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संतोष और वैभव की शिकायत पर ध्यान दिया होता तो शिकंजे में रहता चोकसी

गीतांजलि जेम्म के प्रबंधक निदेशक मेहुल चोकसी भले देश से फरार हो पर उसकी ज्यादती के शिकार लोग अब सामने...
संतोष और वैभव की शिकायत पर ध्यान दिया होता तो शिकंजे में रहता चोकसी

गीतांजलि जेम्म के प्रबंधक निदेशक मेहुल चोकसी भले देश से फरार हो पर उसकी ज्यादती के शिकार लोग अब सामने आने लगे हैं। अगर इनकी शिकायत पर पहले ध्यान दिया गया होता तो संभव है चोकसी शिकंजे में होता।

चोकसी की कंपनी में बड़े पद पर रहे एक अधिकारी ने उस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संतोष श्रीवास्तव गीतांजलि जेम्स में एकाउंट्स विभाग में प्रमुख थे। उन्होंने कहा है कि उनसे धोखाधड़ी के मामले में फंसा देने की धमकी देकर गलत काम कराए जाते थे। वहीं, चोकसी से साथ व्यापार करने वाले वैभव खुरनिया ने तो यहां तक कहा कि मेहुल ने उन्हें न सिर्फ धोखा दिया बल्कि लाखों रुपये मार लिए।

चोकसी के पूर्व कर्मचारी संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि उस पर एकाउंट बुक में गड़बड़ी करने के लिए दबाव बनाया जाता था। उन्होंने कहा कि 2012-13 में मैं कंपनी के एकाउंट्स विभाग में हेड के तौर पर काम करता था। मैंने एकाउंट बुक में कुछ गड़बड़ियां पकड़ीं थी। इसके बाद जब मैंने इसकी शिकायत मेहुल चोकसी से की तो उन्होंने मुझे झमेला खड़ा करने की जगह अपने काम से मतलब रखने को कहा। वास्तव में मुझे कहा गया कि तु अपना काम कर, सैलरी ले और निकल। यह मेरे लिए अपनी आत्मा को मारने जैसा था।


संतोष के अनुसार जब मैंने 2013 में शिकायत करने का फैसला किया तो उन्होंने मुझे मोटी रकम का लालच दिया और उसके बाद मुझे धोखाधड़ी के केस में फंसाने की धमकी दी। संतोष ने कहा कि व्हिसलब्लो्अर के रूप में मैंने सीबीआइ, ईडी, सेबी से लेकर कॉरपोरेट मंत्रालय तक से शिकायत की पर कोई खास नहीं हुआ। इसके बाद मैं हताश हो गया क्योंकि बतौर व्हिसलब्लो्अर मैं सहयोग करना चाहता था पर मेरे पास अपने केस को मजबूत करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं थे। बाद में कंपनी से हट जाने के बाद मेरी भूमिका भी सीमित हो गई।

वैभव खुरनिया ने कहा कि मैंने चोकसी से मुलाकात की थी और उसकी कंपनी के साथ काम भी शुरू किया। पर जल्द ही मुझे गड़बड़ी का आभास हो गया और तीन-चार महीने में अपना स्टोर बंद करना पड़ा। इस बीच चोकसी ने मेरे 80 लाख के स्टॉक मार लिए।

इसके बाद हमने पुलिस में शिकायत की पर कुछ नहीं हुआ। इस एफआइआर को लेकर हम कोर्ट गए। अभी कोर्ट की प्रक्रिया चल ही रही थी कि उन्होंने एफआइआर को रद्द कराने के लिए हाइकोर्ट में नोटिस दायर किया। यहां से उसे अंतरिम राहत मिल गई और वह भाग गया।


वैभव ने कहा कि यह ड्रामा 2013 में शुरू हुआ और धोखाधड़ी 2011-12 से जारी था। हमने सीबीआई, सेबी, इवोडब्ल्यू और ईडी को इसकी जानकारी दी। अगर ये समय पर सतर्क हो गए होते तो वह भाग नहीं पाता। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का अंदेशा था कि वह अपने तरीके से लोगों को रिश्वत दे रहा है जिस कारण मामला उच्च स्तर पर नहीं पहुंच पा रहा है।

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