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अमरनाथ यात्रा की वजह से नहीं ले जाने दिया गया पिता का शव: कश्मीरी अधिकारी

जम्मू-कश्मीर से एक चौंका देने वाली घटना सामने आई है। जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप लगाया है...
अमरनाथ यात्रा की वजह से नहीं ले जाने दिया गया पिता का शव: कश्मीरी अधिकारी

जम्मू-कश्मीर से एक चौंका देने वाली घटना सामने आई है। जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप लगाया है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान आने-जाने वाले तीर्थयात्रियों की वजह से उन्हें उस वक्त रोक दिया गया जब वे अपने पिता का जनाजा लेकर श्रीनगर जा रहे थे। अधिकारी ने आरोप लगाया है अमरनाथ यात्रियों की वजह से आम नागरिकों का रास्ता रोका जा रहा है।

जम्मू और कश्मीर के वित्त विभाग में कार्यरत अधिकारी इम्तियाज वानी ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा, 'अमरनाथ यात्रा के दौरान कश्मीर के आम नागरिक के अधिकारों को छीन लिया जा रहा है। मुझे अपने पिता का शव नहीं ले जाने दिया गया। एक आम कश्मीरी की हालत कितनी दयनीय है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के इंस्पेक्टर राकेश ने हमें यह कहते हुए रोक दिया कि शव को यहां से नहीं ले जाया जा सकता। यहां से श्रद्धालु जा रहे हैं।'

दिल्ली में हुई थी मौत

इम्तियाज वानी के पिता का निधन कैंसर से हुआ था। कुछ दिनों पहले ही उन्हें दिल्ली कैंसर के इलाज के लिए लाया गया था। उनकी अस्पताल में मौत हो गई थी। शव को वापस दिल्ली से जम्मू लाया गया। श्रीनगर शव को लेकर जब इम्तियाज का परिवार पहुंचा तो उन्हें रोक दिया गया।

एक सरकारी आदेश के अनुसार, श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर काजीगुंड से नाशरी तक अमरनाथ यात्रा समाप्त होने तक सुबह 10 से दोपहर 3 बजे के बीच किसी भी आम नागरिकों को आनेजाने की अनुमति नहीं है। यहां तक कि उस समय के दौरान बनिहाल-काजीगुंड खंड पर ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया। यात्रा के दौरान इस तरह के नियमों को लेकर सरकार सुरक्षा कारणों का हवाला देती है।

इस रूट पर केवल श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति है

अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पिता के शव के साथ जब हम जम्मू से निकले और नगरोता क्रॉस किया तब मुझे रोक दिया गया। अधिकारियों ने मुझसे कहा कि इस रूट पर केवल श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति है, इस रास्ते से शव नहीं ले जाया जा सकता। यह बहुत दुखद है। हम यात्रा के खिलाफ नहीं है लेकिन यह हमारे नागरिक अधिकारों का निंलबन है।'

राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने नागरिक यातायात और ट्रेन सेवाओं को बंद करने पर प्रतिबंध को सही ठहराया है, कहा कि कश्मीर के लोगों को अमरनाथ यात्रा के लिए प्रतिबंधों को सहन करना चाहिए क्योंकि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुरक्षा के लिए कदम उठाए गए हैं। मलिक ने कहा, ‘पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, कांवर यात्रा के दौरान, एक महीने तक राजमार्ग पर नहीं चलता है और न ही कोई शिकायत करता है’।

एसएसपी ने क्या कहा

जम्मू ट्रैफिक पुलिस के एसएसपी जोगिंदर सिंह ने कहा, 'ऐसा कोई आदेश नहीं है, जिसमें किसी की शव यात्रा को रोके जाने की बात कही गई हो।' अमरनाथ यात्रा के दौरान वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध के कारण घाटी में स्थानीय निवासियों की मुश्किलों के कई मामले सामने आए हैं। कुछ मामलों में यह भी आरोप लगाया गया है कि एंबुलेंस तक को रोक दिया गया है।

मामले पर शुरू हुई राजनीति

इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों के नेता भी अपना विरोध जता चुके हैं। उमर अब्दुल्ला ने अपने एक ट्वीट में शिकायत की थी कि ऐसा 30 वर्षों में पहली बार हो रहा है कि जब इस तरह से किसी की राह रोकी गई हो। यह प्रशासन की अक्षमता को दर्शाता है।

वहीं, महबूबा मुफ्ती भी इस पर ट्वीट कर चुकी हैं कि इस साल की अमरनाथ यात्रा कश्मीरी लोगों के खिलाफ है। इस बार की अमरनाथ यात्रा आम लोगों के लिए परेशानियां पैदा कर रही हैं। उन्होंने राज्यपाल से अपील की है कि राज्यपाल इस मामले में हस्तक्षेप करें और मामले को सुलझाएं।

सरकार सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए बाध्य है

सरकार का तर्क है कि पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे, सरकार सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए बाध्य है।

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