 1994 की योजना के तहत समय पूर्व रिहाई के उसके अनुरोध को राज्य मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी थी और नौ सितंबर, 2018 को तमिलनाडु मंत्रिपरिषद ने राज्यपाल को उसे और मामले के छह अन्य दोषियों को रिहा करने की सलाह दी थी, लेकिन अभी तक उसका पालन नहीं हुआ है।

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