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योगी आदित्यनाथ पर ट्वीट मामले में पत्रकार प्रशांत कनौजिया रिहा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ‘विवादित’ टिप्पणी लिखने और वीडियो शेयर करने...
योगी आदित्यनाथ पर ट्वीट मामले में पत्रकार प्रशांत कनौजिया रिहा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ‘विवादित’ टिप्पणी लिखने और वीडियो शेयर करने के मामले में गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया को यूपी पुलिस ने रिहा कर दिया है।  सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद लखनऊ की एसीजेएम कोर्ट ने प्रशांत के रिहा करने के आदेश दिए थे। हालांकि उन्हें सशर्त जमानत दी गई है। प्रशांत की ओर से 40 हजार का जमानती बॉन्ड भराया गया है और तीन शर्तों के साथ उनकी रिहाई का आदेश दिया गया।

तीन शर्तों के साथ लिया गया शपथपत्र

बुधवार को प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा लखनऊ में एसीजेएम की विशेष कोर्ट पहुंची। यहां उन्होंने एसीजेएम संजय कुमार की कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। कोर्ट ने उन्हें 40 हजार रुपये का जमानती बॉन्ड भरने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने तीन शर्तों के साथ प्रशांत को जमानत दी है। तीन शर्तों में पहली शर्त यह है कि उनसे शपथपत्र लिया गया है कि वह इस तरह का अपराध फिर नहीं करेंगे।

इसके अलावा शपथपत्र में दूसरी शर्त यह है कि उन्हें जब भी सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा, वह कोर्ट में उपस्थित होंगे। वहीं तीसरी शर्त में उन्होंने वादा किया है कि वह किसी भी तरह के सबूतों के साथ छेड़खानी नहीं करेंगे न ही सबूत हटाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे रिहाई के निर्देश

प्रशांत कनौजिया ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर एक वीडियो शेयर किया था। पुलिस के मुताबिक उन्होंने एक वीडियो को शेयर करते हुए एक विवादित कैप्शन लिखा था। प्रशांत की पत्नी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर उन्हें किन धाराओं के तहत अरेस्ट किया है। कोर्ट ने कहा कि कनौजिया को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए, लेकिन उन पर केस चलता रहेगा।

यही नहीं शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की भी याद दिलाई। कोर्ट ने कहा कि उसे उदारता दिखाते हुए स्वतंत्र पत्रकार कनौजिया को रिहा कर देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लोगों की आजादी पूरी तरह अक्षुण्ण है और इससे कोई समझौता नहीं किया है। यह संविधान की ओर से दिया गया अधिकार है, जिसका कोई उल्लंघन नहीं कर सकता।

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