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प. बंगाल विधानसभा का गेट नहीं खुला तो राज्यपाल ने कहा- यह ‘लोकतंत्र के लिए शर्मनाक’

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के लिए विधानसभा का एक गेट नहीं खुला तो उन्होंने इसे लोकतंत्र के...
प. बंगाल विधानसभा का गेट नहीं खुला तो राज्यपाल ने कहा- यह ‘लोकतंत्र के लिए शर्मनाक’

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के लिए विधानसभा का एक गेट नहीं खुला तो उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक करार दे दिया। वाकया गुरुवार का है। दरअसल, राज्यपाल गेट नंबर 3 से विधानसभा परिसर में दाखिल होते हैं। यह गेट राज्यपाल के प्रवेश के लिए ही है। लेकिन सुबह वे इस गेट के सामने पहुंचे तो वहां ताला लगा था। उन्होंने काफी देर गेट नंबर 3 के सामने इंतजार किया और बाद में मीडियाकर्मियों और अधिकारियों के प्रवेश द्वार गेट नंबर 4 से विधानसभा परिसर में प्रवेश किया।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “इस घटना ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास को शर्मसार कर दिया है।” धनखड़ ने कहा, “यह मुझे नहीं बल्कि लोकतंत्र को अपमानित किया जा रहा है, पश्चिम बंगाल के लोगों को अपमानित किया जा रहा है।” गौरतलब है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच लंबे समय से अनबन चल रही है। मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ने अचानक सदन की कार्यवाही दो दिनों के लिए स्थगित कर दी थी। उन्होंने कहा था कि सदन में रखे जाने वाले विधेयकों को राज्यपाल ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है। हालांकि राजभवन ने इस बयान को गलत बताया।

लाइब्रेरी जाना चाहते थे धनखड़

जगदीप धनखड़ का कहना है कि विधानसभा स्पीकर ने उन्हें लंच पर बुलाया था। लेकिन बाद में अचानक वह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया और दो दिन के लिए विधानसभा बंद कर दी गई। लेकिन विधानसभा बंद होने का मतलब सचिवालय बंद होना नहीं है। धनखड़ का आरोप है कि उन्हें जानबूझकर विधानसभा में जाने नहीं दिया गया।

राज्यपाल ने एक ट्वीट कर बताया था कि वे 5 दिसंबर को सुबह 10.30 बजे विधानसभा जाएंगे और इसकी जानकारी स्पीकर और विधानसभा सचिव को दी गई है। बुधवार को उन्होंने स्पीकर बिमान बनर्जी को लिखा था, “मैं ऐतिहासिक इमारत को देखना चाहता हूं और लाइब्रेरी भी जाना चाहता हूं।”

दीदी के बॉलो...

पश्चिम बंगाल में, ममता बनर्जी से जनता ‘दीदी के बॉलो’ कार्यक्रम से सीधे संवाद करती है। इसी कार्यक्रम का जिक्र करते हुए धनखड़ ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या आपने मुख्यमंत्री से पूछा है कि अब राज्यपाल को भी मुख्यमंत्री से ‘दीदी के बॉलो’ माध्यम से ही संवाद करना चाहिए?”

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