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यूनिवर्सिटी की नौकरियों के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर पर अध्यादेश को कैबिनेट ने दी मंजूरी

प्रधानमंत्री आवास पर गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में 13 प्वॉइंट रोस्टर की जगह पुराने आरक्षण के 200...
यूनिवर्सिटी की नौकरियों के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर पर अध्यादेश को कैबिनेट ने दी मंजूरी

प्रधानमंत्री आवास पर गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में 13 प्वॉइंट रोस्टर की जगह पुराने आरक्षण के 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम को  लागू करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई। इसके बाद अब यूनिवर्सिटी की नौकरियों में पहले जैसा आरक्षण मिलेगा।

रोस्टर को लेकर देश भर में काफी प्रदर्शन हुए और 5 मार्च को विभिन्न संगठनों ने भारत बंद भी बुलाया था। 13 प्वाइंट  रोस्टर के विरोध को देखते हुए  सरकार ने 200 प्वाइंट रोस्टर लाने के संकेत पहले ही दे दिए थे।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 13 प्वाइंट रोस्टर की वजह से यूनीवर्सिटीज में कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व कम हो जाता, इसकी वजह से केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया है।

मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा था, 'हम 200 प्वाइंट रोस्टर लागू करेंगे, लेकिन मैं प्रदर्शनकारियों से कहना चाहता हूं कि वह बस कैबिनेट की अंतिम बैठक का इंतजार करें।'  

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला बदलने से किया था इनकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी के बदले विभागवार नियुक्ति को मानने का फैसला किया था। केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, लेकिन सु्प्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही माना। सर्वोच्च अदालत ने इसमें बदलाव से इनकार करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का फैसला ही प्रभावी रहेगा। 

यह है 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम

यूजीसी के मुताबिक, 14 से कम पद जहां होंगे वहां 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होगा और उससे अधिक सीटें होंगी तो 200 प्वाइंट रोस्टर लागू किया जाएगा। 13 प्वाइंट रोस्टर में बताया गया है कि कौन से वर्ग के लिए कौन सा क्रम होगा। इसके मुताबकि, पहला, दूसरा और तीसरा पद अनारक्षित होगा। जबकि चौथा पद ओबीसी कैटेगरी के लिए। फिर पांचवां और छठां पद अनारक्षित। इसके बाद 7वां पद अनुसूचित जाति के लिए, 8वां पद ओबीसी और फिर 9वां, 10वां, 11वां पद अनारक्षित के लिए। 12वां पद ओबीसी के लिए, 13वां फिर अनारक्षित के लिए और 14वां पद अनुसूचित जनजाति के लिए होगा।

आरक्षित सीटें हो जाती थीं कम

यानि अब किसी यूनिवर्सिटी में चार पदों के लिए वेकैंसी निकलती है तब जाकर ओबीसी को, सात पदों की निकलती है तो अनुसूचित जाति को और 14 पदों की निकलती है तो अनुसूचित जनजाति को मौका मिलेगा। आमतौर पर यूनिवर्सिटी के किसी एक विभाग में चार पांच से अधिक सीटें नहीं होती है। यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिए बहुत कम सीटें निकलती हैं और ऐसे में विभागवार रोस्टर होने पर आरक्षित वर्ग के लिए सीटें कम हो जातीं।

पुराने रोस्टर की कर रहे थे मांग

13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि इसी बहाने सरकार आरक्षण पूरी तरह से खत्म करना चाहती है। 200 प्वाइंट रोस्टर में एक से लेकर 200 नंबर तक आरक्षण कैसे लागू होगा इसका ब्यौरा होता था। इसके तहत 49.5 प्रतिशत आरक्षण लागू होता था और बांकी की सीट अनारक्षित होती थी। विपक्षी पार्टियां और दलित कार्यकर्ता 200 प्वाइंट वाले पुराने रोस्टर की मांग कर रहे थे।

 

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