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सबरीमला पर त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने लिया यू टर्न, किया महिलाओं के प्रवेश का समर्थन

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सबरीमला मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। केरल...
सबरीमला पर त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने लिया यू टर्न, किया महिलाओं के प्रवेश का समर्थन

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सबरीमला मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी की। वहीं, सुनवाई के दौरान त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने अपने रुख से पलटते हुए सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया।

हालांकि केरल सरकार ने पुनर्विचार याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल दिए गए फैसले पर दोबारा विचार की कोई जरूरत नहीं है। राज्य सरकार ने कहा कि किसी अन्य आधार पर चुनौती से फैसला प्रभावित नहीं होगा। इस मामले में कुल 64 याचिकाएं कोर्ट के समक्ष थीं।

पांच सदस्यीय पीठ ने की सुनवाई

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस इन्दु मल्होत्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के 28 सितंबर, 2018 के निर्णय पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर आदेश बाद में सुनाया जाएगा। कोर्ट ने दायर याचिकाओं पर केरल सरकार, नायर सर्विस सोसायटी, त्रावणकोण देवस्वम बोर्ड और अन्य पक्षकारों को सुना।

बोर्ड ने कहा, अब नहीं है प्रवेश को लेकर एतराज

सबरीमला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने अपने रूख में बदलाव करते हुए कहा कि मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट  के फैसले का समर्थन किया है। बोर्ड के वकील ने कहा कि अब उसने फैसले का सम्मान करने का फैसला किया है।

नायर सर्विस सोसायटी की ओर से पेश वकील के पराशरन ने पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष दलीलें रखीं। वकील पराशरन ने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले को रद्द करने की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में दिया था फैसला

बीते साल सितंबर माह में 4-1 से सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोका न जाए। अब ये महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। इस फैसले के बाद केरल में इसके पक्ष और विरोध में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं।

इन संगठनों ने जताई थी नाराजगी

सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले पर कई हिंदूवादी और सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जताई थी। उनके मुताबिक इससे उनकी धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं पर चोट पहुंची है। नेशनल अयप्पा डिवोटीज एसोसिएशन (नाडा) और नायर सेवा समाज जैसे 17 संगठन मुख्य रूप से इस पुनर्विचार याचिका को दायर करने में शामिल हैं। फैसले के खिलाफ केरल में जारी भारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच सबरीमला तीर्थयात्रा के बाद बीते 19 जनवरी को भगवान अयप्पा के मंदिर के कपाट को बंद कर दिया गया था।

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