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दिल्ली की महिलाओं को कैसी लगी फ्री बस सर्विस, 'निर्भया' ने जहां पकड़ी थी आखिरी बस कैसा है वहां हाल

देश की राजधानी दिल्ली में 29 अक्टूबर का दिन महिलाओं के लिए बाकी दिनों के बरक्स बिल्कुल जुदा रहा।...
दिल्ली की महिलाओं को कैसी लगी फ्री बस सर्विस, 'निर्भया' ने जहां पकड़ी थी आखिरी बस कैसा है वहां हाल

देश की राजधानी दिल्ली में 29 अक्टूबर का दिन महिलाओं के लिए बाकी दिनों के बरक्स बिल्कुल जुदा रहा। सिर्फ इसलिए नहीं कि वे इस दिन भाईदूज मना रहीं थी बल्कि इसलिए कि उन्हें बस में इस दिन गुलाबी टिकट मिल रहा था। जी हां गुलाबी रंग का टिकट जिस पर लिखा था "जब महिलाएं आगे बढ़ेंगी तब देश आगे बढ़ेगा...।''

दरअसल, दिल्ली की सार्वजनिक बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा योजना भाई दूज के दिन से शुरू हो गई। लिहाजा, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) और क्लस्टर बसों में महिलाएं गुलाबी रंग के सिंगल जर्नी पास के जरिए मुफ्त यात्रा कर सकेंगी। साथ ही दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने बसों में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 13,000 मार्शलों की भी तैनाती की है। चुनाव से पहले केजरीवाल सरकार की इस योजना को मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। इसका लाभ सरकार को चुनाव में कितना मिलेगा ये आने वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल दिल्ली में हर रोज सफर करने वाली महिलाएं काफी खुश दिखाई दे रही हैं।

आईएसबीटी से पूर्वांचल हॉस्टल जाने वाली 621 नम्बर वाली बस का नजारा भी बदला-बदला दिखा। कंडक्टर के हाथों में गुलाबी और सफेद दो तरह के टिकट थे। एक मार्शल की तैनाती थी। महिलाएं मुस्कुराते हुए पिंक टिकट ले रही थीं। बाकी सफेद टिकट अन्य यात्रियों के लिए था। बस में सफर कर रहीं 55 वर्षीय उषा भी काफी उत्साहित नजर आईं। उनका कहना था कि उन्हें कई बार अपने रिश्तेदारों से मिलने जाने के लिए अपने पति या बच्चों से पैसे मांगने पड़ते थे। वे कई बार तो झल्ला भी उठते थे। लेकिन अब उन्हें न पैसे मांगने होंगे न कोई झिकझिक होगी। उषा ने कहा कि अब महिलाएं ज्यादा से ज्यादा घर से बाहर निकलेंगी।

कंडक्टर सोनू ने भी आज पहले के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा होने का दावा किया। उन्होंने बताया कि बाकी दिन वह शाम 5 बजे तक महिलाओं को लगभग 30 से 40 टिकट देते थे लेकिन आज वह 68 पिंक टिकट बांट चुके हैं।

काश तब मार्शल की तैनाती होती....’

मोहम्मदपुर से वसंत विहार जा रहीं विनीता टिकट मुफ्त होने से ज्यादा मार्शल की तैनाती को लेकर खुश हैं। तमिलनाडु से साल भर पहले दिल्ली आईं विनीता त्रिलोकपुरी में रहती हैं। छह महीने पहले उन्हें बस में किसी शख्स ने गलत तरीके से छुआ था मगर वह उस दौरान वहां कुछ नहीं कर सकीं। विनीता कहती हैं कि महिलाओं के लिए हर रोज का सफर इतना आसान नहीं होता। उन्होंने बताया, "छह माह पहले जब मेरे साथ बस में यौन दुर्व्यवहार हुआ था तब मुझे समझ में नहीं आया कि मैं किसके पास शिकायत करूं। काश उस दौरान वहां किसी मार्शल की तैनाती होती लेकिन अब मैं सुरक्षा को लेकर काफी हद तक आश्वस्त हूं मार्शल के पास जाकर मैं कम से कम मदद मांग सकती हूं।"

बस में तैनात मार्शल सचिन कुमार का यहां पहला दिन था। वे विनीता की बातों से सहमति रखते हैं। उन्होंने कहा, "पहले महिलाओं की शिकायत के निवारण के लिए स्पॉट पर कोई नहीं होता था। चालक या परिचालक भी जवाबदेही नहीं होने से ऐसे मामलों से अक्सर बचते रहते हैं। लेकिन अब सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। अब कोई भी ऐसी बात होगी तो हम मौजूद रहेंगे।"

मुनिरका, जहां से निर्भया ने पकड़ी थी आखिरी बस...

अब हम मुनिरका आ गए। इसी मुनिरका बस स्टॉप से 16 दिसंबर 2012 की रात लगभग 9.30 बजे निर्भया ने अपने दोस्त के साथ निजी बस पकड़ी थी। गैंगरेप की पीड़िता निर्भया को महिपालपुर रूट पर सामूहिक बलात्कार के बाद बस से फेंका गया था।

हालांकि अब अच्छी खासी संख्या में महिलाएं यहां बस का इंतजार करती नजर आईं। रात 8:30 बजे यहां 764 नंबर की बस आती दिखी। बस में दाखिल होते ही महिलाओं ने अपना-अपना पिंक टिकट लिया। गुड़गांव की एक निजी कंपनी में नौकरी करने वाली रिया बताती हैं कि वे आमतौर पर 9-10 बजे तक अक्सर इस रूट में सफर करती हैं। रिया अब सुरक्षा को लेकर काफी निश्चिन्त है। उनका मानना है कि फ्री बस टिकट होने से महिलाएं ज्यादा से ज्यादा यात्रा करेंगी और इससे माहौल भी बदलेगा। उन्हें अब फ्री मेट्रो सेवा का भी इंतजार है।

मार्शल की परेशानी

इस बस में तैनात मार्शल ने महिला सुरक्षा को अपनी सबसे बड़ी जवाबदेही तो बताया लेकिन साथ ही उसने मार्शलों की समस्या भी सुनाई। उन्होंने बताया कि चलती बस में 8 से 9 घंटे तक ड्यूटी के दौरान उन्हें खड़ा रहना पड़ रहा है। उनके लिए कोई सीट निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने कहा, “बाहर खड़े रहने और चलती बस में खड़ा होना दोनों अलग-अलग है। चलती बस में घंटों तक लगातार खड़े होने से पैर और कमर में काफी दिक्कतें होती हैं। इसलिए हमें सीट की जरूरत है।”

योजना से खुश मगर सवाल भी...

अपने बच्चों के साथ सफर कर रहीं रूबी रंजन फ्री पास से खुश तो हैं लेकिन वह इसे राजनीतिक लॉलीपॉप बताती हैं। उन्होंने कहा, बस में मुफ्त टिकट मिलने से कौन खुश नहीं होगा? …लेकिन कल मौजूदा सरकार बदल गई तो ये योजना भी बंद हो जाएगी। मूलत: बिहार से आने वाली रूबी रंजन ने सवालिया लहजे में कहा, “कहीं ये योजना सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर तो नहीं बनाई गई है?”

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