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विमान हादसाः बचाओ...बचाओ...सब स्वाहा

नई नवेली दुल्हन से लेकर, नई नौकरी के साथ जिंदगी शुरू करने तक, विमान हादसे में ऐसी कई कहानियां हैं, जो...
विमान हादसाः बचाओ...बचाओ...सब स्वाहा

नई नवेली दुल्हन से लेकर, नई नौकरी के साथ जिंदगी शुरू करने तक, विमान हादसे में ऐसी कई कहानियां हैं, जो आंखें नम करती है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल क्या उड़ान से पहले गड़बड़ियों की अनदेखी की गई, आखिर इसका जिम्मेदार कौन

तारीख 12 जून 2025। जहाज दोपहर 1.39 बजे रनवे पर दौड़ा, उड़ा और 1.41 बजे धड़ाम से गिर गया। विमान बमुश्किल 625 फुट तक उठ पाया था कि गुजरात के अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की चौहद्दी के पार घनी बस्‍ती के मेडिकल कॉलेज हॉस्‍टल की छत से टकराया और बिखरा गया। आग का गोला उठा, विमान के कुछ चिथड़े छत पर, कुछ नीचे और सब स्‍वाहा हो गया। नीचे जा गिरे हिस्‍से में लंदन जा रही एयर इंडिया की उड़ान संख्‍या 171 के उस बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में सवार 242 लोगों में सिर्फ एक शख्‍स किसी चमत्‍कार की तरह साबूत बच गया। उसमें सवार 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, एक कनाडाई और सात पुर्तगाली थे। बचने वाला भारतीय या कहें गुजराती मूल का ब्रितानी नागरिक विश्वास कुमार रमेश है। मेडिकल हॉस्‍टल में लंच का वक्‍त था। छात्र खाने की मेज पर थे। जहां प्लेन गिरा, वह हिस्सा पूरी तरह स्‍वाहा हो गया। अलग-बगल की चार इमारतें और अासपास के इलाके भी चपेट में आए। कितने लोग जिंदा जलकर राख हो गए, यह अभी भी पता लगाना जारी है, क्‍योंकि करीब 25 लोगों की खोज-खबर चल रही है। मौत का आंकड़ा 290 तक है। शवों को पहचानने के लिए डीएन परीक्षण के नतीजों में देरी भी रिश्‍तेदारों के लिए असहनीय हो रही है। इस रिपोर्ट के लिखे जाने यानी पांच दिन बाद तक 82 शवों की पहचान ही हो पाई थी, 46 के शव सौंपे गए थे।

मेडिकल हॉस्टल पर विमान गिरने के बाद वहां पहुंचा राहत दल

मेडिकल हॉस्टल पर विमान गिरने के बाद वहां पहुंचा राहत दल

आग के गोले और विशाल धुएं के गुबार में बचाव के लिए सबसे पहले दौड़ने वाले बगल की झुग्गी-झोपडि़यों के लोग थे। विश्‍वास कुमार ने अस्‍पताल में बताया कि जोर का धमाका हुआ और उन्‍हें होश आया तो वे सीट समेत नीचे गिरे हुए थे। वे दौड़े और जहां पहुंचे वहां राहत में लगे लोगों ने उन्‍हें एंबुलेंस तक पहुंचाया। एकाध सीट बगल में बैठे उनके भाई इस हादसे में नहीं बच पाए। हादसे से देश ही नहीं, पूरी दुनिया सन्‍न रह गई। अमेरिका की बोइंग कंपनी को अपने इस हवाई जहाज को पर बड़ा नाज है। इस हवाई जहाज को सबसे सुरक्षित माना जाता है। इसीलिए इसका नाम भी ड्रीमलाइनर यानी सपनों की उड़ान कहा जाता है।

हादसे में बचे एक मात्र यात्री विश्वास

हादसे में बचे एकमात्र यात्री विश्वास

बोइंग शृंखला के इन विमानों में पहले भी कई गड़बडि़यां उजागर हुई हैं, लेकिन ऐसा भीषण हादसा इससे पहले नहीं हुआ है। जो हुआ भी है, उसमें ऐसा कभी नहीं हुआ कि उड़ान भरते ही इंजन या कॉकपिट की सारी व्‍यवस्‍था ही ठप हो जाए और विमान हवा में अटक जाए। पिछले कुछ दिनों से इसी गुत्थी को सुलझाने की कवायद चल रही है। इस भीषण विमान विस्‍फोट के कुछ घंटे बाद घटनास्‍थल पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सिर्फ इतना कह सके कि ‘‘एक्‍सीडेंट है, एक्‍सीडेंट रोके नहीं जा सकते।’’ हालांकि एक्‍सीडेंट रोकने का उपक्रम पर ही तो सारा दारोमदार है। खासकर विमानन क्षेत्र का तो मूल ही हादसे न होने देने पर टिका है। वही नई डिजाइन और व्‍यवस्‍थाओं के विकास का आधार बनता है। इसीलिए उनके बयान की विपक्ष ने आलोचना की। हादसों की कुछ तो जवाबदेही तय होनी ही चाहिए। इस हादसे के बाद उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी में भी एक हेलिकॉप्‍टर गिरा और उसमें सवार सात लोग जान गंवा बैठे। तो, क्‍या उड़ान से पहले विमानों की जांच-पड़ताल और सुरक्षित उड़ान की निगरानी के लिए जिम्मेदार नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के काम में कोताही बढ़ रही है। यह एक कोण है जिस पर शिद्दत से विचार किया जाना है।

अस्पताल के बाहर गमगीन माहौल

अस्पताल के बाहर गमगीन माहौल

अब फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) या कहें ब्‍लैक बॉक्‍स दोनों ही घटनास्‍थल से मिल गए हैं। इससे पड़ताल में बहुत हद तक मदद मिल सकती है। हालांकि उनके डेटा के विश्‍लेषण में लंबा समय लग सकता है। विमानन क्षेत्र के जानकार हदसों की जो वजहें बताते हैं (देखें, हादसे की वजहें), उनमें एक बड़ा कारण यह भी है, क्‍योंकि अहमदाबाद जैसा हादसा किसी एक वजह से नहीं, बल्कि कई वजहों के जोड़ से ही हो सकता है। संभव है, लंबे समय से कोई खामी दिख रही हो, जिसे छोटा मानकर छोड़ दिया गया हो कि बाद में ठीक कर लिया जाएगा और उसका असर दूसरे हिस्‍सों पर पड़ा हो। यह विमान उसी दिन लंदन से दिल्‍ली लौटा था और दिल्‍ली से अहमदाबाद आया था। दिल्‍ली से उड़ान में सवार आकाश नाम के शख्‍स ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला था, जिसमें दिख रहा था कि विमान में एसी काम नहीं कर रहा है और विमान झटके ले रहा है। हो सकता है अहमदाबाद में वह कारण ठीक कर लिया गया हो या छोटी-मोटी मरम्‍मत करके छोड़ दिया गया हो। जो भी हो, वजहें तो मुकम्‍मल जांच में पता लग पाएंगी।

दूसरा बड़ा कारण पक्षियों के टकराने का हो सकता है, लेकिन उसे ज्‍यादा तवज्‍जो नहीं दी जा रही है, क्‍योंकि इस विमान के दोहरे इंजन एक साथ बैठने की संभावना न के बराबर बताई जाती है, दोनों ओर पक्षी टकराए हों तब भी। शक की सुई तो तोड़फोड़ की साजिश की ओर भी गई और एनआइए की टीम भी मौके पर पहुंची। स्‍थानीय पुलिस ने उस कम उम्र लड़के को भी बुलाया, जिसने विमान के उड़ने और गिरने का वीडियो बना लिया था। लेकिन पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठने पर कहा गया कि उसे सिर्फ  गवाही देने के लिए बुलाया गया। अभी तक साजिश के बिंदू पर ज्‍यादा तवज्जो नहीं दी जा रही है।    

डीएनए सैंपल देते परिजन

डीएनए सैंपल देते परिजन

पिछले पांच दिनों से एयर इंडिया के अधिकारी और कई भारतीय सरकारी जांचकर्ता सभी तथ्यों का पता लगाने और त्रासदी के कारणों का पता लगाने के लिए दुर्घटनास्थल पर मौजूद हैं। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अगुआई में नागरिक उड्डयन सुरक्षा पर एक उच्चस्तरीय बैठक 17 जून को हुई। उस बैठक में नागरिक उड्डयन सचिव, गुजरात सरकार के एक प्रतिनिधि, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकारी, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो और अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल थे। उसमें क्या तय हुआ, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है।

बोइंग की एक टीम और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआइबी) के अधिकारी 16 जून को दुर्घटनास्थल की पड़ताल करने के लिए अहमदाबाद पहुंचे। ब्रिटेन के विमानन विशेषज्ञों ने भी 15 जून को दुर्घटनास्थल का दौरा किया। उनमें एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘शायद हम बाद में बात कर पाएंगे...हमने वही देखा जो आप लोग देख सकते हैं...यह बिलुकल वैसा ही है, जैसा आप यहां से देख सकते हैं।’’ प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने 15 जून को केंद्र और राज्य सरकारों, एएआइबी और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चल रहे राहत, बचाव और जांच प्रयासों पर चर्चा की। एएआइबी प्राथमिक तकनीकी जांच का नेतृत्व कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड भी बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारणो की समानांतर जांच कर रहा है, क्योंकि विमान अमेरिकी कंपनी का है।

उनके एक बयान में कहा गया, ‘‘एएआइबी ने एक विस्तृत जांच शुरू की है और अमेरिकी राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (एनटीएसबी) अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत समानांतर जांच कर रहा है क्योंकि विमान अमेरिका निर्मित है।’’ 

रॉयटर्स के अनुसार, जांचकर्ता कम से कम तीन मुख्य मुद्दों पर विचार कर रहे हैं- क्या इंजन थ्रस्ट को लेकर यानी हवा में ऊपर उठने के लिए उत्पन्न बल के साथ कोई मामला था; फ्लैप के साथ संभावित खुलने संबंधी मामला; और टेकऑफ के बाद लैंडिंग गियर इतने लंबे समय तक क्यों खुला रहा। जांच पक्षी टकराने की संभावना पर केंद्रित नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया की किसी भी संभावित गड़बड़ी, जैसे रखरखाव संबंधी मामलों की भी जांच की जा रही है और डीजीसीए की निगरानी व्‍यवस्‍था की खामियों की भी, बशर्ते कोई हो।

15 जून को भारत में ब्रिटेन की उच्चायुक्त लिंडी कैमरन ने कहा कि ब्रिटेन के हवाई दुर्घटना जांचकर्ताओं की विशेषज्ञों की एक टीम भारत के नेतृत्व वाली जांच का समर्थन कर रही है। एक्स पर एक वीडियो संदेश साझा करते हुए उन्होंने लिखा, ‘‘हमारी वाणिज्य दूतावास टीम और स्थानीय साझेदार अहमदाबाद में मौजूद हैं, जो दुखद विमान दुर्घटना के बाद प्रभावित परिवारों और ब्रिटिश नागरिकों के दोस्तों को देखभाल और सहायता प्रदान कर रहे हैं।’’

कैमरन ने कहा, ‘‘यह बहुत ही कठिन समय रहा है और हमारी संवेदनाएं इस विनाशकारी घटना से प्रभावित सभी लोगों के साथ हैं। ब्रिटेन और यहां अहमदाबाद में टीमें यह सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं कि हम प्रभावित ब्रिटिश नागरिकों, मित्रों और परिवारों की सहायता कर सकें। जांच जारी है और तथ्यों को स्थापित करने के लिए ब्रिटेन और भारत मिलकर काम कर रहे हैं।’’

12 जून की दोपहर की दुर्घटना भारत के इतिहास में सबसे भीषण विमान दुर्घटना थी। कम से कम तीन दशकों में तो सबसे घातक। भारत के विमानन प्राधिकरण ने 15 जून की मध्यरात्रि से शुरू होने वाली प्रत्येक उड़ान से पहले टेक-ऑफ मापदंडों की ‘एक बार की जांच’ सहित जीईएनएक्‍स इंजन से लैस एयर इंडिया के बोइंग 787 8/9 विमानों पर अतिरिक्त रखरखाव की व्‍यवस्‍था पर जोर दिया है। एयरलाइनों को इलेक्ट्रॉनिक इंजन नियंत्रण परीक्षण और इंजन ईंधन निरीक्षण करने की आवश्यकता है।

डीएन जांच का दर्दनाक इंतजार

डीएनए नमूनाकरण कार्य में कुल 12 टीमें लगी हुई हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा राहत कार्यों में सहयोग के लिए 855 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को तैनात किया है। इससे पहले आज अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि दुर्घटना में डीएनए सैंपल का मिलान 92 तक पहुंच गया है, जिसमें कुछ दोहराव के कारण 87 लोग शामिल हैं। मीडिया से बात करते हुए डॉ. रजनीश पटेल ने कहा, ‘‘यहां से 47 शव भेजे गए हैं। शवों को खेड़ा, अहमदाबाद, कोटा, महेसाणा, भरूच,  वडोदरा, अरावली, आणंद, जूनागढ़, भावनगर, अमरेली, महिसागर और भावनगर भेजा गया है।’’

खैर, बोइंग के विमानों में लगातार कई खामियां उजागर होने का सिलसिला भी जारी है। हाल में एयर इंडिया के हांगकांग की उड़ान में गड़बड़ी पाए जाने के बाद इन विमानों की उड़ान दो दिनों के लिए रोक दिया गया। दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी ऐसी ही खबरें हैं। तो, जिम्मेदारी बोइंग की बढ़ती जा रही है। हाल के हफ्तों में बोइंग के शेयरों में गिरावट देखी गई है। उधर, ब्रिटिश कंपनी एयर बस के शेयरों में कुछ तेजी दिख रही है। ऐसे में असके लिए भी जरूरी बन गया है कि अहमदाबाद के विमान हादसे में उसके इंजनों और पूरी व्यवस्‍था में कोई ऐसी गड़बड़ी न हो जिससे दुनिया में उसकी बाजारी दिक्कतें बढ़ जाएं। विमान कंपनियों के लिए हादसे डिजाइन में सुधार का भी सबब बनते हैं। अभी तो दावा यही है कि उसके विमान सबसे हल्के मैटेरियल, भारोसेमंद दोहरे इंजनों से बने हैं।

बहरहाल, हादसों का रुकना बेहद जरूरी है। भारत में हादसों का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। विमान, हेलिकॉप्टर ही नहीं, रेल हादसे और बड़े आयोजनों के हादसे भी बढ़ते जा रहे हैं, जैसा हाल में बेंगलूरू में आरसीबी की जीत के जश्न में दिखा। तो, ये किन वजहों से हो रहे हैं, कैसी लापरवाहियां हो रही हैं, इस पर गहन विचार और उसके साथ नई कार्यप्रणाली विकसित करने की दरकार है।

भारत में विमान दुर्घटनाएं

 1973

दिल्‍ली के पालम हवाई अड्डे पर इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 440 का बोइंग 737-200 विमान खराब मौसम में हाइ टेंशन तार से टकराया और उसमें सवार 65 लोगों में 48 लोग जान गंवा बैठे, इनमें कांग्रेस नेता मोहन कुमारमंगलम भी थे। 

 1978

नए साल के दिन, दुबई के लिए मुंबई से उड़ान भरने के कुछ ही पल बाद, सम्राट अशोक नामक शानदार बोइंग 747 रात के अंधेरे में आसमान में घूम गया और सीधे अरब सागर में जा गिरा। कॉकपिट में गड़बडी के कारण पायलट चूक गया। उसमें सभी 213 यात्रियों और पायलट के साथ चालक दल की जान चली गई।

1988

अहमदाबाद में मुंबई से आ रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113 का बोइंग 737-200 विमान हवाई अड्डे के बाहर पेड़ों से टकराकर गिर गया। उसमें सवार 135 में 133 लोग जान गंवा बैठे।

1990

बेंगलूरू में मुंबई से आ रहा आधुनिक एयरबस ए 320 अचानक रनवे से कुछ ही दूर गोल्फ कोर्स में गिर गया। विमान में सवार 146 लोगों में से 92 लोगों की जान चली गई। उसमें भी पायलट की चूक वजह बताई गई।

1996

हरियाणा के चरखी-दादरी में नई दिल्ली से धाहरन जा रही सऊदी अरब एयरलाइंस की फ्लाइट 763 और कजाकिस्तान से नई दिल्ली आ रही कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 आसमान में टकरा गई, जिसमें 349 लोगों की जान चली गई। कजाकिस्तान के पायलट निर्धारित ऊंचाई बनाए नहीं रख पाए थे।

2000

कोलकाता से दिल्ली आ रहा बोइंग 737 पटना में लैंडिंग करते वक्‍त अचानक हवाई अड्डे के पास एक सरकारी रिहाइशी परिसर में जा गिरा। विमान में सवार 60 लोगों में से 55 की मौत हो गई, साथ ही वहां मौजूद पांच लोग भी जान गंवा बैठे।

2010

मंगलूरू हवाई अड्डे पर दुबई से आ रही एयर इंडिया एक्‍सप्रेस की फ्लाइट 812 का बोइंग 737-800 विमान रनवे से पहले चट्टान से टकरा गया। इसमें सवार सभी 158 लोग मारे गए।

2020

कोझिकोड हवाई अड्डे पर वंदे भारत मिशन की एयर इंडिया एक्‍सप्रेस फ्लाइट 1344 भारी बारिश के बीच रनवे से फिसलकर खाई में जा गिरी। उसमें सवार 190 लोगों में दो पायलट सहित 21 लोग जान गंवा बैठै।  

दुनिया में हुए घातक विमान हादसे

 1977

एम्सटर्डम में घने कोहरे के बीच रनवे पर दो बोइंग 747 जंबो जेट टकरा गए, इसमें 583 लोग मारे गए थे। टक्‍कर केएलएम फ्लाइट 4805 और लॉस एंजिल्स से पैन एम फ्लाइट 1736 के बीच हुई।

स्पेनिश अधिकारियों की अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक, दुर्घटना केएलएम पायलट और हवाई यातायात नियंत्रण के बीच रेडियो संचार में किसी गलतफहमी के कारण हुई थी।

 1985

टोक्यो से ओसाका के लिए घरेलू उड़ान पर जापान एयरलाइंस का बोइंग 747 पहाड़ से टकरा गया, जिसमें 520 लोग हताहत हुए। विमान के पिछले प्रेशर बल्कहेड की मरम्मत ठीक से न होने के कारण विमान का नियंत्रण गड़बड़ा गया था।

 1974

इस्तांबुल से लंदन जा रही यह फ्लाइट पेरिस में रुकी और उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई, इसमें सवार सभी 346 लोगों की मौत हो गई। कार्गो दरवाजा उड़ान के बीच में खुल गया था।

 2014

कुआलालंपुर से बीजिंग जा रही फ्लाइट अचानक राडार से गायब हो गई। 239 लोग सवार थे। विमान का मुख्य हिस्‍सा कभी नहीं मिला। जो आज भी रहस्य है।

 2018 और 2019

दो नए बोइंग 737 मैक्स विमान पांच महीने के भीतर दुर्घटनाग्रस्त हो गए। ये इंडोनेशिया में लायन एयर फ्लाइट 610 और इथियोपिया में इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302 थी। कुल 346 लोग मारे गए।

जांच में पाया गया नए कंट्रोल सॉफ्टवेयर में खराबी आ गई थी। इन हादसों से दुनिया भर में सभी 737मैक्‍स विमानों को लगभग दो साल तक रोक दिया गया।

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