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मंत्रिमंडल ने जीएसटी परिषद के गठन को मंजूरी दी

मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद के गठन को आज मंजूरी दे दी। परिषद जीएसटी प्रणाली के लिये कर की दर तय करेगी। जीएसटी प्रणाली के एक अप्रैल 2017 से लागू होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता ने ट्विटर पर कहा कि जीएसटी परिषद में वित्त मंत्री अरुण जेटली, राजस्व प्रभार वाले वित्त राज्य मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे।
मंत्रिमंडल ने जीएसटी परिषद के गठन को मंजूरी दी

परिषद 22-23 सितंबर को अपनी पहली बैठक करेगी। यह परिषद जीएसटी से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर सिफारिश करेगी। इनमें जीएसटी में शामिल होने वाले उत्पाद और जीएसटी दर महत्वपूर्ण है। इसके सचिवालय की लागत का वहन केंद्र सरकार करेगी। सरकार ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन की पहल अब तक समय से आगे चल रही है। मंत्रिमंडल ने जीएसटी परिषद सचिवालय के आवर्ती और गैर-आवर्ती व्यय के लिए पर्याप्त कोष प्रदान करने का फैसला किया है और इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। जीएसटी परिषद सचिवालय में अधिकारी केंद्र तथा राज्य सरकारों से प्रतिनियुक्ति के आधार पर आएंगे।

जीएसटी परिषद का गठन इससे संबंधित संशोधित संविधान की धारा 279ए के तहत किया जाएगा और जीएसटी परिषद सचिवालय का कार्यालय नई दिल्ली में होगा। राजस्व सचिव जीएसटी परिषद के पदेन सचिव होंगे, जिसमें केंद्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अध्यक्ष स्थायी आमंत्रित सदस्य (बिना मताधिकार) होंगे। जीएसटी परिषद सचिवालय में जीएसटी परिषद के अतिरिक्त सचिव का एक पद और जीएसटी परिषद सचिवालय में आयुक्त के चार पदों का सृजन किया जाएगा, जो भारत सरकार में संयुक्त सचिव के स्तर के होंगे।

संविधान संशोधन के मुताबिक धारा 279ए के मुताबिक जीएसटी परिषद, केन्द्र तथा राज्यों का संयुक्त मंच होगा। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करेंगे। जबकि, राजस्व प्रभार वाले केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री इसके सदस्य होंगे और इसी तरह वित्त या कराधान प्रभार वाले मंत्री या राज्य सरकार द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री इसमें शामिल होंगे। परिषद जीएसटी से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्यों को सिफारिश करेगी, जिसमें जीसटी के तहत आने वाले या इससे छूट वाली वस्तुओं और सेवाएं, मॉडल जीएसटी कानून, आपूर्ति को निर्धारित करने वाले सिद्धांत, कर सीमा, न्यूनतम दर का निर्धारण, प्राकृतिक आपदन के दौरान अतिरिक्त संसाधन के लिए विशेष दर बढ़ाने और कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान आदि से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे।

जीएसटी एकल अप्रत्यक्ष कर है, जिसमें वैट, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, केंद्रीय बिक्री कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क और विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क जैसे ज्यादातर केंद्रीय तथा राज्यों के कर इसमें समाहित हो जाएंगे। संसद ने आठ अगस्त को जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित कर दिया था, जिसके बाद यह राज्यों में अनुमोदन के लिए गया। संविधान संशोधन विधेयक होने की वजह से इस विधेयक को 29 राज्यों और दो संघशासित प्रदेशों में से कम से कम 50 प्रतिशत विधान सभाओं के अनुमोदन की जरूरत थी। विधेयक को 19 राज्यों में अनुमोदन प्राप्त होने के बाद राष्ट्रपति सचिवालय भेजा गया। विधेयक का सबसे पहले अनुमोदन भाजपा शासित असम ने किया।

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