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प्रोफेसर एस इरफान हबीब ने कहा, राहुल गांधी ने नहीं बताया कांग्रेस को 'मुस्लिम पार्टी'

शनिवार को आजमगढ़ की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मैंने अखबार में पढ़ा कि कांग्रेस...
प्रोफेसर एस इरफान हबीब ने कहा, राहुल गांधी ने नहीं बताया कांग्रेस को 'मुस्लिम पार्टी'

शनिवार को आजमगढ़ की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मैंने अखबार में पढ़ा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी कहा है। वह यह भी बताएं कि कांग्रेस केवल मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है या मुस्लिम महिलाओं की भी?’

प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद सियासत गरम हो गई है। इसे लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि राहुल गांधी ने कभी ऐसा बयान नहीं दिया। जिस मीटिंग के हवाले से यह खबर आई, वहां मौजूद कई लोगों का दावा है कि राहुल गांधी ने ऐसी कोई बात नहीं कही।

कहां से शुरू हुआ मामला?

आल्ट न्यूज के मुताबिक, 12 जुलाई को उर्दू अखबार ‘इंकलाब’ में एक आर्टिकल छपता है। इसमें राहुल गांधी को कोट करते हुए लिखा जाता है कि हां, कांग्रेस पार्टी मुस्लिमों की पार्टी है। 

अखबार के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा, ‘अगर भाजपा कहती है कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है तो ठीक है। कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है क्योंकि मुस्लिम कमजोर हैं और कांग्रेस हमेशा कमजोर लोगों के साथ खड़ी होती है।‘ रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी ने मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों के साथ एक मीटिंग में यह बात कही।

इस आर्टिकल का स्क्रीनशॉट यह रहा-

इसके बाद यह खबर मेनस्ट्रीम मीडिया में आ गई। हिंदी न्यूज चैनल 'जी हिंदुस्तान' ने इसे 12 जुलाई को चलाया।

13 जुलाई को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने इस अखबार का फोटो स्टेट दिखाते हुए कहा कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुस्लिमों की पार्टी बताया है।

इसके अगले दिन यानी 14 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी आजमगढ़ की रैली में यही बात दोहराते हैं।

रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर संदेह?

वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी ने ट्विटर पर 'इंकलाब' की इस रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'यह पूरी तरह झूठ है और अखबार की तरफ से शर्मनाक तरीके से तोड़ा-मरोड़ा गया है। भाजपा इसे अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रही है, जिससे उनकी देश को गुमराह करने की रणनीतियों का पता चलता है। हालांकि इससे हम भारत के मूलभूत सिद्धांतों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे।‘

वहीं, इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ट्विटर पर कहा कि 13 जुलाई को वह इस मीटिंग में मौजूद थे और मीटिंग में ऐसी कोई बात नहीं हुई।

आल्ट न्यूज ने मीटिंग में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के वकील फुजैल अहम अयूबी से इस संबंध में बात की। उनके मुताबिक, ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि मीटिंग में राहुल गांधी से पूछा गया कि कांग्रेस के लिए मुस्लिम कितने महत्वपूर्ण हैं। इस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए मुस्लिम उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने दूसरे समुदाय या धर्म।

वहीं, जेएनयू के सेंटर फॉर स्टडी ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस में फैकल्टी गजाला जमील ने भी कहा कि बैठक में राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा कि वह मुस्लिमों को समान नागरिक के तौर पर देखते हैं-  न ज्यादा, न कम। इसके अलावा लेखक और एक्टिविस्ट फाराह नकवी भी बैठक में मौजूद थीं। उन्होंने भी राहुल गांधी के कथित बयान से इनकार किया है।

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि किसी दल को 'मुस्लिम पार्टी' कहना पीएम पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता। शर्मा ने कहा कि पीएम मोदी को इतिहास की कम जानकारी है और वह अपना इतिहास खुद ही लिखते हैं। उन्होंने पीएम मोदी पर राजनीति के स्तर को नीचे ले जाने का आरोप लगाते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री पूरे भारत का होता है, सिर्फ बीजेपी का नहीं होता। उनकी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कई राष्ट्रवादी आंदोलनों एवं आजादी के संघर्ष में हिस्सा लिया है।'

आनंद शर्मा ने कहा, 'उन्हें यह याद रखना चाहिए कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय और मौलाना आजाद जैसे नेता अध्यक्ष रह चुके हैं। यह बेहतर होगा कि यदि वह कांग्रेस अध्यक्षों की लिस्ट अपने दफ्तर में रखें। हो सकता है कि इसके बाद उनकी गलत बयान देने की आदत छूट जाए।'

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