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पराली जलाने और प्रदूषण की स्थिति को लेकर दिल्ली एलजी ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को लिखा पत्र, कहीं ये बातें?

दिल्ली में लागतार बढ़ रहे वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए पंजाब में पराली जलाने को लेकर दिल्ली के...
पराली जलाने और प्रदूषण की स्थिति को लेकर दिल्ली एलजी ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को लिखा पत्र, कहीं ये बातें?

दिल्ली में लागतार बढ़ रहे वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए पंजाब में पराली जलाने को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को लिखकर वहां जल रही पराली (पराली) को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और ठोस उपाय करने को अनुरोध किया। जिससे एक बार फिर पराली और प्रदूषण का मुद्दा तेज हो सकता है।

दिल्ली के उपराज्यपाल ने मान को लिखे पत्र में कहा, “प्रिय भगवंत मान जी, बड़ी गहरी पीड़ा की भावना के साथ मैं आपका ध्यान उस पीड़ा की ओर आकर्षित करना चाहता हूं जो दिल्ली के लोग बिना किसी गलती के अनुभव कर रहे हैं, और आपसे अनुरोध है कि पंजाब में पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए तत्काल और ठोस उपाय करें।”

सक्सेना ने अपने पत्र कहा कि पराली जलाने के कारण राष्ट्रीय राजधानी को एक बार फिर गैस चैंबर में बदल गया है। यह सर्वविदित है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जो धुएं के कारण लगातार 'गंभीर प्लस श्रेणी' में मँडरा रहा है। जिसमें से 95% पंजाब में पराली जलने से उत्पन्न हो रहा है।

एलजी ने आगे अपने पत्र में जिक्र किया कि जन-स्वास्थ्य के ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर आपका कॉल न आने के बाद मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करने के लिए विवश हूं कि उम्मीदों के विपरीत पराली जलाने की घटनाओं में 19 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है।

उपराज्यपाल ने पिछले साल इसी अवधि में और इस साल पराली जलाने की घटनाओं की तुलना करते हुए कहा, “24 अक्टूबर 2022 से 02 नवंबर 2022 के बीच पराली जलने पर प्रामाणिक डेटा एक खतरनाक तस्वीर प्रस्तुत करता है। इसी अवधि के लिए 2021 और 2022 के आंकड़े क्रमशः 18066 और 21480 हैं। 02 नवंबर, 2022 तक अकेले 06 राज्यों पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी और राजस्थान में पराली जलने के कुल 3825 मामलों में से केवल पंजाब में 3634 मामले दर्ज किए गए, जबकि दिल्ली में जीरो मामला दर्ज किया गया।"

सक्सेना ने कहा कि प्रदूषण के कारण दिल्ली और एनसीआर में स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति पैदा हो गई है। जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होने की रिपोर्ट में कई गुना वृद्धि देखी गई है। इससे वृद्धि, बच्चे और बुजुर्ग असमान रूप से प्रभावित होते हैं और प्रत्येक आम नागरिक को लगातार आंखों में जलन, खांसी, नाक बंद, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है।

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