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चिदंबरम की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI से मांगा जवाब, अगली सुनवाई 23 सितंबर को

आईएनएक्स मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को...
चिदंबरम की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI से मांगा जवाब, अगली सुनवाई 23 सितंबर को

आईएनएक्स मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर चिदंबरम की जमानत याचिका पर जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को मामले की स्टेटस रिपोर्ट सात दिन के अंदर पेश करने का आदेश दिया है। चिदंबरम ने बुधवार को हाईकोर्ट में नियमित जमानत के लिए अपील की थी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तारीख तय की है। चिदंबरम अभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी जमानत याचिका में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को गैरकानूनी बताया है। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में अभी तक अन्य कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ है, इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। साथ ही उनसे पूछताछ भी पूरी हो चुकी है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में चिदंबरम ने अपनी न्यायिक हिरासत और गिरफ्तारी दोनों को चुनौती दी है।

चिदंबरम ने मामले में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत के सीबीआई अदालत के आदेश को भी चुनौती देते हुए इसे पूरी तरह गैर तार्किक बताया है। उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही दुर्भावना और राजनैतिक बदले की भावना से की गई है।

ट्रायल कोर्ट ने चिदंबरम को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था

पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम को ट्रायल कोर्ट ने पांच सितंबर को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। फिलहाल चिदंबरम 19 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में  तिहाड़ जेल में बंद हैं। इसी आदेश को चिदंबरम ने चुनौती दी है। सीबीआई ने चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

सभी शर्तों का पालन करने को हूं तैयार

अपनी जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए चिदंबरम ने बुधवार को कहा था कि वह कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और समाज में उनका अपना स्थान है। उनके कहीं भागने का खतरा नहीं है और वह हाई कोर्ट द्वारा लगाई जाने वाली सभी शर्तों का पालन करने को तैयार हैं। चिदंबरम के वकील अर्शदीप सिंह ने कहा था कि आरोपों को स्वीकार किए बिना ही उन्हें रिमांड पर लिया गया। यह साफ है कि यह फौरी तौर पर बनाया गया दस्तावेजी मामला है। याचिकाकर्ता एक सम्मानिक नागरिक और पूर्व केंद्रीय वित्त तथा गृह मंत्री है। याचिकाकर्ता मामले में दस्तावेजों के साथ किसी तरह की छेड़छ़ाड़ नहीं कर सकते और न ही करेंगे, जो मौजूदा सरकार और ट्रायल कोर्ट के सुरक्षित कब्जे में है।

राजनैतिक बदले का है मामला

याचिका में न्यायिक हिरासत को चुनौती देते हुए कहा गया है, चिदंबरम सत्ता विरोधी पार्टी के नेता हैं और यह साफ तौर पर राजनैतिक बदले का मामला है जिसमें एफआईपीबी यूनिट और एफआईपीबी बोर्ड के सदस्यों द्वारा फैसला लिया गया है जिसमें सरकार के छह सचिव शामिल हैं। 2008 में आईएनएक्स मीडिया नामक एक कंपनी में एफडीआई के लिए एफआईपीबी की मंजूरी के बारे में तब तत्कालीन वित्त मंत्री के तौर पर मंजूरी दी गई थी।

न्यायिक हिरासत की मंजूरी अवैध

राज्यसभा सांसद चिदंबरम ने कहा, उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही दुर्भावना और राजनैतिक बदलने की भावना से की गई है। यह जांच केंद्र सरकार के इशारे पर की गई है जो उनकी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट के न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश ठीक नहीं है और इसकी सराहना नहीं की जा सकती क्योंकि यह किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा था। रिकॉर्ड पर लाए गए तथ्यों से पता चलता है कि जनवरी 2019 तक जांच खत्म हो गई जब उनके खिलाफ मंजूरी मांगी गई थी। अब मामले में कोई जांच नहीं रह गई हैं क्योंकि अधिकतम 15 दिनों की सीबीआई रिमांड या पुलिस कस्टडी में रह चुके हैं। सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की सीबीआई की महज आशंकाओं के आधार पर न्यायिक हिरासत को मंजूरी देना अवैध है।

अन्य आरोपियों को मिल चुकी है जमानत

जमानत की मांग करते हुए चिदंबरम ने अपनी याचिका में दावा किया कि उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग किया है और भविष्य में ऐसा करते रहेंगे जब जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनके बेटे कार्ति और आईएनएक्स मीडिया के पूर्व प्रमोटरों इंद्राणी और पीटर मुखर्जी सहित अन्य सभी आरोपियों को पहले ही नियमित जमानत या अग्रिम जमानत जमानत मिल चुकी है।

ट्रायल कोर्ट ने तिहाड़ जेल में एक अलग सेल में रखने के दिए थे निर्देश

ट्रायल कोर्ट ने चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजते हुए उन्हें तिहाड़ जेल में एक अलग सेल में रखने के निर्देश जारी किए थे क्योंकि उन्हें जेड-सिक्योरिटी मिली हुई है। वित्त मंत्री के तौर पर चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये के विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद, ईडी ने इस बारे में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया।

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