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दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन, पीएम मोदी समेत इन्होंने दी श्रद्धांजलि

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन हो...
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन, पीएम मोदी समेत इन्होंने दी श्रद्धांजलि

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थीं। उन्हें दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, कार्डिएक अरेस्ट की वजह से उनका निधन हुआ। पिछले साल फ्रांस में उनके हार्ट की सर्जरी हुई थी। उनके पार्थिव शरीर को निजामुद्दीन स्थित उनके आवास लाया गया। कल रविवार को कांग्रेस हेडक्वार्टर में पार्थिव लाया जाएगा और शाम तक निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने दो दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है।

निधन से पहले राजनीति में सक्रिय थीं शीला दीक्षित

15 साल तक राजधानी की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के नाम सबसे ज्यादा वक्त तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है। निधन से कुछ दिनों पहले तक वह राजनीति में खासी सक्रिय थीं और हाल ही में उन्होंने दिल्ली में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति भी की थी। यही नहीं कांग्रेस पार्टी दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें सीएम के चेहरे के तौर पर उतारने की तैयारी में भी थी। दिल्ली में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद केरल की राज्यपाल भी रही थीं। इसके अलावा कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर भी पेश किया था। शीला को हमेशा से गांधी-नेहरू परिवार का करीबी माना जाता था। शीला दीक्षित को समन्वयवादी राजनीति का चेहरा माना जाता रहा है। दिल्ली में मेट्रो के नेटवर्क का विस्तार हो या फिर बारापुला जैसे बड़े रोड नेटवर्क उन्हीं की देन माने जाते हैं।

पीएम मोदी, राहुल गांधी, केजरीवाल समेत इन्होंने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ, भाजपा सांसद मनोज तिवारी, हंसराज हंस, अकाली दल नेता हरसिमरत कौर, भाजपा नेता सुषमा स्वराज, अभिनेता अक्षय कुमार, पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, मोहम्मद कैफ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर कहा- श्रीमती शीला दीक्षित के निधन की खबर सुनकर हमें दु:ख हुआ। पूरे जीवन एक कांग्रेसी और तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने दिल्ली का चेहरा बदल दिया। उनके परिवार और दोस्तों के साथ हमारी सहानुभूति है। हम आशा करते हैं कि उन्हें यह दु:ख सहने की शक्ति मिले।






शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर

15 साल तक दिल्ली की सत्ता संभालने वाले शीला दीक्षित इससे पहले 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उत्तर प्रदेश) से सांसद रहीं। इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं। वह राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी थीं। शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। हालांकि, 2013 में आम आदमी पार्टी के आगमन शीला दीक्षित की सरकार को जाना पड़ा। हालांकि, माना जाता है कि शीला दीक्षित की हार में एंटी इनकंबेंसी भी हावी रहा। इसके बाद वह 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष का पद सौंपा गया। उन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन शीला दीक्षित को हार का सामना करना पड़ा।

शीला दीक्षित की पढ़ाई

शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ। शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की। उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ। विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे। शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद हैं।

दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री

शीला दीक्षित अपनी काम की बदौलत कांग्रेस पार्टी में पैठ बनाती चली गईं। सोनिया गांधी के सामने भी शीला दीक्षित की एक अच्छी छवि बनी और यही वजह है कि राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें खासा महत्व दिया। साल 1998 में शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गईं। 1998 में ही लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ीं, मगर जीत नहीं पाईं। उसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ना छोड़ दिया और दिल्ली की गद्दी की ओर देखना शुरू कर दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि तीन-तीन बार मुख्यमंत्री भी रहीं। दिल्ली के कायाकल्प में उनका बड़ा योगदान माना जाता है। दिल्ली में मेट्रो के नेटवर्क का विस्तार हो या फिर बारापुला जैसे बड़े रोड नेटवर्क उन्हीं की देन माने जाते हैं। हालांकि दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान उनके शासनकाल में ही कांग्रेस पर घोटालों को आरोप लगे।

मनोज तिवारी के खिलाफ हार का सामना

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित को एक बार फिर राज्य की मुख्यधारा की राजनीति में लाया गया। अजय माकन की जगह उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। कांग्रेस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से शीला दीक्षित को उम्मीदवार बनाया लेकिन उन्हें भाजपा सांसद मनोज तिवारी के सामने हार का सामना करना पड़ा।

आखिरी समय में राज्य के नेतृत्व में खींचतान

शीला दीक्षित के निधन से कुछ दिनों पहले कांग्रेस के राज्य नेतृत्व में खींचतान की खबरें भी आईं। उन्होंने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस संगठन में कई बदलाव किए थे। उन्होंने अपने तीन कार्यकारी अध्यक्षों के बीच पार्टी के काम की जिम्मेदारी बांटी थी। इसे शीला दीक्षित के खराब स्वास्थ्य से जोड़कर भी देखा जा रहा था।

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