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हरियाणा: भाजपा-जजपा मंत्रियों का फिर से बहिष्कार, केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं थमा गुस्सा, गांवों में प्रवेश पर प्रतिबंध

चंडीगढ़, केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के प्रति किसानों, ग्राम...
हरियाणा: भाजपा-जजपा मंत्रियों का फिर से बहिष्कार, केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं थमा गुस्सा, गांवों में प्रवेश पर प्रतिबंध

चंडीगढ़, केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के प्रति किसानों, ग्राम और खाप पंचायतों का गुस्सा अभी थमा नहीं हैं। गठबंधन सरकार के मंत्रियों,विधायकों और कार्यकर्ताओं को सावजर्निक कार्यक्रमों में अभी भी किसानों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। इनके कार्यक्रम एन मौके पर रद्द हो रहे हैं। करीब एक हफ्ता पहले उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, बिजली मंत्री रणजीत चौटाला, कृषि मंत्री जेपी दलाल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को झज्जर के एक कार्यक्रम में भाग लिए बगैर मौके से उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा।

भाजपा-जजपा मंत्रियों,विधायकों और कार्यकर्ताओं के सामाजिक बहिष्कार के विरोध में विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री को निंदा प्रस्ताव तक लाना पड़ा जिस पर नेता प्रतिपक्ष एंव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सत्ता पक्ष के संभावित आरोपों से पहले ही सफाई देनी पड़ी कि बहिष्कार में कांग्रेसी नेताओं का कोई हाथ नहीं है और वे भी इसकी निंदा करते हैं। भाजपा-जजपा नेताओं के बहिष्कार के मामलांे ने जनवरी से तूल पकड़ना शुरु किया है जब 11 जनवरी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निवार्चन गृह जिले करनाल के कैमला गांव में किसानांे ने भाजपा की महापंचायत नहीं होने दी। सीएम का हैलीकॉप्टर नहीं उतरने दिया गया। मौके की नाजुकता को समझते हुए सीएम ने करनाल वापस लौटना उचित समझा तब से भाजपा ने अपने तमाम सावजर्निक कार्यक्रम रुद्द कर दिए। गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्य सरकार को हालात सामान्य होने तक ज्यादातर सरकारी कार्यक्रम रद्द करने की सलाह दी। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों मंे तीन चार बार फेरबदल करना पड़ा। पानीपत में ध्वजारोहण की जगह मुख्यमंत्री को पंचकूला में ध्वजारोहण करना पड़ा।

सामाजिक बहिष्कार के बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है, “किसान भी हमारे भाई हैं जब उनका गुस्सा  शांत हो जाएगा तो सब कुछ जल्द ही सामान्य जो जाएगा”। खट्टर का मानना है कि जल्द की किसान आंदोलन शांत हो जाएगा। इधर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हरियाणा में भाजपा जजपा गठबंधन पर किसान आंदोलन की गहरी चोट पड़ी है। किसानों की राजनीति करने वाले बड़े नामों में शुमार रहे भूतपूर्व उपप्रधानमंत्री स्वः चौ. देवीलाल के परिवार से आने वाले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी सामाजिक बहिष्कार के बाद से दबाव में आ गए हैं।अगर किसान आंदोलन लंबा खिंचता है तो जजपा अध्यक्ष दुष्यंत चैटाला पर यह दबाव बढ़ता जाएगा कि प्रदेश में उनकी पार्टी भाजपा सरकार को समर्थन जारी रखे या वापस लेने की घोषणा करे।

कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता रण सिंह मान का कहना है, “प्रदेश में जब भाजपा और जजपा का गठबंधन हुआ था तो उस वक्त भी जजपा के वोटर इसे लेकर खुश नहीं थे। जजपा का वोट बैंक ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में है। इसमें भी कृषक वर्ग के लोगों की अच्छी खासी तादाद रही है। उस वक्त भाजपा सरकार को समर्थन देना दुष्यंत चौटाला की मजबूरी रही हो। हरियाणा में करीब डेढ़ दशक से चौटाला परिवार सत्ता से बाहर रहा था। दुष्यंत के पास एक मौका था कि वे खट्टर सरकार में शामिल होकर अपनी पार्टी को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। हालांकि उसके बाद भाजपा को समर्थन देना चौटाला समर्थकों को रास नहीं आया। नतीजा, दुष्यंत चैटाला के प्रचार करने के बावजूद बड़ोदा विधानसभा का उपचुनाव भाजपा हार गई। उसके बाद पिछले दिनों हुए तीन नगर निगम, तीन नगरपालिका और एक नगर परिषद के चुनाव में भाजपा को पांच जगहों पर हार का सामना करना पड़ा। जजपा के हाथ पूरी तरह खाली रहे। दुष्यंत ने कृषि बिलों के विरोध में खुलकर कुछ बोलने की बजाय एमएसपी पर ही सारा जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एमएसपी के साथ कुछ छेड़छाड़ हुआ तो पहला त्यागपत्र दुष्यंत चौटाला का होगा।

उम्मीद है कि इस महीने के आखिरी में शुुरु होने वाली गेहूं की कटाई अप्रैल में खत्म हाेने के बाद मई से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन फिर से तेज होगा। तब तक प्रदेश में पंचायत चुनाव भी सिर पर हाेंगे जिसमें करारी हार का सामना भाजपा जजपा गठबंधन को करना पड़ सकता है। 26 जनवरी को दिल्ली लाल किले और आईटीओ पर उग्र घटनाओं के बाद से आंदोलनकारी किसानों को खालिस्तान से जोड़ना और कथित तौर पर भाजपा समर्थक कुछ किसान संगठनों के नेताओं को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास भेजना, इन सब बातों से हरियाणा का किसान समुदाय और अधिक नाराज हो गया। गांवों में प्रवेश द्वारों से भाजपा-जजपा और गठबंधन सरकार समर्थक विधायकों के चित्र हटाए जा रहे हैं,गांवों में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध है। 70 से अधिक खाप पंचायतंे सावजर्निक तौर पर बहिष्कार कर चुकी हैं।

मौजूदा स्थिति में भाजपा और जजपा, दोनों को भारी नुकसान पहुंच रहा है। ये संभावित है कि दोनों पार्टियां इस बात को लेकर किसानों के विरोध की ज्यादा चिंता नहीं कर रही कि विधानसभा चुनाव अभी दूर यानी 2024 में है। जब केंद्र सरकार लगातार किसानों से बात कर रही तो हरियाणा के भाजपा नेता किसानों पर निशाना साध रहे थे। भाजपा नेता जेपी दलाल ने तो इतना कह दिया था कि इस आंदोलन की आड़ में चीन और पाकिस्तान भारत में अशांति पैदा करना चाहते हैं।

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