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एनआरसी के लिए अपील दायर करने की अवधि 60 से बढ़कर हुई 120 दिन, गृह मंत्रालय का फैसला

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से नाम बाहर होने के संदर्भ में...
एनआरसी के लिए अपील दायर करने की अवधि 60 से बढ़कर हुई 120 दिन, गृह मंत्रालय का फैसला

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से नाम बाहर होने के संदर्भ में फॉरेन ट्रिब्यूनल्स (एफटी) में अपील दायर करने के लिए समय सीमा 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन कर दी। गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक समीक्षा बैठक की। इसमें अंतिम एनआरसी से बाहर लोगों को निर्धारित समय में अपील दायर करने में आने वाली सभी दिक्कतों को संशोधित करने का फैसला किया गया।

इस बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, असम के मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में अंतिम एनआरसी प्रकाशित करने की तारीख को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी।

अपील दायर करने की समय सीमा 60 दिन बढ़ाकर 120 दिन  

गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, “जैसा कि अंतिम एनआरसी से बाहर के सभी लोगों के लिए निर्धारित समय में अपील दायर करना संभव नहीं हो सका है, ऐसे में गृह मंत्रालय एफटी में अपील दायर करने के लिए संशोधन करेगा और अपील दायर करने की समय सीमा 60 दिन बढ़ाकर 120 दिन की जाएगी। नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम 2003 को भी इसी के अनुसार संशोधित किया जा रहा है।”

कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए इंतजाम करेगी असम सरकार

समीक्षा बैठक में यह भी फैसला किया गया कि असम सरकार एनआरसी से बाहर रह गए जरूरतमंद लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए इंतजाम करेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय और असम सरकार के बीच हाल के दिनों में इस मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया है।

नाम छूटने का मतलब विदेशी नागरिक नहीं

साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआरसी को लेकर विभिन्न आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए मंगलवार को कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में नाम नहीं होने का मतलब स्वत: किसी व्यक्ति का विदेशी नागरिक घोषित हो जाना नहीं है। एनआरसी में नाम शामिल नहीं होने के खिलाफ अपील के पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं।

गृह मंत्रालय ने बयान में कहा, “हर व्यक्ति जिसका नाम अंतिम एनआरसी में नहीं है, वह अपने मामले को अपीली प्राधिकरण जैसे फॉरेनर ट्रिब्यूनल्स के समक्ष उठा सकता है। क्योंकि फॉरेनर्स एक्स 1946 व फॉरेनर्स (ट्रिब्यूनल ) ऑर्डर 1964 के प्रावधानों के तहत सिर्फ फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के पास किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार है।”

एनआरसी ड्राफ्ट में 40 लाख लोग हुए थे बाहर

बता दें कि पिछले साल जारी एनआरसी ड्राफ्ट में 40 लाख लोग बाहर हुए थे। ये वे लोग थे, जो उस वक्त अपनी नागरिकता से जुड़े सबूत नहीं पेश कर सके थे। उन्हें बाद में एनआरसी लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए दस्तावेज पेश करने का मौका मिल चुका है। सभी की निगाहें अब अंतिम रूप से प्रकाशित होने जा रहे नेशनल सिटिजन रजिस्टर के आंकड़ों पर टिकी हैं।

सुप्रीम कोर्ट कर रही है एनआरसी की प्रक्रिया की निगरानी

एनआरसी की प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रही है। इसका मकसद असम में अवैध अप्रवासियों की पहचान करना है। 2011 की जनगणना के अनुसार असम की कुल जनसंख्या 3.11 करोड़ से ज्यादा थी।

(एजेंसी इनुपट के साथ)

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