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एमएसएमई से जुड़ी स्कीमों को कैबिनेट की मंजूरी, वित्त मंत्री ने पिछले महीने की थी घोषणा

पिछले महीने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एमएसएमई के लिए घोषित स्कीमों को कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी...
एमएसएमई से जुड़ी स्कीमों को कैबिनेट की मंजूरी, वित्त मंत्री ने पिछले महीने की थी घोषणा

पिछले महीने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एमएसएमई के लिए घोषित स्कीमों को कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी दे दी। इसमें इक्विटी में मदद के लिए 50,000 करोड़ रुपये की स्कीम और 20,000 करोड़ रुपये की सबॉर्डिनेट कर्ज स्कीम के साथ 10,000 करोड़ रुपये का ‍विशेष फंड बनाने का भी फैसला शामिल है। इस विशेष फंड के अधीन कई छोटे-छोटे फंड होंगे। कैबिनेट ने मझोली कंपनियों के लिए टर्नओवर की सीमा भी बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये कर दी है। इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि सीमा बढ़ाने से इन कंपनियों को ही पैकेज का ज्यादा लाभ मिलेगा। कर्ज देने में बैंक छोटी कंपनियों को तरजीह कम देंगे।

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि इक्विटी में मदद से एमएसएमई को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग में भी मदद मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर पैकेज के तहत पिछले महीने इन स्कीमों के बारे में घोषणा की थी। हालांकि कैबिनेट ने जो फैसले किए हैं, वे वित्त मंत्री की घोषणाओं से कुछ अलग हैं। ज्यादातर एमएसएमई संगठनों ने कहा था कि सरकार की घोषणाओं से उन्हें कोई खास लाभ नहीं होने वाला।

इक्विटी इन्फ्यूजन के लिए 50,000 करोड़ रुपये

जावडेकर ने बताया कि 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी इन्फ्यूजन, फंड ऑफ फंड्स के जरिए किया जाएगा। इससे एमएसएमई को कर्ज-इक्विटी का एक बेहतर अनुपात रखने में मदद मिलेगी। इस तरह मिली मदद से वे अपनी क्षमता बढ़ा सकेंगे। इसके अलावा संकट में फंसे एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज देने का फैसला किया गया है। यह एक सबॉर्डिनेट कर्ज होगा। इसमें कर्ज देने वाले का कर्ज सुरक्षित नहीं होता। कंपनी बंद होने की स्थिति में पहले सुरक्षित कर्जदाताओं के दावों का भुगतान किया जाता है, उसके बाद ही असुरक्षित कर्जदाता को भुगतान मिलता है। जावडेकर ने बताया कि इससे करीब दो लाख एमएसएमई को फायदा मिलने की उम्मीद है।

मझोली कंपनियों के लिए टर्नओवर सीमा बढ़कर 250 करोड़ रुपये हुई

वित्त मंत्री ने एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव की भी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि मझोली कंपनियों के लिए टर्नओवर की सीमा 100 करोड़ रुपये होगी। इसे बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अब 20 करोड़ रुपये निवेश और 250 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली कंपनी मझोली कंपनी कहलाएगी। एक करोड़ रुपये तक निवेश और पांच करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली कंपनी को माइक्रो कहा जाएगा। इसी तरह, 10 करोड़ रुपये तक निवेश और सालाना 50 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनी छोटी कहलाएगी।

टर्नओवर में शामिल नहीं होगा निर्यात, जेम्स-ज्वैलरी इकाइयों को लाभ

एक अहम फैसला यह है कि ये इकाइयां जो निर्यात करेंगी, उसे उनकी टर्नओवर लिमिट में शामिल नहीं किया जाएगा। इससे एमएसएमई को काफी मदद मिलने की उम्मीद है। निर्यातकों के संगठन फियो के प्रेसिडेंट शरद कुमार सराफ ने कहा कि इससे इकाइयां निर्यात पर ज्यादा जोर देंगी। इस नियम से जेम्स एवं ज्वैलरी सेक्टर की अनेक इकाइयों को लाभ मिलेगा। ज्वैलरी बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों की कीमत अधिक होने के कारण ये एमएसएमई के दायरे से बाहर हो जाती थीं।

एमएसएमई के लिए पहले हो चुके हैं ये फैसले

वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 13 मई को एमएसएमई के लिए जो घोषणाएं की थीं, उनमें तीन लाख करोड़ रुपये का कोलैटरल मुक्त (बिना गिरवी के) कर्ज भी शामिल है। कैबिनेट इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है। उद्यमी बिजनेस के कर्जे चुकाने, कच्चा माल खरीदने और बिजनेस दोबारा शुरू करने के लिए यह कर्ज ले सकते हैं। वित्त मंत्री ने ट्वीट कर बताया कि सोमवार को इस इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत 3,000 से ज्यादा टियर-2 शहरों में 3,200 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी गई। इस स्कीम के तहत 31 अक्टूबर तक बैंकों से 9.25 फीसदी और एनबीएफसी से 14 फीसदी ब्याज पर कर्ज मिलेगा। कर्ज की 100 फीसदी गारंटी सरकार देती है। सरकार ने इसके लिए मौजूदा वित्त वर्ष और अगले तीन वर्षों के लिए 41,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

सरकार ने 200 करोड़ रुपये तक के टेंडर में विदेशी कंपनियों के भाग लेने पर भी रोक लगा दी है। इसके अलावा सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से 45 दिनों में एमएसएमई का भुगतान करने को कहा गया है। हालांकि इस पैकेज की घोषणा के बाद एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने ही कहा था कि सरकारी विभागों और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की कंपनियों पर एमएसएमई के पांच लाख करोड़ रुपये बकाया है। पुरानी परिभाषा के मुताबिक देश में 6.3 करोड़ एमएसएमई हैं। इनकी हिस्सेदारी जीडीपी में 29 फीसदी और निर्यात में 40 फीसदी रही है। कोविड-19 महामारी से पहले इनमें 11 करोड़ लोग काम करते थे।

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