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जामिया हिंसा पर पुलिस ने दाखिल की एटीआर, कहा- निर्दोष छात्रों को बचाने के लिए करनी पड़ी कार्रवाई

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से जामिया मिलिया इस्लामिया कैंपस में छात्रों पर कथित पुलिस कार्रवाई को लेकर...
जामिया हिंसा पर पुलिस ने दाखिल की एटीआर, कहा- निर्दोष छात्रों को बचाने के लिए करनी पड़ी कार्रवाई

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से जामिया मिलिया इस्लामिया कैंपस में छात्रों पर कथित पुलिस कार्रवाई को लेकर मुकदमा दर्ज करने की याचिका खारिज करने की मांग की है। पुलिस की तरफ से सोमवार को कोर्ट में एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) दाखिल करते हुए कहा गया कि 15 दिसंबर 2019 को निर्दोष छात्रों को बचाने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने अपनी दलील में कहा है कि कैंपस के भीतर चल रही हिंसा और अंदर फंसे निर्दोष छात्रों को बचाने और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की गई।

किया गया विवश

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रजत गोयल के सामने दायर एटीआर में पुलिस ने कहा कि परिसर में प्रवेश करने के लिए विवश किया गया। मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को करेगी। बता दें, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा याचिका में कहा गया है कि पुलिस बिना अनुमति के कैंपस में प्रेवश की और छात्रों के साथ बर्बरता की। एटीआर में  पुलिस ने दावा किया कि कैंपस में फंसे हुए छात्रों और दंगाइयों के बीच अंदर करना मुश्किल था, जो पेट्रोल बम के साथ पाए गए थे। इसलिए सभी को अपने हाथों को ऊंचा कर कैंपस खाली करने के लिए कहा गया था।

चली थी गोली

इसके बाद जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) की तरफ से महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर विश्वविद्यालय से राजघाट के लिए 30 जनवरी को मार्च निकाला गया। जिसमें एक शख्स ने कैंपस के गेट नं. एक के पास पुलिस की मौजूदगी में फायरिंग की जिसमें एक छात्र के हाथ में गोली लगी थी।

क्या है मामला

बता दें, पिछले साल 15 दिसंबर को जामिया इलाके में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए), नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के विरोध में मार्च निकाला गया था। इसी दौरान कैंपस से 1 किलोमीटर की दूरी पर प्रदर्शनकारी उग्र हो गए। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। भीड़ पर काबु करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले और लाठियां बरसाई जिसके बाद भीड़ तीतर-बितर हो गई। इसी दौरान पुलिस के मुताबिक कुछ बाहरी कैंपस के भीतर प्रवेश कर गए जिसके बाद पुलिस कैंपस के भीतर दाखिल हुई। 

बता दें, पिछले साल 11 दिसंबर को केंद्र सरकार ने सीएए को दोनों सदन से पारित करा लिया था। इस कानून के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक पीड़ितों को नागरिकता दी जाएगी। इसमें गैर मुस्लिम शर्णार्थियों को जगह नहीं दी गई है।

 

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