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आईआरसीटीसी मामलाः लालू यादव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश करने के निर्देश

चर्चित आईआरसीटीसी घोटाला मामले में दिल्‍ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और...
आईआरसीटीसी मामलाः लालू यादव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश करने के निर्देश

चर्चित आईआरसीटीसी घोटाला मामले में दिल्‍ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू यादव को वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही में शामिल होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के लिए सभी इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 20 दिसम्बर को होगी।

कोर्ट को बताया गया था कि खराब सेहत की वजह से लालू पहले के निर्देश के मुताबिक अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हो सके। अदालत ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया कि लालू चाहे अस्पताल में हों या फिर जेल में, वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उनकी मौजूदगी सुनिश्चित की जाए।

इस बीच ईडी ने पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और अन्य की जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और राहत देने पर जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

पैर में है जख्म

लालू की तबीयत ठीक नहीं है। उन्हें राजेंद्र इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में भर्ती कराया गया है। उनके पैर में जख्म है। शुगर लेवल बढ़ने की वजह से घाव सूखने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन इलाज के बाद इसमें सुधार की उम्मीद है। हालांकि उनका स्वास्थ्य अब भी खराब है।

ये है मामला

साल 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल के रखरखाव आदि के लिए आईआरसीटीसी को स्थानांतरित किया था। सीबीआई के मुताबिक, नियम-कानून को ताक पर रखते हुए रेलवे का यह टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दे दिए गए थे। आरोप के अनुसार टेंडर दिए जाने के बदले 25 फरवरी, 2005 को कोचर बंधुओं ने पटना के बेली रोड स्थित तीन एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड को बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत ज्यादा थी।

इस जमीन को कृषि जमीन बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेच कर स्टांप ड्यूटी में गड़बड़ी की गई। बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी संपत्ति लालू प्रसाद यादव की पारिवारिक कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपए में ही दे दी गई, जबकि उस समय बाजार में इसकी कीमत करीब 94 करोड़ रुपए थी।

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