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भारतीय जमीन पर टॉप के फाइटर प्लेन निर्माताओं में होड़

अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनी लॉकहिड मार्टिन द्वारा एफ 16- ब्लॉक 70 लड़ाकू विमान बनाने की एसेंबली लाइन भारत में ही बनाने की घोषणा के बाद विदेशी हथियार निर्माता कंपनियों के बीच नई तरह की होड़ मच गई है। चार अन्य कंपनियों ने यहां अपनी निर्माण इकाइयां लगाने के प्रस्ताव भारत सरकार को दे रखा है। जानकारों के अनुसार, ये कंपनियां अब अपने-अपने प्रस्ताव को लॉकहिड मार्टिन की ऐलान के संदर्भ में रिवाइज करने जा रही हैं।
भारतीय जमीन पर टॉप के फाइटर प्लेन निर्माताओं में होड़

लॉकहिड मार्टिन के अलावा अमेरिका की बोइंग कंपनी (लड़ाकू विमान एफ-18 ई), दसॉट एविएशन ऑफ फ्रांस (रैफेल) और स्वीडिश कंपनी साब (ग्रीपेन और यूरोफाइटर) ने भी भारत में अपनी उत्पादन इकाई लगाने की पेशकश की है। भारतीय वायुसेना ने दो इंजनों वाले मध्यम वजन के 126+ विमानों की जरूरत रक्षा मंत्रालय को बता रखी है। लेकिन बोइंग को छोड़ सभी कंपनियों ने एक इंजन वाले विमान के सौदे की पेशकश कर रखी है। कीमत और तकनीक को लेकर वायुसेना की जरूरत के आधार पर मापतौल जारी है। बोइंग कंपनी के एफ-18 ई को मिग-29 के का बेहतर सब्स्टीच्यूट माना जा रहा है।

बहरहाल, भारतीय वायुसेना जल्द ही सिंगल इंजन और मध्यम वजन वाले लड़ाकू विमानों की खरीद को अंतिम रूप देने वाली है। फ्रांसीसी कंपनी दसॉट एविएशन ऑफ फ्रांस के साथ 32 रैफेल खरीदने का करार किया जा चुका है, लेकिन कीमतों को लेकर पेंच फंसा है। इस बीच, भारत सरकार द्वारा रक्षा उत्पादन में सौ फीसद एफडीआई के ऐलान के बाद विदेशी कंपनियों ने मेन इन इंडिया कार्यक्रम के तहत अपने प्रस्ताव जमा करने शुरू कर दिए। अमेरिकी कंपनी लॉकहिट मार्टिन ने रैफेल को लेकर फंसे पेंच के मद्देनजर एफ 16-ब्लॉक 70 विमानों को लेकर नए सिरे से भारत सरकार के सामने ऑफर रखा है कि अपना एसेंबली लाइन (पुर्जे जोड़कर विमान तैयार करने वाली इकाई) टेक्सास से हटाकर वह यही लगाएगी। हालांकि, यह पेशकश इस शर्त के साथ है कि भारतीय वायुसेना उनके द्वारा निर्मित विमानों के लिए एक निश्चित संख्या में आर्डर देगी ही। गुरुवार को कंपनी के बिजनेस डेवलपमेंट हेट रेन्डॉल एल हॉवर्ड ने ऐलान किया कि वे लोग भारतीय और वैश्विक जरूरतों के मद्देनजर अपनी नीति को नया रूप दे रहे हैं।

लॉकहिट मार्टिन की पेशकश में एक पेंच और आ रहा है। हॉवर्ड के अनुसार, वे लोग भारत में बने अपने लड़ाकू विमानों के लिए दुनिया के अन्य देशों में भी बाजार खोजेंगे। कंपनी द्वारा भारत में निर्मित लड़ाकू विमानों को पाकिस्तान को भी बेचे जाने की संभावना है, जिससे कंपनी इन्कार नहीं कर रही। हॉवर्ड के अनुसार, उनकी कंपनी अमेरिकी सरकार की नीतियों के अनुसार किसी भी देश को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करेगी। उन्होंने माना कि कुछ बिंदुओं पर भारतीय अधिकारियों ने आपत्ति उठाई है। उन बिंदुओं पर बातचीत जारी है। भारत में जो विमान बनेंगे, उनमें से एक सौ विमानों को भारत से इतर अन्य किसी देश को बेचा जाएगा। भारत में यह कंपनी 2021 तक अपना प्रोडक्शन लाइन चालू करने का इरादा रखती है।

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