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फिर आमने-सामने आए भारत-चीन के सैनिक, लद्दाख की पेंगोंग झील के पास हुआ टकराव

भारत और चीन के बीच एक बार फिर से सीमा पर टकराव की खबर सामने आई है। लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारत और...
फिर आमने-सामने आए भारत-चीन के सैनिक, लद्दाख की पेंगोंग झील के पास हुआ टकराव

भारत और चीन के बीच एक बार फिर से सीमा पर टकराव की खबर सामने आई है। लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आए हैं। भारतीय सेना के मुताबिक, लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारतीय और चीनी सैनिकों में पेट्रोलिंग को लेकर बुधवार को टकराव हुआ। दोनों देशों के सैनिकों के आमने-सामने आने की वजह से 'फेस ऑफ' की स्थिति बन गई।   

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पेंगोंग झील के उत्तरी छोर पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। हालांकि, डेलिगेशन स्तरीय वार्ता के बाद मामला शांत हो गया। दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह घटना उस वक्त हुई जब भारतीय सैनिक पट्रोलिंग पर थे। बता दें कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत सरकार के फैसले से चीन बौखलाया हुआ है। लद्दाख के मामले पर चीन और भारत में तनातनी का भी माहौल है।

भारतीय सेना ने बताया-अब स्थिति सामान्य

भारतीय और चीनी सेना के बीच धक्का-मुक्की पर जानकारी भी सामने आ गई है। भारतीय सेना ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल बातचीत के बाद तनातनी की स्थिति खत्म हो गई है।

पहले भी हुई थी दोनों देशों के सैनिकों में झड़प

गौरतलब है कि इससे पहले पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे वाले इलाके में साल 2017 को भी दोनों देशों के सैनिकों में झड़प हुई थी। इतना ही नहीं, डोकलाम में भी भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प की खबरें आ चुकी हैं। डोकलाम में दोनों सैनिकों के बीच काफी दिनों तक तनातनी रही थी। करीब 70 दिनों तक एक दूसरे के सामने डटे रहने के बाद दोनों देशों के सैनिक हटे थे।

चीन ने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करने के भारत के फैसले को बताया था अस्वीकार्य

दरअसल, भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटने जाने की प्रक्रिया पर चीन ने आपत्ति जताई थी। चीन ने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत के फैसले को 'अस्वीकार्य' बताया था। हालांकि, भारत सरकार ने चीन के विरोध का जवाब देते हुए कहा था कि यह भारत का आंतरिक मामला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि भारत अन्य देशों के आंतरिक मामलों में टिप्पणी नहीं करता और इसी तरह की उम्मीद वह अन्य देशों से करता है।

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