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कश्मीर घाटी में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले, कई घरों में मौत का अंदेशा

कश्मीर घाटी के डॉक्टरों का कहना है कि 5 अगस्त के बाद जब से सरकार ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के हटाने पर...
कश्मीर घाटी में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले, कई घरों में मौत का अंदेशा

कश्मीर घाटी के डॉक्टरों का कहना है कि 5 अगस्त के बाद जब से सरकार ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के हटाने पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं तब से कश्मीर घाटी में दिल के दौरे के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। संचार की बाधा के कारण मरीजों की स्थिति और बदतर हुई है।

श्रीनगर में श्री महाराजा हरि सिंह (एसएमएचएस) अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगस्त और सितंबर में दिल के दौरे के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। इससे पहले इस तरह की बढ़ोतरी केवल सर्दियों में देखने को मिलती थी लेकिन अब हर रोज आठ से दस मरीज देखे जो सकते हैं, जो अभूतपूर्व है।

'घरों में मरने को मजबूर हैं लोग'

डॉक्टर का कहना है, 'जगह-जगह सूचना की पाबंदी के कारण उन्हें नहीं पता कि आपातकालीन चिकित्सा की कमी के कारण कितने लोग अपने घरों में दिल के दौरे से मर गए होंगे। अगस्त में कर्फ्यू जैसी पाबंदियां थीं। लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे। अब भी कोई संचार नहीं है और मुझे डर है कि कई लोग अपने घरों में मर गए होंगे।' उन्होंने कहा, 'डॉक्टरों को मीडिया से बात करने से रोक दिया गया है। यहां तक कि कश्मीर की डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी 4 अगस्त के बाद एक भी बयान जारी नहीं किया है।'

एक अन्य डॉक्टर ने कहा, '24 अगस्त को उन्हें एक मरीज मिला, जिसे दिल का दौरा पड़ा था। रोगी को स्टेंट प्रक्रिया की जरुरत थी। संबंधित तकनीशियन अस्पताल में नहीं था। मुझे बताया गया कि वह पुराने शहर में अपने घर पर था। मैंने एक एम्बुलेंस के लिए कहा, लेकिन कोई भी उपलब्ध नहीं था।' डॉक्टर ने कहा कि उन्हें डर था कि मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है इसलिए तकनीशियन का पता लगाने के लिए उन्होंने पुराने शहर की ओर रुख किया। शाम के करीब 9 बज रहे थे और मैंने आखिरकार उसके घर का पता लगा लिया और उसे अपने साथ ले गया।

'अस्पताल पहुंचने से पहले मर जाते हैं मरीज'

डॉक्टर ने कहा, 'अस्पताल जाने के रास्ते में उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा कई चौकियों पर रोक दिया गया था और उनसे देर शाम यात्रा करने का कारण पूछा गया।' उन्होंने कहा, 'यह मेरे जीवन की सबसे भयानक यात्रा थी। मुझे सुरक्षा बलों को हर पांच मिनट के बाद समझाना पड़ा कि मैं अस्पताल क्यों जा रहा था।' उन्होंने कहा, कई जगहों पर हार्ट अटैक के मरीजों को अस्पताल पहुंचने से पहले 10 किमी से अधिक चलने के लिए मजबूर किया गया था और वे अस्पताल पहुंचने तक मर जाते हैं।

'संचार में बाधा से समस्या हुई जटिल'

डॉक्टरों के अनुसार, संचार की बाधा ने समस्या को जटिल बना दिया है और अस्पताल पहुंचने तक मरीजों के दिल को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। एक डॉक्टर का कहना है, "अब कोई सुनहरा मौका नहीं है।" डॉक्टरों ने कहा कि संचार बाधित  का एक सबसे बड़ा नुकसान 'सेव हार्ट इनिशिएटिव' का है। इस पहल के तहत, घाटी के टॉप कार्डियोलॉजिस्ट विभिन्न जिला-स्तर के अस्पतालों में डॉक्टरों को व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से सलाह और सुझाव देना था। इंटरनेट सेवाओं के टूटने के साथ यह पहल नाकाम हो गई है।

सेव हार्ट इनिशिएटिव व्हाट्सएप ग्रुप पर आखिरी संदेश 4 अगस्त को प्राप्त हुआ था। यह संदेश एक मरीज की ईसीजी रिपोर्ट के बारे में था। चूंकि संचार टूट गया है स्थिति बदतर हो गई है और कार्डियोलॉजिस्ट का पता लगाना असंभव हो गया है जो कुछ जटिल मामलों में सलाह और सुझाव देंगे।

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में तैनात एक डॉक्टर का कहना है कि कश्मीर घाटी में वर्तमान स्थिति मानवीय संकट से जुड़ी है। डॉक्टर का कहना है, 'मैंने अपने घर का रोड मैप तैयार किया है और उसे अस्पताल में चिपकाया है। यदि मैं घर पर हूं और मरीजों को मेरी सहायता की जरूरत होती है तो वे नक्शे की मदद ले सकते हैं। लेकिन कल्पना कीजिए, किसी तरह वे मेरे घर पहुंचते हैं और मैं वहां नहीं हूं!'

एम्बुलेंस चालकों के मोबाइल बहाल करने की अपील

कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है, 'मेरा फोन काम नहीं कर रहा है। मैं एसएमएचएस अस्पताल में हूं लेकिन आपातकालीन स्थिति के लिए प्रसूति अस्पताल में मेरी जरूरत है, तब मेरा कैसे पता लगाया जाएगा? मरीज मर सकता है। मुझे लगता है कि कई मरीजों की मौत इसी कारणों कारणों से हुई होगी।'

अस्पतालों में लोग अपने मृतकों को घर ले जाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं क्योंकि संचार की बाधा ने एम्बुलेंस सेवाओं को भी प्रभावित किया है। एक बार जब एम्बुलेंस अस्पताल परिसर से बाहर हो जाती हैं, तो अधिकारियों का उनसे संपर्क खत्म हो जाता है। एम्बुलेंस चालक स्वतंत्र रूप से कर्मचारियों और मरीजों को फेरी को लाने ले जाने के लिए काम करते हैं।

इन बढ़ती समस्याओं के साथ, जिन्होंने घाटी में स्वास्थ्य सेवाओं को अपंग बना दिया है, एसएमएचएस अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सरकार से एम्बुलेंस चालकों के मोबाइल नंबर बहाल करने का अनुरोध किया है। देखना होगा कि क्या घाटी में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लोगों को कुछ राहत मिलेगी।

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