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पूर्व नौकरशाहों ने किया प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी का विरोध, पीएम मोदी से की यह अपील

मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा ने मालेगांव ब्लास्ट आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को जब से उम्मीदवार बनाया है, तब...
पूर्व नौकरशाहों ने किया प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी का विरोध, पीएम मोदी से की यह अपील

मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा ने मालेगांव ब्लास्ट आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को जब से उम्मीदवार बनाया है, तब से पार्टी की लगातार आलोचना हो रही है। आलोचना करने वालों में सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं। पिछले दिनों जूलियो रिबेरो समेत आठ रिटायर्ड डीजीपी ने इसकी निंदा की थी। इसी क्रम में सिविल सेवा से जुड़े देशभर के पूर्व नौकरशाहों ने भाजपा के इस कदम की भर्त्सना की है। इन नौकरशाहों ने एक खुला पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि चुनावी प्रक्रिया में भय और सांप्रदायिक क्रूरता को खत्म करने के लिए वह आगे आएं। साथ ही पूर्व नौकरशाहों ने प्रज्ञा ठाकुर द्वारा शहीद हेमंत करकरे को लेकर दिए गए बयान की निंदा करते हुए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है।

प्रधानमंत्री ने किया प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी का समर्थन’

इन अधिकारियों ने पत्र के माध्यम से अपने संयुक्त बयान में कहा है कि हम किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं और भारत के संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अधिकारियों ने कहा कि हम भोपाल सीट से प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी पर अविश्वास और चिंता व्यक्त करते हैं। इस निर्णय को राजनीतिक लाभ का एक और उदाहरण मानकर दरकिनार किया जा सकता था लेकिन स्वयं भारत के प्रधानमंत्री ने प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी को भारत की विरासत का प्रतीक बताया है।

हेमंत करकरे की यादों का किया अपमान’

अधिकारियों का कहना है कि आतंकी गतिविधियों को लेकर प्रज्ञा ठाकुर पर केस चल रहा है। वह स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर हैं, उन्हें ना सिर्फ राजनीतिक प्लेटफॉर्म मुहैया कराया गया बल्कि उन्होंने इसका इस्तेमाल अपनी कट्टरता को बढ़ावा देने और आतंक से लड़ते हुए शहीद होने वाले हेमंत करकरे की यादों का अपमान करने के लिए किया। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि हेमंत करकरे उनके (प्रज्ञा ठाकुर) श्राप की वजह से शहीद हुए। उनके विचार में ‘’हिंदू’’ देश में जो कोई भी स्वघोषित ‘’हिंदू’’ धार्मिक नेता की जांच करने का साहस दिखाएगा, उसे दिव्य शक्तियों के क्रोध का सामना करना पड़ेगा और वह स्वयं ही नष्ट हो जाएगा।

पत्र के मुताबिक, पूर्व नौकरशाहों के रूप में सामान्य तौर पर हम अपने विचार जाहिर नहीं करते हैं। लेकिन एक पूर्व साथी, एक अधिकारी जिसे अपने काम के लिए जाना गया, उनका अपमान हमारे लिए झटके की तरह था और शब्दों से परे हमें दु:ख हुआ। जरूरी है कि देश करकरे के बलिदान का सम्मान करे ताकि पथ से भटका हुआ कोई व्यक्ति उनका और उनकी यादों का अपमान ना कर सके।

समाज में नफरत और विभाजन का माहौल’

पत्र में कहा गया कि हमारा यह बयान सिर्फ हेमंत करकरे को लेकर नहीं है। यह उस नफरत और विभाजनकारी माहौल को लेकर भी है जो ना सिर्फ इस बार के चुनावी प्रचार की विशेषता बन गया है बल्कि यह एक पूरे समाज के तौर पर क्षति पहुंचा रहा है। प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी हमारी सभ्यता की विरासत का प्रतीक नहीं है। आतंकी गतिविधियां हमारे देश की विरासत नहीं हैं। यह बहुसंख्यकवाद नहीं बल्कि विविधता का उत्सव मनाने की सभ्यता है। यह सहिष्णुता, भाईचारे और भारत के संविधान की एकता की भावना है।

पीएम करें आतंक के हर स्वरूप की निंदा’

बयान के मुताबिक, हम अपनी तरफ से भारत के प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि वह आतंक की किसी भी रूप में मौजूदगी की निंदा करें। वह इस विरोधाभास से नहीं भाग सकते कि उनकी पार्टी आतंकवाद से लड़ने के नाम पर वोट मांग रही है और साथ ही आतंक की आरोपी की उम्मीदवारी को बढ़ावा दे रही है। राजनीतिक महात्वाकांक्षा के लिए शहादत को नहीं भुलाया जा सकता।

अधिकारियों ने कहा, चुनाव आयोग और न्यायपालिका द्वारा विभाजनकारी राजनीति पर लगाम लगाने के प्रयास भी ज्यादा प्रभावी नहीं हो रहे हैं। इसके लिए और अधिक सक्रियता की जरूरत है। हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे भी महात्मा गांधी के सपनों का भारत बनाने में सामूहिक शक्ति का प्रयोग करें।

खुला पत्र लिखने वालों में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनीता अग्निहोत्री, सलाहुद्दीन अहमद, एसपी अम्ब्रोस, वप्पला बालचंद्रन, रिटायर्ड आईपीएस मीरन सी बोरवंकर, रिटायर्ड आईएफएस सुशील दूबे, केपी फाबियान, रिटायर्ड आईआरएस दीपा हरि समेत 71 अधिकारी शामिल हैं।

 

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