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और तीन महीने के लिए बढ़ सकता है कर्ज पर मोरेटोरियम, रिजर्व बैंक कर रहा है विचार

कोविड-19 महामारी को काबू में करने के लिए लॉकडाउन दूसरी बार बढ़ाए जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक कर्ज पर...
और तीन महीने के लिए बढ़ सकता है कर्ज पर मोरेटोरियम, रिजर्व बैंक कर रहा है विचार

कोविड-19 महामारी को काबू में करने के लिए लॉकडाउन दूसरी बार बढ़ाए जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक कर्ज पर मोरेटोरियम की सुविधा और तीन महीने के लिए बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इससे लॉकडाउन से प्रभावित होने वाले लोगों और इंडस्ट्री को काफी राहत मिलेगी। सूत्रों के अनुसार इंडियन बैंक्स एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने रिजर्व बैंक को मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने का सुझाव दिया है और रिजर्व बैंक उस पर गंभीरता से विचार कर रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने शनिवार को लॉकडाउन दो हफ्ते के लिए यानी 17 मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी। हालांकि इस बार देश के सभी जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटते हुए हर जोन में आर्थिक गतिविधियों की छूट बढ़ाई गई है।

मोरेटोरियम तीन महीने के लिए बढ़ाना व्यावहारिक कदम

लॉकडाउन के चलते बहुत सी आर्थिक गतिविधियां अभी बंद ही रहने के आसार हैं। इस वजह से  लोगों की आमदनी बंद रहने की आशंका है। बहुत से लोगों की नौकरियां भी जा रही हैं। इसलिए होम लोन, ऑटो लोन आदि कर्ज लेने वाले व्यक्तियों को कर्ज लौटाने में परेशानी आ रही है। इसी तरह अनेक छोटी-बड़ी कंपनियों ने भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कर्ज ले रखा है। इन कंपनियों में एक महीने से ज्यादा समय से काम नहीं हो रहा है। एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन परिस्थितियों में मोरेटोरियम तीन महीने के लिए बढ़ाना एक व्यावहारिक कदम होगा। इससे इस कठिन समय में कर्ज लेने वालों और बैंकों, दोनों को मदद मिलेगी।

अभी मार्च, अप्रैल और मई के लिए है मोरेटोरियम

पहले लॉकडाउन की घोषणा के बाद रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को कहा था कि बैंक और वित्तीय संस्थान कर्ज लेने वालों को तीन महीने तक मोरेटोरियम की सुविधा दे सकते हैं। यह सुविधा मार्च, अप्रैल और मई महीने के लिए है। होम लोन और ऑटो लोन जैसे व्यक्तिगत कर्ज लेने वालों को मोरेटोरियम के तहत तीन महीने तक ईएमआई नहीं चुकानी है। कंपनियों को उनके कर्ज पर ब्याज फिलहाल नहीं देने की छूट मिली है। रिजर्व बैंक ने कहा था कि इन तीन महीनों के दौरान अगर कोई कर्ज नहीं चुकाता है तो उस पर एनपीए के नियम लागू नहीं होंगे। हालांकि ज्यादातर बैंकों ने यह प्रावधान किया है कि जो व्यक्ति या कंपनियां मोरेटोरियम की सुविधा लेंगी उन्हें मोरेटोरियम की अवधि खत्म होने के बाद ब्याज की पूरी रकम एक साथ चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा इस ब्याज की रकम पर भी ब्याज जोड़ा जा रहा है। ऐसी शिकायतें भी आई थीं कि कुछ बैंक ग्राहकों को मोरेटोरियम की सुविधा नहीं दे रहे हैं। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा था कि वह अपने दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करे।

आरबीआई गवर्नर ने की थी मोरेटोरियम की समीक्षा

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में मोरेटोरियम की भी समीक्षा की गई थी। इसके अलावा एमएसएमई समेत अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर को कर्ज का प्रवाह, एनबीएफसी, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और म्यूचुअल फंड को नकदी उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई थी।

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